इंटरनेट और सोशल मीडिया की दुनिया जितनी जादुई है, उतनी ही डरावनी भी है। अगर इस दुनिया के नियम-कायदे आपको पता नहीं हों तो सोशल मीडिया पर महिलाओं और बच्चों के लिए साइबर बुलींग का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। ऐसे में इन खतरों के बारे में जानकारी जरूर होना चाहिए।
क्या होती है साइबर बुलींग?
इंटरनेट या सोशल मीडिया पर किसी को डराने-धमकाने या बदमाशी जैसी गतिविधियों को साइबर बुलींग माना जाता है। इसमें ईमेल या वॉट्सऐप के जरिए गंदे और अपमानजनक मैसेज से लेकर फेक ऑनलाइन प्रोफाइल बनाकर धमकाना और ब्लैकमेल करना तक शामिल है। दुनियाभर में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे साइबर बुलींग का शिकार बनते हैं।
साइबर बुलींग क्यों होती है खतरनाक?
ऑनलाइन अपराधों में साइबर बुलींग को काफी खतरनाक समझा जाता है, क्योंकि इसके शिकार ज्यादातर बच्चे बनते हैं। जिन पर इस तरह के बुरे अनुभव का असर ताउम्र रहने का खतरा रहता है। साइबर बुलींग के खतरनाक होने की एक वजह यह भी है कि सोशल मीडिया पर अफवाहें तेजी से फैलती हैं। किसी को सोशल मीडिया के जरिए बदनाम करना आसान होता है। सबसे बड़ी परेशानी ये कि इन प्लेटफॉर्म से किसी गलत पोस्ट को हटाना मुश्किल होता है और ज्यादातर केस में पीड़ित लोगों को सही रास्ता पता नहीं होता।
क्या करें जिससे आपके साथ ऐसे हादसे ना हों?
कुछ बातें ध्यान में रखकर साइबर बुलींग से बचा जा सकता है। सोशल मीडिया पर अपना दायरा सीमित रखें, उन लोगों से ही दोस्ती रखें, जिन्हें आप जानते हों। साथ ही, अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स का हमेशा रिव्यू करते रहें। कोशिश करें कि हर 3-4 महीने में पासवर्ड बदलें और हर सोशल मीडिया अकाउंट के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखें। इंटरनेट पर ऐसी तस्वीरें, ऐसी डिटेल्स ना डालें, जिसका गलत उपयोग आपके खिलाफ हो सकता हो।
क्या करना चाहिए अगर आपके साथ ऑनलाइन अब्यूज हुआ हो?
अगर आप या आपके परिवार के साथ साइबर बुलींग हुई हो तो कुछ बातों का ख्याल रखें। सबसे पहले तो घर में किसी बड़े और जिम्मेदार व्यक्ति को हादसे की जानकारी दें। साइबर बुलींग के खिलाफ लड़ने के लिए सबसे जरूरी होते हैं सबूत। साइबर बुलींग पोस्ट या प्रोफाइल के स्क्रीनशॉट्स लेकर रख लें। साथ ही साइबर बुलींग पोस्ट या प्रोफाइल को ब्लॉक और रिपोर्ट करें।
अपने कानूनी अधिकारों के बारे में भी जानकारी रखें। साइबर बुलींग या ऑनलाइन अब्यूज के हादसों में IT एक्ट 2000 के तहत FIR दर्ज कराई जा सकती है। अगर इस तरह की वारदात महिलाओं के विरुद्ध है तो IPC के सेक्शन 354A और 354D के तहत शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
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