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फेसबुक प्राइवेसी विवाद:बिना इजाजत यूजर्स का फेशियल डेटा इकट्ठा करना पड़ा भारी, फेसबुक अब यूजर्स को देगी 4.7 हजार करोड़ रु. का मुआवजा
एक अमेरिकी फेडरल जज ने इलिनोइस (Illinois) राज्य में फेसबुक और 16 लाख यूजर्स के बीच प्राइवेसी विवाद को निपटाने के लिए फेसबुक के 650 मिलियन डॉलर (4.7 हजार करोड़ रुपए) के भुगतान को अंतिम मंजूरी दे दी है।
फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा, "हम एक समझौते पर पहुंचकर खुश हैं, इसलिए हम इस मामले को आगे बढ़ा सकते हैं, जो हमारी कम्युनिटी और शेयरधारकों के हित में है।"
क्या था मामला
- शिकागो के अटॉर्नी जे एडेलसन ने 2015 में फेसबुक पर मुकदमा दायर किया। कंपनी पर 2008 इलिनोइस प्राइवेसी लॉ का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से चेहरे की पहचान करने के लिए बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करने का आरोप लगा।
- साल 2018 में क्लास एक्शन सूट के तौर पर मुकदमा दायर किया गया। जनवरी 2020 के अंत में, मुकदमा दर्ज करने में विफल रहने के बाद फेसबुक ने 550 मिलियन डॉलर (करीब 4 हजार करोड़ रुपए) का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की। लेकिन जुलाई 2020 में, मामले में न्यायाधीश, जेम्स डोनाटो ने फैसला सुनाया कि यह राशि अपर्याप्त है।
- मुकदमे के दौरान, यह सामने आया कि फेसबुक इलिनोइस कानून का उल्लंघन कर रहा था। कंपनी फेस टैगिंग फीचर के मदद से बगैर यूजर की सहमति के बायोमेट्रिक डेटा (लोगों के चेहरों के डिजिटल स्कैन) स्टोर कर रही थी। 2019 में, फेसबुक ने प्रस्ताव दिया कि फेशियल रिकॉग्निशन फीचर ऑप्शनल हो।
- डोनाटो के अनुसार, यह एक ऐतिहासिक फैसला है और डिजिटल प्राइवेसी के क्षेत्र में यूजर्स की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। यह देखते हुए कि मुकदमा दायर करने वाले हर यूजर को मुआवजे के रूप $345 (25 हजार रुपए) मिलेंगे, उन्होंने कहा कि यह प्राइवेसी उल्लंघन को लेकर यह अब तक का सबसे बड़ा भुगतान है।