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1 मार्च को ऑटो कंपनियों ने पिछले माह के बिक्री के आंकड़े जारी किए। सभी कंपनियों के सेल्स फिगर में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिलेगी। मारुति ने कहा कि उसमें फरवरी में 1.64 लाख से ज्यादा कारें बेचीं, तो एमजी मोटर्स ने 215% की ग्रोथ दर्ज की। वित्तवर्ष 2020-21 खत्म होने के एक महीना बाकी है और ऐसे में यह ग्रोथ क्या संकेत देती है और आने वाले समय से क्या उम्मीद की जा सकती है, यह जानने के लिए हमने फाडा (फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन) के प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी से बात की।
पहला सवाल: ओवरऑल बिक्री के आंकड़ों से क्या समझा जा सकता है?
इससे आम आदमी को यह समझना चाहिए कि ओवरऑल सिचुएशन पहले से बेहतर होती जा रही है। आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गिरावट धीरे-धीरे कम होती जा रही है। साल की शुरुआत में इंडस्ट्री बीएस 4 से बीएस 6 में शिफ्ट हो रही थी। इस कारण जनवरी, फरवरी, मार्च में कंपनियां अपना प्रोडक्शन कम कर दिया था। उसके बाद महामारी का दौर शुरू हो गया, जिस कारण एक-दो महीने बाजार पूरी तरह बंद रहा। जब खुला तो कंपनियों को पहले जैसी सेल्स नहीं मिली, इसलिए आप देख रहे हैं कि बिक्री के आंकड़े धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं।
दूसरा सवाल: पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में इतना उतार-चढ़ाव क्यों है?
लॉकडाउन के कारण बिक्री एक दम ठप हो गई थी। उसके बाद मई से लेकर अगस्त तक पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट ग्रोथ में रहा, क्योंकि इस दौरान हमने रिकवर करना शुरू किया था। किस भी चीज की दोबारा शुरुआत करने में समय लगता है। लेकिन आंकड़ों को देखकर समझा जा सकता है कि गिरावट की दर माह-दर-माह कम होती जा रही है। अक्टूबर के बाद से स्थितियां थोड़ी संभलीं। नवंबर, दिसंबर में हमने बिक्री में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की। उसके बाद सेमी-कंडक्टर्स की कमी के कारण इंडस्ट्री प्रभावित हुई। इसकी शुरुआत दिसंबर में ही शुरू हो गई थी लेकिन असर जनवरी में गिरावट के रूप में देखने को मिली। इसी कारण गाड़ियों पर लंबा वेटिंग पीरियड भी दिया जा रहा है। अगर सेमी-कंडक्टर की कमी नहीं होती तो ग्रोथ 10-15% ऊपर होती। फरवरी में भी 20% की ग्रोथ देखने को मिलेगी।
तीसरा सवाल: महामारी के दौरान सबसे ज्यादा किस कैटेगरी में बूम रहा?
सबसे ज्यादा दो सेगमेंट चले हैं। पहला एंट्री लेवल कारों का सेगमेंट है। महामारी में हुई आर्थिक समस्याओं के कारण लोग छोटी कारों पर शिफ्ट हुए। दूसरा कॉम्पैक्ट कारों का सेगमेंट है। वेन्यू, सोनेट, नेक्सन जैसी कारों की तरफ लोग ज्यादा आकर्षित हुए। इसके दो कारण है। एक तो गाड़ी बहुत छोटी और दूसरा सेफ्टी और कंफर्ट के हिसाब से बढ़िया है, साथ ही ग्राहक को अच्छा फील भी आता है।
चौथा सवाल: महामारी से अछूता क्यों रहा ट्रैक्टर सेगमेंट?
ट्रैक्टर एक ऐसा सेगमेंट था, जिसने लॉकडाउन देखा ही नहीं। पूरे समय ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाज जारी था। माइग्रेंट वर्करों के गांव वापस आने से जिन भी किसानों के पास वर्करों की कमी थी, उन्हें काफी सहयोग मिला। लॉकडाउन के पहले से भी एग्री सेक्टर 6-8 महीने से अच्छा चल रहा है। लॉकडाउन के पहले भी फसलों की बिक्री अच्छी थी। लॉकडाउन के दौरान फूड की सेल बढ़ी है। उस समय सबका फोकस ट्रैक्टर पर था, क्योंकि यह इंडस्ट्री खुली हुई थी। इसी कारण फाइनेंस, सेल्स सभी का ध्यान इसे ओर जाने लगा और इसी का बेनिफिट ट्रैक्टर सेगमेंट को मिला। बीते साल हमारी सारी ग्रोथ एग्रीकल्चर ट्रैक्टर से आई।
पांचवां सवाल: वित्तवर्ष खत्म होने तक क्या उम्मीद की जा सकती है?
पूरे वित्तवर्ष को अगर पिछले वित्तवर्ष से कंपेयर करेंगे तो गिरावट ही मिलेगा, क्योंकि दो महीने पूरी तरह से बंद थे। पैसेंजर व्हीकल में 20-25% की गिरावट रहेगी जबकि टू-व्हीलर में लगभग 30-33% की गिरावट रहेगी, क्योंकि पिछले साल हुई गिरावट को कवर करना मुश्किल है। लेकिन हमें लगता है कि अगले साल से चीजें संभलना शुरू होंगी। 2018-19 ऑटो इंडस्ट्री के लिए अच्छा समय था, तो इस लेवल तक इंडस्ट्री को आने में 2023-24 तक का समय लग जाएगा। फिलहाल मार्केट बहुत अच्छा तो नहीं है लेकिन ग्रोथ कर रहा है। इंडस्ट्री को दोबारा ग्लैमर में आने में लगभग 2 साल का समय तो लगेगा।
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