अब जल्द ही देश में 'मेड इन इंडिया' ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) पर स्मार्टफोन चलते हुए दिखेंगे। एंड्रॉयड और iOS जैसे मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को टक्कर देने के लिए IIT मद्रास ने J एंड K ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड स्टार्टअप के साथ मिलकर OS तैयार किया है। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसमें कोई डिफॉल्ट एप नहीं मिलते हैं।
इस स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम BharOS रखा गया है। यूनियन आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव और यूनियन एजुकेशन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को BharOS का परीक्षण किया। उन्होंने एक वीडियो कॉल का हिस्सा बनते हुए इसे ग्रीन सिग्नल दिया। आइए जानते हैं इस ऑपरेटिंग सिस्टम की खासियत...
नहीं मिलेंगी कोई प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स
उपयोग कौन करेगा?
इसे फ्री और ओपन-सोर्स रखा गया है। आने वाले समय में आम नागरिक और सरकारी एजेंसियां भी बिना किसी रोक-टोक इसका उपयोग कर सकेंगे।
BharOS से फायदा क्या होगा?
BharOS के यूजर्स बढ़ने से भारत में iOS और एंड्रॉयड पर निर्भरता कम होगी। लोगों के स्मार्टफोन में अमेरिकी टेक कंपनी के गैरजरूरी एप नहीं डाले जाएंगे। भारत के इस ओएस से एप डेवलपर्स को भी मदद मिलेगी, उन्हें बड़ी टेक कंपनियों पर अपने एप को जारी करने की निर्भरता नहीं रहेगी। सरकार को भी इससे राजस्व मिलेगा।
BharOS कितना सुरक्षित?
Jandk ऑपरेशन के डायरेक्टर कार्तिक अय्यर ने बताया कि BharOS को नेटिव 'ओवर द एयर' (OTA) अपडेट्स दिए जाएंगे। यानी कि सॉफ्टवेयर का लेटेस्ट वर्जन अपने-आप फोन में अपडेट हो जाएगा। यह ऑपरेटिंग सिस्टम सिर्फ प्राइवेट ऐप स्टोर सर्विजेस (PASS) के साथ विश्वसनीय एप्स को ही एक्सेस देता है। दरअसल, PASS उन एप्स को ही स्मार्टफोन में एक्सेस देता है जो सुरक्षा और गोपनीयता स्टैंडर्ड को पूरा करता हो। यह स्मार्टफोन को मालवेयर या ऐसे खतरों से पूरी तरह सुरक्षित रखता है।
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