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ऑटोमोबाइल डीलर्स के संगठन फाडा ने कहा है कि गाड़ियों के डेप्रिसिएशन की रकम के बराबर लोगों को इनकम टैक्स में छूट की सुविधा दी जानी चाहिए। हर साल किसी गाड़ी की कीमत में जो गिरावट आती है, उसे डेप्रिसिएशन कहते हैं।
गाड़ियों की बिक्री बढ़ेगी तो सरकार का जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ेगा
फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बजट में यह प्रावधान करने की मांग की है। फाडा का कहना है कि गाड़ियों के डेप्रिसिएशन पर इनकम टैक्स में छूट मिलने से डिमांड बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे सरकार का जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ेगा।
ऑटो डीलर्स पर लगने वाला 0.1% टीसीएस हटाने की मांग
बजट के लिए अपनी सिफारिशों में फाडा ने ऑटो डीलर्स को टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स (टीसीएस) के दायरे से बाहर करने की भी मांग की है। टीसीएस की दर 0.1% होती है। ऑटो डीलर्स के लिए टीसीएस पिछले साल के बजट में शुरू किया गया था। यह 1 अक्टूबर 2020 से लागू हुआ है।
फाडा का कहना है कि टीसीएस, ऑटोमोबाइल रिटेल इंडस्ट्री पर बड़ा बोझ है। गुलाटी के अनुसार ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भारत की इकोनॉमी का बैरोमीटर है। इसमें 45 लाख लोग काम करते हैं। इसमें सुधार आने पर इकोनॉमी में भी तेजी आएगी।
ज्यादातर डीलर प्रॉपराइटरी या पार्टनरशिप फर्म, इन पर टैक्स घटे
फाडा ने प्रॉपराइटरी और पार्टनरशिप फर्मों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दरों में भी कटौती करने की मांग की है। सरकार ने पिछले साल 400 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25% कर दी थी। यही दर प्रॉपराइटरी और पार्टनरशिप फर्मों पर भी लागू हो, क्योंकि ज्यादातर ऑटो डीलर इसी श्रेणी में आते हैं।
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