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इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 2021 सीजन के लिए नीलामी 18 फरवरी को होगी। इससे पहले, इस साल सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट में सबसे तेज शतक लगाने वाले केरल के ओपनर मोहम्मद अजहरुद्दीन को लेकर काफी चर्चाएं हैं। 2015 में डोमेस्टिक क्रिकेट में डेब्यू करने वाले इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने T-20 में अब तक 19 मैचों में 144.80 की स्ट्राइक रेट से 404 रन बनाए हैं। दो साल पहले भी अजहरुद्दीन का नाम ऑक्शन लिस्ट में था।
IPL ऑक्शन से पहले अजहरुद्दीन ने भास्कर से बातचीत की। उन्होंने बताया कि एमएस धोनी की तरह वे भी क्रिकेट से पहले फुटबॉल खेलते थे। गोलकीपर होने के कारण उन्हें क्रिकेट में विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई। माही और एडम गिलक्रिस्ट उनके पसंदीदा विकेटकीपर हैं। अजहरुद्दीन का सपना विराट कोहली के साथ खेलने का है। वे चाहते हैं कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) उन्हें खरीदे, ताकि उनका सपना पूरा हो सके। पेश हैं इंटरव्यू के अंश..
आप क्रिकेट में कैसे आए?
अजहरुद्दीन: मैं केरल के थलंगारा से हूं। यहां 20 से ज्यादा क्रिकेट क्लब हैं। मुझसे बडे़ मेरे 7 भाई क्रिकेट खेलते थे। घर के आस-पास रहने वाले ज्यादातर बच्चे क्रिकेट ही खेलते हैं। मैं भी उन्हें देखकर क्लब से जुड़ गया और क्रिकेट खेलना शुरू किया।
क्या आप शुरू से विकेटकीपर बल्लेबाज बनना चाहते थे?
अजहरुद्दीन: मैं क्रिकेट से पहले फुटबॉल खेलता था। मैं फुटबॉल में गोलकीपर था। जब भी गली-मोहल्ले में क्रिकेट होता था, तो मुझे विकेटकीपिंग करने को कहते थे। धीरे-धीरे मैं क्लब और स्कूल टीम के लिए भी मैच में कीपिंग करने लगा। मेरी कोशिश है कि मैं धोनी और गिलक्रिस्ट की तरह बनूं।
आपका नाम अजहरुद्दीन किसने रखा और क्यों?
अजहरुद्दीन: मेरे बड़े भाई भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के फैन थे, इसलिए उन्होंने मेरा यह नाम रखा। हालांकि, माता-पिता मेरा नाम कुछ और ही रखना चाहते थे।
क्या पहली बार आपका नाम ऑक्शन लिस्ट में शामिल किया गया है? आपको क्या उम्मीद है?
अजहरुद्दीन: नहीं, मेरा नाम दूसरी बार ऑक्शन की फाइनल लिस्ट में है। दो साल पहले भी मेरा नाम ऑक्शन की फाइनल लिस्ट में शामिल था, लेकिन मुझे किसी भी टीम ने नहीं खरीदा। इस बार सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मैंने बेहतर प्रदर्शन किया है। साथ ही शतक भी लगाए हैं। ऐसे में उम्मीद है कि कोई न कोई टीम मुझे जरूर खरीदेगी। मैं चाहता हूं कि RCB मुझे खरीदे।
आपके पापा क्या करते थे? शुरुआत में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा?
अजहरुद्दीन: मेरे पापा अरब में रहते थे। वहां किसी दुकान में काम करते थे। तबियत खराब होने पर वे केरल लौट आए थे। मां हाउस वाइफ थीं। हम आठ भाई हैं, तो घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चलता था। बचपन में कई बार हमें जरूरत की चीजों के लिए भी समझौता करना पड़ता था। मेरे परिवार में अकेले पापा ही कमाने वाले थे। बचपन में मैं दूसरों के बल्ले से ही खेलता था। 2010 में पापा की डेथ हो गई। 2015 में मां भी नहीं रहीं। इसके बाद बड़े भाईयों ने ही मेरी देखभाल की और क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया। थलंगारा के कुछ लोगों ने भी मेरी मदद की। उन्होंने मुझे बेहतर बल्ले और ग्लव्स दिलवाए।
क्या आपने कहीं से प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली?
अजहरुद्दीन: मैंने क्रिकेट की शुरुआत गली-मोहल्ले में खेल कर की। जब मैं 9वीं क्लास में था, तो मेरा दाखिला केरल सरकार की क्रिकेट एकेडमी में हो गया। वहां जाने के बाद मुझे हर तरह की सुविधा मिलने लगी। एकेडमी में रहते हुए केरल के लिए कई ऐज ग्रुप में क्रिकेट खेला। ग्रेजुएशन पूरा होने तक मैं एकेडमी में ही रहा।
आप अपना रोल मॉडल किसे मानते हैं?
अजहरुद्दीन: मेरे रोल मॉडल संजू सैमसन और विराट कोहली हैं। मैं उनकी तरह ही बल्लेबाजी करना चाहता हूं। मेरी इच्छा है कि मैं विराट भाई के साथ खेलूं। विराट भाई की तरह बल्लेबाजी के दौरान एग्रेसिव होना मुझे काफी पसंद है। मैं भी उनकी तरह शॉट्स खेलने की कोशिश करता हूं।
क्या आप सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं?
अजहरुद्दीन: नहीं, मैं सिर्फ मुंबई के खिलाफ ही बड़ी पारी खेल पाया। हालांकि मैंने दो मैच में 30 से ज्यादा रन बनाए। इन्हें भी बड़ी पारी में तब्दील कर सकता था। अगर मैं ऐसा कर पाता तो शायद मेरी टीम सेमीफाइनल में पहुंच सकती थी।
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