बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में मेंस हॉकी के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को करारी शिकस्त दी है। भारतीय टीम 7-0 से मुकाबला हार गई है। इसी के साथ इस मेगा टूर्नामेंट में भारत का गोल्ड जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया। इससे पहले 2010 और 2014 में भी ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत फाइनल में हार गया था। टीम इंडिया 2014 के बाद कॉमनवेल्थ में कोई मेडल अपने नाम कर पाई है। दिलचस्प है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीनों कॉमनवेल्थ फाइनल में भारतीय टीम एक भी गोल नहीं कर सकी।
आगे बढ़ने से पहले पोल में हिस्सा लें।
इसी जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार 7वां गोल्ड मेडल जीत लिया। 1998 से कोई भी टीम ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में पस्त नहीं कर सकी है। कॉमनवेल्थ गेम्स में यह आखिरी इवेंट था। भारत को 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मिले हैं। इस तरह भारत ने कुल 61 मेडल अपने नाम किए। अंक तालिका में भारत चौथे नंबर पर रहा।
ऑस्ट्रेलिया के सामने कहीं टिक नहीं पाई भारतीय टीम
भारतीय डिफेंडर्स ने ऑस्ट्रेलिया के दो पेनल्टी कॉर्नर नाकाम करने में सफलता हासिल की, लेकिन तीसरे प्रयास में ऑस्ट्रेलिया ने गोल कर दिया। ब्लैक गोवर्स ने 9वें मिनट में अपनी टीम का खाता खोला। नेथन एपहार्मस ने 14वें मिनट में फील्ड गोल कर ऑस्ट्रेलिया की बढ़त को दोगुना कर दिया।
22वें मिनट में जैकब एंडर्सन ने पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर ऑस्ट्रेलिया को 3-0 से आगे कर दिया। चौथा गोल टॉम विकहैम ने 26वें मिनट में किया। एंडरसन ने 27वें मिनट में एक और गोल कर दिया।
डीप डिफेंडिंग में भारतीय खिलाड़ी गलतियां कर रहे हैं। इसी वजह से ऑस्ट्रेलिया को अब तक पांच पेनल्टी कॉर्नर मिल चुके हैं। तीन पेनल्टी कॉर्नर तो पहले 10 मिनट में ही मिल गए थे।
2010 और 2014 में फाइनल में पहुंचा था भारत
भारतीय पुरुष हॉकी टीम 2010 के दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स और 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ के फाइनल में पहुंची थी। तब ऑस्ट्रेलिया ने भारत को गोल्ड मेडल के मैच में हराया था। मनप्रीत सिंह की अगुआई में फाइनल से पहले भारतीय टीम ने शानदार खेल दिखाया था। टीम टूर्नामेंट में अजेय रही थी।
पहले मैच में भारत ने घाना को 11-0 से हराया था। वहीं, दूसरे मैच में टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ 4-4 से ड्रॉ खेला था। तीसरा मैच भारत ने वेल्स के खिलाफ 4-1 से जीता था। वहीं सेमीफाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 3-2 से हराया। टीम इंडिया अपने ग्रुप (पूल-बी) में पहले नंबर पर रही थी।
फाइनल से पहले एक भी मैच नहीं हारी थी भारतीय टीम
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