खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मंगलवार से स्विमिंग इवेंट शुरू हो रहें हैं। एक चेहरे या कहें नाम की जबरदस्त चर्चा है। ये हैं- वेदांत माधवन। वेदांत बेहतरीन स्विमर हैं, लेकिन उनकी पहचान फिलहाल पिता आर. माधवन की वजह से ज्यादा है। माधवन जितने कामयाब साउथ इंडियन मूवीज में रहे, उतनी ही सफलता उन्हें बॉलीवुड में भी मिली।
बहरहाल, यहां बात वेदांत की। अकसर वो सोशल मीडिया पर भी सुर्खियों में रहते हैं। हालांकि, उन्हें भारतीय तैराकी के इमर्जिंग स्टार के तौर पर देखा जा रहा है। 2018 में पहला इंटरनेशनल मेडल जीतने के बाद से ही इस खिलाड़ी पर सबकी नजर है।
17 साल के वेदांत जूनियर चैंपियनशिप में देश का परचम लहरा चुके है। डेनिश ओपन 2022 में उन्होंने गोल्ड जीता। 8:17.28 सेकेंड का पर्सनल बेस्ट निकाला। 800 मीटर फ्रीस्टाइल में इंडियन नेशनल रिकॉर्ड 8:00.76 है।
वेदांत ने भास्कर से अब तक के सफर और आगे की चुनौतियों पर बात की। पढ़िए…
पिता बड़े स्टार हैं, आपने ग्लैमर वर्ल्ड क्यों नहीं चुना ?
जरूरी नहीं है कि एक्टर का बेटा भी एक्टिंग ही करे। मैं बचपन से स्विमिंग कर रहा हूं और इसे इन्जॉय करता हूं। मेरे मन में आया कि जो मुझे पसंद है, उसी में करियर बनाना चाहिए। इसमें क्या गलत है, अगर मेरे सपने पिता से अलग हैं।
भारत और विदेश की ट्रेनिंग में क्या फर्क महसूस करते हैं?
भारत और विदेश में स्विमिंग पूल और ट्रेनिंग में अब ज्यादा फर्क नहीं रहा है। ये बहुत फख्र कि बात है कि अब भारत में भी दुबई जैसी ट्रेनिंग दी जाती है। मैं कभी-कभी बेंगलुरु में भी ट्रेनिंग लेता हूं। वहां की ट्रेनिंग दुबई की प्रैक्टिस से ज्यादा अलग नहीं है।
खेलो इंडिया में गोल्ड जीतने की क्या तैयारी है?
2022 में डेनिश ओपन गोल्ड जीतने के बाद कॉन्फिडेंस मिला है। पिछले दो खेलो इंडिया यूथ गेम्स में एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज जीते हैं। कोरोना के दौरान भी बहुत प्रैक्टिस की। खुद पर बहुत काम किया है। जिम और साइकिलिंग के जरिए स्टेमिना बढ़ाया। खुद को फिट रखने की कोशिश की और जब भी मौका स्विमिंग की।
खेलो इंडिया के बाद क्या प्लान क्या है?
इस वक्त मेरा फोकस खेलो इंडिया यूथ गेम्स पर है। इसके बाद कोशिश करूंगा कि यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वॉलीफाई करू। सच कहूं तो मेरा लॉन्ग टर्म गोल ओलिंपिक्स ही हैं।
नाकामी मिली तो क्या सीखा?
मैं माइकल फेल्प्स को आइडियल मानता हूं। हर बार आप कामयाब नहीं होते। इसलिए नाकामी भी गेम का हिस्सा है। इससे सीख कर आगे बढ़ना चाहिए।
वाटर रिच होने के बावजूद इंडिया में इस खेल में मेडल क्यों कम मिलते हैं?
भारत में नदी से लेकर तीनों तरफ समुद्र हैं। यहां वाटर स्पोर्ट्स आसानी से कहीं भी खेला जा सकता है। बोटिंग से लेकर स्विमिंग तक वाटर स्पोर्ट्स के लिए यहां का क्लाइमेट सपोर्ट करता है। ऐसा होने के बावजूद भारत आज तक ओलिंपिक में एक भी मेडल नहीं ला पाया।
कोई खेल पर मेडल निर्भर नहीं करता। बल्कि, इसे जानने पर करता है। लोग स्पोर्ट्स को अपने करियर की तरह नहीं देखते। सब डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं। अगर लोग स्पोर्ट्स में भी अपना करियर बनाने की सोचें तो हम भारतीय भी वाटर स्पोर्ट्स में अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं।
पांच इवेंट में हिस्सा लेंगे वेदांत
वेदांत 5 स्विमिंग इवेंट में हिस्सा लेंगे, इसमें बॉयज 100, 200, 400, 800 और 1500 मीटर फ्रीस्टाइल शामिल हैं।
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