2022 में ऑटोमोबाइल कंपनियों ने 37.93 लाख कारें बेचीं। इस मामले में 2018 का रिकॉर्ड टूट गया। चार साल पहले देश में 33.8 लाख कारें बिकी थी। बीते साल का आंकड़ा इससे 12.21% ज्यादा और 2021 के मुकाबले 23.10% ज्यादा है। मारुति सुजुकी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (सेल्स) शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि बीते साल जितनी कारें बिकीं, उनमें 45.30% हिस्सेदारी एसयूवी की रही। यानी हर दूसरे ग्राहक ने एसयूवी खरीदी।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के अधिकारियों के मुताबिक, 2022 में कोरोना काल की अटकी हुई डिमांड निकली। 2021 में भी ये डिमांड थी, लेकिन सेमीकंडक्टर चिप की कमी के चलते कारों की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पाई थी। बीते साल ये समस्या एक हद तक दूर हो गई। इस बीच सभी इंडस्ट्रियल सेक्टर कोविड संबंधी पाबंदियों से पूरी तरह आजाद हो गए। सर्विस सेक्टर भी 2022 में पूरी तरह खुल गया। इसके चलते रोजगार और आमदनी बढ़ने की वजह से भी कारों की बिक्री में जोरदार इजाफा हुआ।
बीते माह इलेक्ट्रिक दोपहिया की बिक्री 28% घटी
दिसंबर में इलेक्ट्रिक दोपहिया की बिक्री 27.88% घटकर 59,554 रह गई। नवंबर में 76,162 दोपहिया की बिक्री हुई थी। वाहन पोर्टल के मुताबिक, अप्रैल-दिसंबर में ई-दोपहिया की बिक्री करीब 5 लाख रही। नीति आयोग ने मार्च 2023 तक 10 लाख ई-दोपहिया की बिक्री का लक्ष्य रखा है। इससे 20-30% कम बिक्री हो पाएगी।
ई-टूव्हीलर पर 1,100 करोड़ रुपए की सब्सिडी अटकी
ई-टूव्हीलर बनाने वाली दर्जनभर कंपनियों की 1,100 करोड़ रुपए की सब्सिडी सरकार ने रोकी हुई है। ‘सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल’ के डायरेक्टर-जनरल सोहिंदर गिल ने बताया कि 2022 के आखिरी दो महीनों में टू-व्हीलर ईवी की बिक्री घटने का एक कारण सब्सिडी फंसना भी है।
मैन्युफैक्चरिंग लागत का अधिकतम 40% सब्सिडी
सरकार ई-दोपहिया पर 15 हजार रुपए प्रति किलो वॉट आवर सब्सिडी देती है। घरेलू उपकरणों के इस्तेमाल जैसे कई मानदंडों के हिसाब से इसकी अधिकतम सीमा लागत का 40% है। वाहनों के दाम में ये सब्सिडी शामिल होती है। सरकार बिक्री के प्रमाण पेश करने पर 45-90 दिनों के भीतर कंपनियों को इसका भुगतान करती है।
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