क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था MCC यानी मेलिरिबोन क्रिकेट क्लब ने क्रिकेट को बचाने की ICC से अपील की। MCC की WCC विंग यानी वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी ने कहा कि, दुनियाभर में टी-20 लीग की संख्या बढ़ने से इंटरनेशनल क्रिकेट पर असर पड़ रहा है। लीग के अलावा बड़ी टीमें जैसे भारत, साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया आपस में टेस्ट खेलती है। लेकिन, सालभर अलग-अलग लीग होने के कारण छोटी टीमों जैसे अफगानिस्तान, आयरलैंड और जिम्बाब्वे को बड़ी टीमों के खिलाफ टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से टीमों के बीच असमानता बढ़ते जा रही है और ICC को टूर प्लान करने में दिक्कतें आ रही है।
क्या है MCC
MCC क्रिकेट के नियम बनाती है और समय-समय पर इसमें भी बदलाव भी करती है। मेरिलबोन क्रिकेट क्लब आज से साल 1787 में अस्तित्व में आया था। इसका हेडक्वार्टर इंग्लैंड का लॉर्ड्स मैदान में है। ICC के आने से पहले MCC के नियमों पर ही क्रिकेट खेला जाता था। ICC आज भी MCC के नियमों पर ही चलता है। MCC अभी भी क्रिकेट के नियम बनाता है, लेकिन वे ICC से हो कर ही गुजरते है।
दुबई में बुलाई मीटिंग
MCC ने दुबई में मीटिंग बुलाई थी। बैठक में इस बारे में चर्चा की गई कि, इंटरनेशनल क्रिकेट को कैसे बचाया जा सकता है। हर साल होने वाली तमाम लीग के बीच आने वाले 10 साल में इंटरनेशनल क्रिकेट की क्या दशा होगी। इंटरनेशनल क्रिकेट को प्राथमिकता देने को लेकर कुछ करना होगा।
पैसे के लिहाज से स्थिति अच्छी - MCC
MCC ने कहा कि, इस समय पैसे में देखा जाए तो क्रिकेट में इससे अच्छी स्थिति कभी नहीं रही है। लेकिन, अब ICC के देशों को साथ आकर सभी के बीच इस पैसे का सदुपयोग करना चाहिए और एक-दूसरे की मदद कर के इंटरनेशनल क्रिकेट के सुधार के लिए काम करना चाहिए।
विमेंस क्रिकेट में बैलेंस सही - MCC
MCC ने कहा कि इस समय विमेंस क्रिकेट में अच्छा बैलेंस देखने को मिल रहा है। ICC को विमेंस FTP यानी टूर प्रोग्राम बनाने में जरा भी कठिनाई नहीं हो रही है। लेकिन, विमेंस क्रिकेट में भी खिलाडी लीग की तरफ आकर्षित हो रहे है, जो की चिंताजनक है।
MCC ने आगे कहा कि, विमेंस क्रिकेट में मेंस क्रिकेट की तरह ही अब आय में समानता आने लगी है। पैसे को लेकर विमेंस क्रिकेट में किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं है।
टेस्ट क्रिकेट सबसे जरूरी - गांगुली
भारत के पूर्व कप्तान और WCC के सदस्य सौरव गांगुली ने कहा कि फ्रेंचाइजी क्रिकेट और टेस्ट क्रिकेट के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है। मेरा अभी मानना है कि टेस्ट, क्रिकेट का सबसे बड़ा मंच है। यहीं आपको महान खिलाड़ी मिलते हैं और इसीलिए इसे टेस्ट कहा जाता है। यह कौशल की परीक्षा है।
49% खिलाड़ियों के लिए देश से ऊपर टी-20 लीग
इंटरनेशनल क्रिकेटर्स की संस्था FICA के सर्वे के मुताबिक 49% क्रिकेटर्स ने कहा- वे IPL, BBL जैसी फ्रेंचाइजी लीग खेलने के लिए देश का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी रिजेक्ट कर सकते हैं। अगर उन्हें इन लीग में अपने देश से ज्यादा पैसा मिले तो वे लीग खेलना ही पसंद करेंगे।
पिछले दिनों न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके चलते उन्हें भारत के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज में टीम का हिस्सा नहीं बनाया गया। बोल्ट के साथी खिलाड़ी मार्टिन गप्टिल को खराब फॉर्म के चलते चुना नहीं गया। जिसके बाद वह विदेशी लीग खेलने चले गए। इस मानसिकता का असर अन्य स्टार खिलाड़ियों पर दिखा है। इससे कभी खिलाड़ियों को तो कभी उनके देश को नुकसान उठाना पड़ा है।
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