भारत ने पांचवीं बार अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया है। पूरे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के उपकप्तान शेख रशीद ने कमाल की बल्लेबाजी की। फाइनल में भी उनका बल्ला खूब बोला और इस खिलाड़ी ने शानदार 50 रनों की पारी खेली। दैनिक भास्कर ने इस शानदार जीत के बाद रशीद के पापा से बात की है। आइए आपको बताते हैं उन्होंने क्या कहा...
पापा अब अपना मकान होगा
भास्कर से बातचीत करते हुए रशीद के पिता शेख बलीशा ने कहा कि मैच जीतने के बाद रविवार सुबह उसका फोन आया था और उसने कहा, 'पापा अब अपना भी मकान होगा, किराये के मकान पर अब हमें नहीं रहना पड़ेगा।' बेटे की इस बात को सुनकर शेख बलीशा के आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। रशीद ने फोन पर कहा कि जीतने के बाद BCCI से इनाम के तौर पर मिलने वाले 40 लाख से अपना मकान बनाएंगे और हमें अब किराये के मकान में नहीं रहना पड़ेगा। शेख बलीशा ने कहा कि अब मुझे इसका अफसोस नहीं है कि मैने बैंक की नौकरी छोड़कर रशीद को बल्लेबाजी का अभ्यास कराया।
बेटे को अभ्यास कराने के लिए छोड़ दी बैंक की नौकरी
हैदराबाद के रहने वाले बलीशा अपने बेटे को बल्लेबाजी का अभ्यास कराने के लिए बैंक की नौकरी तक छोड़ दी थी, ताकि बेटे को बल्लेबाजी का अभ्यास करा सके। बलीशा ने कहा कि मुझे खुशी है कि एक बार फिर रशीद ने ओपनर के फेल होने के बाद भारत की पारी को संभालते हुए 50 रन की पारी खेली।
फाइनल के अलावा रशीद ने सेमीफाइनल में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया के लिए अहम पारी खेली थी। उन्होंने 108 गेंदों पर 94 रन बनाए थे। उन्होंने 4 मैचों में 201 रन बनाए, जिसमें दो अर्धशतक शामिल थे।
लक्ष्मण के टीम के साथ रहने के साथ मिला हौसला
बलीशा ने आगे बताया कि टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज वीवीएस लक्ष्मण के टीम के साथ रहने से रशीद को आत्मविश्वास मिला। फोन पर रशीद ने उनको बताया कि जिस व्यक्ति से प्रेरित होकर मैंने क्रिकेट को अपना जूनून बनाया, उनके वर्ल्डकप में बतौर मार्गदर्शक के तौर पर रहने से मेरे आत्मविश्वास में बहुत बढ़ोतरी हुई। उनके रहने से रशीद को लगा कि कोई अपनी भाषा में मुझे समझा रहा है। उनके टिप्स से ही मैं वर्ल्डकप में शानदार प्रदर्शन कर पाया।
दरसअल, रशीद की मुलाकात 8 साल की उम्र में टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज लक्ष्मण से हुई थी। रशीद के पिता ने बताया कि एक घरेलू टूर्नामेंट के फाइनल में लक्ष्मण मुख्य अतिथि थे। उस समय वो टीम इंडिया के लिए खेलते थे। रशीद ने उस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था और लक्ष्मण ने उन्हें पुरस्कार दिया था। इसके बाद रशीद उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना लक्ष्य टीम इंडिया के लिए खेलने के लिए बना दिया।
अगर डिप्रेशन में छोड़ क्रिकेट छोड़ देता, तो नहीं कर पाता देश का नाम
रशीद ने अपने पिता को कहा कि पापा अगर आप मुझे बुरे वक्त में नहीं समझाते तो शायद ही मैं देश के लिए वर्ल्ड कप में अहम रोल निभाता। रशीद के पापा बलीशा ने बताया था कि रशीद का चयन पहले आंध्र प्रदेश की अंडर-14 टीम और बाद में अंडर-16 टीम के लिए हुआ। रशीद दोनों वर्गों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए, जिसके बाद वह डिप्रेशन में चले गए थे। उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया, लेकिन मेरे समझाने के बाद वे फिर से ट्रेनिंग करने लगे और आंध्र प्रदेश की टीम में जगह बनाई। इसके बाद उनके करियर का ग्राफ ऊपर चढ़ता गया और वे देश की अंडर-19 टीम में चुन लिए गए।
पड़ोसियों की खिड़कियों के कांच तोड़ते थे रशीद
बलीशा ने बताया कि गुंटूर में जब वह रहते थे तो रशीद कॉलोनी में ही अन्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते थे। वे शुरू से ही बल्लेबाजी करना पसंद करते थे। कई बार वे इतनी जोर से शॉट मारते थे कि लोगों के घरों दरवाजों और खिड़कियों के कांच टूट जाते थे। लोग इसकी शिकायत उनसे किया करते थे। तब उन्होंने सोचा कि क्यों न उसे क्रिकेट की ट्रेनिंग कराई जाए। फिर रशीद को आंध्र प्रदेश क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन कराने के लिए तैयारी करवाई। बाद में रशीद का सिलेक्शन हैदराबाद में आंध्र प्रदेश की क्रिकेट एकेडमी में हो गया। जिसके बाद पूरा परिवार ही हैदराबाद शिफ्ट हो गया।
विराट कोहली हैं रशीद के फेवरेट क्रिकेटरर
रशीद के पिता ने बताया कि रशीद कोहली को अपना आदर्श मानते हैं। वह उन्हीं की तरह बल्लेबाजी करना चाहते हैं। वह उनके स्टाइल को भी फॉलो करते हैं।
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