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नेशनल टेक डे:ड्रोन नजर रखने के साथ मैसेज पहुंचा रहे और डिलिवरी भी कर रहे, UV प्रोडक्ट्स वायरस मिटा रहे; काम आ रही ये 8 टेक्नोलॉजी

नई दिल्ली2 वर्ष पहले
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कोविड-19 महामारी ने देश के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कई इंडस्ट्री और प्लांट अस्थाई तौर पर बंद हो चुके हैं। खाद्य सामग्री की कीमतें आसमान छू रही हैं। अब लोगों का घरों में रहना और मास्क लगाना ही संक्रमण की कड़ी को तोड़ना का एकमात्र तरीका बचा है।

वैसे, महामारी से लड़ने में टेक्नोलॉजी पिछले साल से ही मददगार साबित हुई है। टेक्नोलॉजी का ही कमाल है कि लोगों के कई काम घर से बाहर निकलने बिना हो रहे हैं। नेशनल टेक डे के मौके पर हम आपको ऐसी ही टेक्नोलॉजी के बारे में बता रहे हैं।

1. ड्रोन का मल्टीपल इस्तेमाल

कोरोना वायरस से लड़ाई में ड्रोन सबसे जरूरी हथियार साबित हुआ है। जगह और मौके के हिसाब से इसका इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जा रहा है। ड्रोन की वजह से संक्रमण की कड़ी तोड़ने में भी मदद मिल रही है।

  • लोगों पर नजर रखना : देश के कई राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है। इसके बाद भी लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। बड़े शहरों के सभी इलाकों पर पुलिस लगातार नजर नहीं रख सकती। ऐसे में वो ड्रोन की मदद ले रही है। ड्रोन हाई रेजोल्यूशन कैमरा की मदद से आसमान से लोगों पर नजर रखता है। जब ड्रोन ऊपर होता है तब लोगों के मन में बाहर निकलने का डर भी होता है।
  • लोगों तक अपनी बात पहुंचाना : ड्रोन का दूसरा इस्तेमाल इसमें माइक लगाकर लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में किया जा रहा है। मुंबई की धारावी में जहां घनी आबादी है और महामारी के दौर में वहां नहीं जा सकते। ऐेसे में ड्रोन में माइक लगाकर पुलिस लोगों को अलर्ट कर रही है। साथ ही, जरूरी आदेश भी उन तक पहुंचा रही है।
  • ड्रोन से हो रही डिलिवरी : कई कंपनियों ने ड्रोन की मदद से सामान की डिलिवरी भी शुरू कर दी है। हालांकि, ये डिलिवरी बेंगलुरु, पुणे जैसे अन्य शहरों में हो रही है। लोगों के घरों तक जरूरी सामान ड्रोन की मदद से बेहद कम समय में पहुंचाया जा रहा है। इससे संक्रमण का खतरा पूरी तरह टल गया है।

2. अल्ट्रा वाइलेट डिवाइसेस का इस्तेमाल

बाजार में अल्ट्रा वाइलेट (UV) किरण वाले कई प्रोडक्ट्स आ चुके हैं। ये प्रोडक्ट्स इस रेज की मदद से वायरस को पूरी तरह खत्म कर देते हैं। इन प्रोडक्ट्स में स्मार्टफोन केस, वेजिटेबल बॉक्स, वाइपर्स, LED बल्ब या दूसरी लाइट, हैंड UV सैनेटाइजर, मास्क जैसे कई प्रोडक्ट्स शामिल हैं। अल्ट्रा वायलेट किरणों में ज्यादा ऊर्जा होती है। ये जिंदा कोशिकाओं के डीएनए या आरएनए को नष्ट करने में बहुत कारगर होती हैं।

3. स्मार्टवॉच से हेल्थ पर नजर

कोविड-19 महामारी से बचने के लिए ब्लड प्रेशर (BP), ब्लड में ऑक्सीजन लेवल और हार्ट रेट का नॉर्मल रहना भी जरूरी है। इन इन सभी काम को स्मार्टवॉच की मदद से किया जा रहा है। इन वॉच में इस काम के लिए अलग-अलग सेंसर होते हैं जो स्किन और नसों से संपर्क करके इनकी सटीक जानकारी देते हैं। खास बात है कि इन सभी काम के लिए जहां अलग-अलग मशीनों की आवश्यकता होती है, उसे स्मार्टवॉच अकेले कर देती है। इन सभी फीचर्स वाली स्मार्टफोन को महज 3500 रुपए में खरीद सकते हैं। ये हेल्थ को मॉनीटर करके तुरंत अलर्ट करती हैं।

4. डेटा जुटा रही GIS टेक्नोलॉजी

जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम ऐसी टेक्नॉलजी है जिसका काम डेटा को जुटाकर उसे मैनेज और विश्लेषण करती है। इसके फ्रेमवर्क के साथ लैटीट्यूड और लॉन्गीट्यूड अटैच होते हैं। ये कम्प्यूटर बेस्ड टूल है जो अलग-अलग सोर्स से डेटा और लोकेशन को मल्टीपल लेयर में बांटता है। यह एक वर्चुअल डैशबोर्ड बनाता है जिसमें सारी जानकारी देखी जा सकती है। ये टेक्नोलॉजी बहुत कुछ गूगल मैप्स की तरह काम करता है। जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम भारत सरकार के साथ काम कर रही है।

5. मोबाइल ऐप्स ने खतरा कम किया

कोविड-19 महामारी से लड़ाई में मोबाइल ऐप्स का भी बड़ा योगदान रहा है। आरोग्य सेतू ऐप इस बात का अलर्ट देती है कि आप किसी कोरानो पॉजिटिव के संपर्क में तो नहीं आए। वहीं, आप जिस एरिया में जाने वाले हैं वहां संक्रमण कि स्थिति क्या है, इसका पता गूगल मैप्स से लगा सकते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन ग्रॉसरी ऐप्स की वजह से लोगों का घर से निकलना कम हुआ है। उन्हें घर बैठे-बैठे सभी तरह की सुविधाएं ऐप्स की मदद से मिल रही है।

6. नो कैश, ओनली डिजिटल पेमेंट

संक्रमण को तोड़ने के लिए पैसों का आदान-प्रदान नहीं होने भी सबसे जरूरी था। ऐसे में डिटिलल पेमेंट की वजह से ये काम भी आसान हुआ है। पेटीम, फोनपे, गूगल पे, मोवीक्विक के साथ अलग-अलग बैंकों के ऐप्स ने इस काम को आसान किया है। लोग QR कोड को स्कैन कर आसानी से पेमेंट कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं, होम डिलिवरी वाले आइटम पर भी डिजिटल पेमेंट होने से संक्रमण की कड़ी टूट रही है।

7. वर्क फ्रॉम होम को टेक्नोलॉजी ने आसान किया

देश भर में कई कंपनियों ने अपने एम्पलाई को वर्क फ्रॉम होम दे रखा है। इससे एक तरफ जहां एम्पलाई संक्रमण से बच रहा है, तो दूसरी तरफ कंपनी के खर्च में भी कमी आई है। वहीं, कई टेक प्रोडक्ट्स और ऐप्स ने होम वर्किंग को आसान बनाया है। अब गूगल मीट, हैंगआउट्स, जूम जैसे कई ऐप्स की मदद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जा सकती है। इन पर मीटिंग के दौरान प्रेजेंटेशन या फाइल भी शेयर कर सकते हैं। इसके साथ, पोर्टेबल वाई-फाई डिवाइस, वायरलेस कीबोर्ड और माउस, वायरले हेडफोन, ईयरबड्स जैसे प्रोडक्ट्स ने काम को ज्यादा आसान बना दिया है।

8. स्कूल-कॉलेज बंद, पढ़ाई चालू

कोरोना की वजह से स्कूल और कॉलेज को बंद हुए एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन इस दौरान पढ़ाई बंद नहीं हुई। इसका पूरी क्रेडिट भी टेक्नोलॉजी को ही जाता है। वीडियो क्रॉन्फ्रेसिंग ऐप्स और सॉफ्टवेयर, बजट स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। कोरोना के बहाने बच्चों ने टेक्नोलॉजी को ज्यादा बेहतर तरीके से समझा है। वे अब टेक फ्रेंडली हो गए हैं। जिन बच्चों के पेरेंट्स टेक्नोलॉजी को नहीं समझते थे, वे भी अब इसे जानने लगे हैं।