10 अप्रैल 2005, विमेंस वर्ल्ड कप फाइनल। साउथ अफ्रीका के सेंचुरियन ग्राउंड पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मुकाबला हुआ था। भारतीय टीम आठ कोशिशों में पहली बार फाइनल में पहुंची थी। ऑस्ट्रेलिया सातवां फाइनल खेल रहा था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए हमारी टीम को 216 रन का टारगेट दिया। जवाब में हम 117 रन पर ही ऑलआउट हो गए। सात बल्लेबाज 10 का आंकड़ा भी नहीं छू पाईं। दो बैटर तो जीरो पर आउट हुई थीं। इनका नाम था नीतू डेविड और नूशीन अल खदीर।
इस मुकाबले के करीब 18 साल बाद नीतू और नूशीन फिर चर्चा में हैं। ये दोनों अंडर-19 विमेंस वर्ल्ड चैंपियन हमारी मौजूदा टीम की चीफ सेलेक्टर और चीफ कोच हैं। जिस साउथ अफ्रीका की जमीन पर ये 2005 का फाइनल हारी थी, उसी साउथ अफ्रीका में इनकी टीम ने 2023 का फाइनल जीत लिया है।
भास्कर ने नीतू और नूशीन दोनों से अंडर-19 टीम की जीत पर विशेष बात की...आप भी पढ़िए...
कोविड के कारण जूनियर टूर्नामेंट नहीं हो रहे थे, टीम बनाना काफी चैलेंजिंग था
चीफ सेलेक्टर नीतू डेविड बताती हैं- अंडर-19 वर्ल्ड कप की घोषणा होते ही ऐसा लगा की भारत पास ट्रॉफी जीतने का यह एक अच्छा मौका है। भारत पहले से ही अंडर-19 गर्ल्स के डोमेस्टिक मैच कराता रहा है। बस जरूरत थी तो एक नेशनल टीम बनाने की। कोविड के कारण यह काम मुश्किल हो गया था। महामारी के कारण एज ग्रुप टूर्नामेंट का आयोजन रुक गया था। पिछले 2 साल से अंडर-19 के मैच ही नहीं हुए थे।
NCA की मदद ली, पूरे देश से 125 खिलाड़ी शॉर्ट लिस्ट किए
बिना यह देखे कि अभी कौन सी खिलाड़ी कैसा खेल दिखा रही है टीम सेलेक्ट करना काफी मुश्किल था। इसके बाद BCCI, नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA) और वीवीएस लक्ष्मण से मदद ली गई। देश भर से 125 खिलाड़ी शॉर्टलिस्ट किए। अलग-अलग टीमें बनाकर इनके बीच करीब 20 मैच कराए गए। इसके बाद 30 खिलाड़ियों को फिर शॉर्टलिस्ट किया गया और उनके लिए ट्रेनिंग कैंप लगाया गया। बाद में इनमें से भी 15 खिलाड़ियों को वर्ल्ड कप के लिए चुना गया।
डेविड ने कहा- 30 खिलाड़ियों से 15 को चुन पाना काफी मुश्किल था। सभी 30 खिलाड़ी एक से बढ़कर एक थीं। फिर भी टीम तो बनानी थी। हमने पहले अलग-अलग रोल डिफाइन किए और फिर हर रोल के लिए कंडीशन के हिसाब से सबसे उपयुक्त खिलाड़ी का सलेक्शन हुआ।
टीम को वर्ल्ड कप से पहले इंटरनेशनल लेवल का एक्सपोजर देने के लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज आयोजित की गई। कुल मिलाकर BCCI, सेलेक्टर्स, कोच, NCA सबकी एक साल की कड़ी मेहनत और टीम वर्क का नतीजा है अंडर-19 वर्ल्ड कप खिताब। टीम की कोच की कहानी आगे पढ़ते हैं। उससे पहले नीतू डेविड के करियर स्टैट्स देख लीजिए।
रेलवे को कोचिंग देने का अनुभव काम आया
टीम तो बन गई, लेकिन उसे जरूरत थी एक कोच की। BCCI ने चुना नूशीन अल खदीर को। नूशीन रेलवे टीम की कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं। वर्ल्ड कप फाइनल भी खेल चुकी हैं। नूशीन ने NCA में टीम को ट्रेनिंग दी।
हेड कोच नूशीन ने बताया - हमारी खिलाड़ियों में बहुत बचपना है, लेकिन वे कोच की सलाह को बहुत ही गंभीरता से लेती हैं। सभी खिलाड़ियों ने लगातार अपने खेल को बेहतर करने पर ध्यान दिया। युवा खिलाड़ियों की कोचिंग में प्रॉब्लम एरियाज को पहचानना और खिलाड़ी के साथ मिलकर इसे दूर करने पर काम करना अहम है। टीम में शेफाली वर्मा और ऋचा घोष जैसी सीनियर खिलाड़ियों की मौजूदगी का फर्क भी पड़ा। ये दोनों भारतीय टीम के लिए खेल चुकी हैं और अच्छा परफॉर्म कर रही हैं। इन्होंने युवा खिलाड़ियों के साथ अपने अनुभव शेयर किए। इससे काफी मदद मिली।
नूशीन अल खदीर ने 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू किया था
खिलाड़ियों को स्ट्रेस नहीं लेने को कहा, मैं भी स्ट्रेस नहीं लेती थी
इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 वर्ल्ड कप फाइनल से पहले नूशीन ने अपनी खिलाड़ियों को स्ट्रेस फ्री रहने को कहा। हमने फाइनल को भी एक सामान्य मैच की तरह ही खेला। जब मैं खुद खेलती थी तब भी स्ट्रेस नहीं लेती थी। हमारे सामने इंग्लैंड की टीम थी जो फाइनल से पहले टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी थी। इसके बावजूद हमने कोई प्रेशर नहीं लिया। हमें पता था कि हम भी शानदार खेल रहे हैं। मुझे तो फाइनल के पहले अच्छी नींद आई। ड्रेसिंग रूम में हमने शांत माहौल बनाकर रखा था। इससे प्लेयर्स पर प्रेशर आया ही नहीं।
अब आगे क्या
नूशीन टीम की सभी खिलाड़ियों की जमकर तारीफ करती हैं। उन्होंने कहा कि यह टीम एफर्ट है जिससे हमें जीत मिली है। सबकी अलग-अलग खासियतें हैं। श्वेता सहरावत की बहुत अच्छी बैटिंग रही हैं। टीम में सौम्या जैसी शांत प्लेयर की जरूरत है जो प्रेशर हैंडल कर सके। तृषा ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। साथ ही अर्चना देवी और मन्नत कश्यप भी आने वाले समय में सीनियर टीम के लिए खेल सकती हैं।
WPL से करियर और बेहतर होगा
नीतू और नूशीन दोनों को यकीन है कि विमेंस प्रीमियर लीग से देश की महिला क्रिकेटर्स को बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा- अब देश की लड़कियां विदेशी प्लेयर्स के साथ खेलेंगी और बेहतर तरह से परफॉर्म करेंगी। IPL ने हमेशा खिलाड़ियों को प्लेटफार्म दिया है जहां सीखने के लिए बहुत मिलेगा।
नीतू ने कहा कि टैलेंट को अब प्लेटफॉर्म मिलने लगा है। खेल में बच्चों का बैकग्राउंड मायने नहीं रखता है। उनका टैलेंट मायने रखता है। डोमेस्टिक क्रिकेट से शानदार खिलाड़ी आ रही हैं और विमेंस क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है।
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टीम इंडिया तीनों फॉर्मेट में कैसे बनेगी नंबर-1
क्रिकेट के किसी एक फॉर्मेट में नंबर-1 बन जाना ही बहुत बड़ी बात होती है। अब हमारी टीम इंडिया एक साथ तीनों फॉर्मेट यानी टी-20, वनडे और टेस्ट में नंबर-1 बनने के काफी करीब आ गई है। भारत इस वक्त ICC रैंकिंग में वनडे और टी-20 की नंबर-1 टीम है। टेस्ट में टीम दूसरे नंबर पर है। 9 फरवरी से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट की सीरीज शुरू होगी। ऐसे में भारत के पास टेस्ट में भी टॉप पोजीशन हासिल कर तीनों फॉर्मेट में एक ही समय पर नंबर-1 बनने का मौका है। इसके लिए टीम के पास कब तक वक्त है और आगे क्या करना होगा यह हम इस स्टोरी में जानेंगे। पूरी ख्रबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
भारत की लेडी शेन वॉर्न, VIDEO से गुगली सीखी:
भारतीय अंडर-19 विमेंस टीम ने रविवार को पोचेस्ट्रूम में इतिहास रच दिया है। इस टीम ने ICC द्वारा पहली बार आयोजित अंडर-19 टी-20 वर्ल्ड कप की पहली चैंपियन बनने का रुतबा हासिल किया है। भारतीय टीम ने फाइनल में इंग्लैंड को 7 विकेट से हराया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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