खेल डेस्क. वर्ल्ड कप इतिहास का पहला मैच 1975 में भारत और इंग्लैंड के बीच लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर खेला गया था। टीम इंडिया क्रिकेट के इस फॉर्मेट में तब एक साल और सिर्फ दो मैच का अनुभव लेकर इंग्लैंड पहुंची थी। दूसरी ओर, इंग्लिश टीम के पास 15 मैच और 4 साल का अनुभव था। इस मुकाबले में भारतीय ओपनर सुनील गावस्कर ने 174 गेंद पर 36 रन की पारी खेली। वे अंत तक आउट नहीं हुए। टीम के कोटे के 60 में से 29 ओवर अकेले उन्होंने खेले थे। उनकी इस पारी की आलोचना क्रिकेट विशेषज्ञों ने तो की ही थी, यहां तक कि तत्कालीन टीम मैनेजर जीएस रामचंद ने भी खरी-खोटी सुनाई थी।
रामचंद ने मैच के दो दिन बाद डेली एक्सप्रेस से कहा था, ‘‘अब तक मैंने जितनी भी पारियां देखीं, उनमें यह सबसे शर्मनाक और मतलबी पारी है। गावस्कर ने बहाना बनाते हुए कहा था कि पिच बहुत स्लो था। इस पर शॉट खेलना मुश्किल था। दूसरी ओर, इंग्लैंड ने 334 रन बना दिए। इससे विकेट को स्लो कहना बेवकूफी थी। पूरी टीम इसे लेकर परेशान थी। अपनी इज्जत इस तरह से डुबोना ठीक नहीं।’’
इंग्लैंड ने भारत को 202 रन से हराया था
उस मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया। उसने 60 ओवर में 4 विकेट पर 334 रन बनाए। ओपनर डेनिस एमिस ने 137 रन की पारी खेली। कीथ फ्लेचर ने 68 और क्रिस ओल्ड ने 51 रन बनाए। भारत की ओर से आबिद अली ने दो विकेट लिए। मोहिंदर अमरनाथ और मदन लाल को एक-एक सफलता मिली। जवाब में भारतीय टीम ने 60 ओवर में 3 विकेट पर 132 रन बनाए। गावस्कर के अलावा एकनाथ सोल्कर ने 8, अंशुमान गायकवाड़ ने 22, गुंडप्पा विश्वनाथ ने 37 और ब्रजेश पटेल ने 16 रन बनाए थे। इंग्लैंड के लिए लीवर, अर्नाल्ड और ओल्ड ने एक-एक विकेट लिए थे।
गावस्कर से ज्यादा रहा टीम के अन्य बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट
गावस्कर ने अपनी पारी में सिर्फ एक चौका लगाया। उनका स्ट्राइक रेट 20.69 का रहा। उस पारी में गावस्कर से कम किसी का स्ट्राइक रेट नहीं था। एकनाथ सोल्कर ने 23.53, अंशुमान गायकवाड़ ने 47.83, गुंडप्पा विश्वनाथ ने 62.72 और ब्रजेश पटेल ने 28.07 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे।
‘कप्तान को उन्हें मैदान से निकाल देना चाहिए था’
इस मैच में कमेंट्री करने वाले बीसीसी के टेड टेक्सटर ने कहा कि गावस्कर को उनके कप्तान द्वारा मैदान से बाहर निकाल देना चाहिए था। वहीं, गावस्कर के टीममेट करसन घावरी ने कहा, ‘‘सुनील को ऐसा लगा था कि रन चेज करना मुश्किल और नामुमकिन है। उन्हें तेज बल्लेबाजी के लिए कहा गया था, लेकिन वे अपने खेल पर ही ध्यान देते रहे।\" गायकवाड़ ने कहा, ‘‘वे जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहे थे उन्हें देखकर हम सब हैरान थे। जब मैं उनके साथ पिच पर था तो हमने टीम, उनकी या मेरी प्लानिंग के बारे में बात नहीं की। मैं उनसे बहुत जूनियर था।’’
गावस्कर ने क्या कहा था?
गावस्कर ने मैच के बाद और वर्ल्ड कप के दौरान उस पारी के बारे में बात नहीं की। उन्होंने कई साल बाद कहा, ‘‘यह मेरे जीवन की सबसे खराब पारी थी। मैं आउट ऑफ फॉर्म था। शुरू में मैंने जिस तरह के शॉट लगाए उसे दोबारा कभी भी देखना नहीं चाहूंगा। मैं तो यहां तक यह भी चाह रहा था कि विकेट से अलग हट जाऊं ताकि बोल्ड हो सकूं। यह मानसिक पीड़ा से दूर होने का एकमात्र तरीका था जिससे मैं पीड़ित था।’’
पारी की दूसरी गेंद पर ही आउट था: गावस्कर
पूर्व भारतीय कप्तान ने दावा किया कि वे पारी की दूसरी गेंद पर ही विकेट के पीछे कैच आउट हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता था कि पवेलियन लौट जाऊं। मैंने खुद से पूछा कि आखिर दूसरी गेंद पर क्यों नहीं चला गया? किसी ने भी अपील नहीं की थी। गेंद बल्ले के किनारे लेती हुई कीपर के पास गई थी। गेंदबाज अफसोस कर रहा था, लेकिन उसने अपील नहीं की।’’ गावस्कर ने इसके बाद अगले ही मैच में ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ 86 गेंद पर 65 रन बनाए थे। उन्होंने टूर्नामेंट में तीन मैच खेलकर 113 रन बनाए थे।
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