भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के चौथे दिन एक अजीब वाकया देखने को मिला। साउथ अफ्रीका की टीम जब दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आई तो कप्तान विराट कोहली के साथ पूरी टीम इंडिया ने खेल ही शुरू नहीं होने दिया। टीम इंडिया का कहना था कि उन्हें गेंदबाजी के लिए दी गई कूकाबुरा गेंद पुरानी है। इसके चलते लगभग 10 मिनट तक खेल रुका रहा। इस दौरान कोहली अंपायर से बहस करते हुए भी नजर आए।
इसके बाद मैदान पर नई गेंद का बॉक्स दोबारा लाया गया और कप्तान कोहली ने रविचंद्रन अश्विन के साथ मिलकर हर बॉल को अच्छी तरह से परखा। इसके बाद उन्होंने गेंदबाजी के लिए एक गेंद चुनकर अपनी टीम को दी और मैच में खेल आगे शुरू हुआ।
वहीं, कमेंटेटर व पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर का कहना था कि हर गेंद के रंग और बैलेंस में फर्क हो सकता है। इसलिए भारतीय टीम नई गेंद चाह रही थी। उन्होंने बताया कि हमारे समय में कपिल देव खुद गेंद का चुनाव करते थे। वहीं, पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज अजीत अगरकर ने बताया कि मैं जब खेलता था तो सचिन तेंदुलकर और हरभजन सिंह गेंद बॉक्स से निकालते थे।
आइए इस विवाद के केंद्र में रही कूकाबुरा गेंद के बारे में जानते हैं। साथ ही ये भी बताते हैं कि टेस्ट खेलने वाले किस देश में कौन सी बॉल का इस्तेमाल किया जाता है।
किन देशों में इस्तेमाल होती है कूकाबुरा बॉल?
कूकाबुरा बॉल ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान अपने यहां खेले जाने वाले टेस्ट मैच के लिए इस्तेमाल करते हैं। ये ऑस्ट्रेलिया में बनाई जाती है। इसकी सिलाई मशीन से होती है। इसकी सीम दबी हुई होती है। शुरुआती 20 से 30 ओवर तक ये गेंद तेज गेंदबाजी के लिए बेहतर होती है। इसके बाद ये बल्लेबाजी के लिए बेहतर होती है। सीम दबी होने के कारण ये गेंद स्पिनरों के लिए अन्य बॉल की तुलना में कम मददगार होती है और सीमर को भी कम स्विंग मिलता है।
कूकाबूरा गेंद का इतिहास
कूकाबूरा कंपनी की शुरुआत साल 1890 में एजी थॉमसन ने की थी। ये कंपनी मेलबर्न में शुरू हुई थी। ये कंपनी आज क्रिकेट और हॉकी गेंद के अलावा इन खेलों से जुड़े सामान को बनाने के लिए ही जानी जाती है। पहली बार वनडे और टी-20 में इस्तेमाल होने वाली सफेद गेंद साल 1978 में बनाई गई थी। इसे कूकाबुरा ने ही बनाया था। 2015 में पहली बार टेस्ट में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया गया था। इसे भी कूकाबुरा ने ही बनाया था।
इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक बॉल का इस्तेमाल होता है। वहीं, भारत में होने वाले मैचों में SG बॉल का इस्तेमाल होता है। ड्यूक बॉल इंग्लैंड में बनती है। इसकी सीम उभरी हुई होती है। इसकी सिलाई हाथ से होती है। इस गेंद को तेज गेंदबाजों के लिए मददगार माना जाता है। कूकाबुरा और SG बॉल 50 ओवर के आसपास रिवर्स स्विंग होनी शुरू होती हैं। ड्यूक साल 1760 से ये गेंद बना रही है।
भारत अकेला देश जहां SG बॉल का होता है इस्तेमाल
भारत अकेला देश है, जो SG बॉल का इस्तेमाल करता है। ये बॉल भारत में ही बनती है। इस बॉल की सीम उभरी हुई होती है। इसकी सिलाई ड्यूक बॉल की तरह हाथ से की जाती है। इस गेंद को स्पिनर्स के लिए मददगार माना जाता है। 1931 में केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद नाम के दो भाइयों ने सियालकोट में इस कंपनी की शुरुआत की। बंटवारे के बाद परिवार आगरा आ गया। 1950 में मेरठ से कंपनी की फिर शुरुआत हुई।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.