दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आयोजित पांच दिवसीय श्रीकृष्ण कथामृत के दूसरे दिन आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री त्रिपदा भारती ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण निराकार ब्रह्म है।
जो अधर्म, पाप व अत्याचार मिटाने के लिए अवतरित होते रहे हैं। ईश्वर सर्व प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं। द्वापर युग में प्रभु ने इस धरा धाम को अपने चरण कमलों से पावन किया। जब वासुदेव जी ने भगवान की प्रेरणा से अपने पुत्र को लेकर कारागार से बाहर निकलने की इच्छा की। तब द्वार पाल व पुरवासियों की इंद्रिय वृत्तियों की चेतना हरण कर ली। वे सब सो गए। बंदीगृह के द्वार अपने आप खुल गए। जिन पर बड़े बड़े लोहे की जंजीरें और ताले जड़े हुए थे। उनके बाहर जाना भी कठिन था। लेकिन जैसे ही प्रभु को सिर पर धारण किया। सब दरवाजे अपने आप खुल गए। ठीक वैसे ही जैसे सूर्योदय होते ही अंधकार दूर हो जाता है। जो प्रभु का साक्षात्कार कर लेते हैं। उनके लिए मोक्ष के द्वार खुल जातेे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नारी ऐतिहासिक एवं पौराणिक दृष्टि से अपना एक विशेष स्थान बनाए हुए हैं। नारी अबला नहीं सबला है। इस मौके पर शुगर फेड के चेयरमैन हरपाल सिंह, रोशन लाल गर्ग, पवन कुमार, आशीष चक्रपाणी, योगेश दत्ता, बृज भूषण, दिनेश तिवारी, विश्व हिंदू परिषद, संजीव बंसल, अशोक कालड़ा व खाटू श्याम सेवा समिति के सदस्य आदि विशेष तौर पर पहुंचे।
त्रिपदा भारती।
पिहोवा | दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीकृष्ण कथामृत के दूसरे दिन आरती में हिस्सा लेते श्रद्धालु।