नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हरियाणा के जींद, करनाल और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले को भी शामिल किया गया है। एनसीआर में दिल्ली के अलावा शामिल जिलों की संख्या अब 22 हो गई है। यह क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यूपी सरकार मथुरा सहित 5 और जिलों को एनसीआर में शामिल कराना चाहती थी, लेकिन सिर्फ मुजफ्फरनगर को ही मंजूरी मिल सकी।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड की दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक की अध्यक्षता करने के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बताया कि मथुरा के बारे में राज्य सरकार ने अपना पक्ष नहीं रखा है। हालांकि इस पर आगे विचार के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
बैठक में सदस्य राज्यों में से केवल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ही पहुंचे। जबकि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा। दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग भी बैठक में नहीं पहुंचे।
बैठक में हुए फैसले
- हरियाणा के फरीदाबाद , गुडगांव के बीच मांगर गांव के पास 500 मीटर वन को बफर जोन घोषित किया गया। इसमें कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकेगा।
- दिल्ली-अलवर रैपिड रेल गलियारे को औद्योगिक क्षेत्र सोटानाला तक बढाने का भी फैसला लिया गया।
एनसीआर में अब कितने जिले, कितनी आबादी?
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुल 22 जिलों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किया जा चुका है।
हरियाणा | झज्जर, पलवल, सोनीपत, गुड़गांव, पानीपत, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, करनाल और जींद। राज्य का 57% क्षेत्र एनसीआर में। |
उत्तर प्रदेश | मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, बागपत और हापुड़। |
राजस्थान | अलवर और भरतपुर। |
कितनी दूरी वाले इलाके एनसीआर में हैं शामिल?
दिल्ली से सबसे ज्यादा 175 किलाेमीटर दूर राजस्थान का अलवर है जिसे एनसीआर में शामिल किया जा चुका है। यही वजह है कि दिल्ली से 133 किमी दूर करनाल, जबकि 140 किमी दूर जींद और 129 किमी दूर मुज़फ्फरनगर को एनसीआर में शामिल किए जाने की दावेदारी पुख्ता थी।
अब हरियाणा के 13, उत्तर प्रदेश के 7 और राजस्थान के 2 जिले एनसीआर में हैं। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार मुजफ्फरनगर के अलावा पांच और जिलों मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, बिजनौर और शामली को भी एनसीआर में शामिल करना चाहती थी।
एनसीआर में नए जिलों काे शामिल करने का क्या है मकसद और फायदा?
1985 में बने कानून के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थापना की गई थी। दिल्ली के अासपास के इलाकों में जमीन के इस्तेमाल पर नियंत्रण करना और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना इसका मकसद है। केंद्र सरकार का शहरी विकास मंत्रालय नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड के जरिए इन जिलों को विकास योजनाओं में सीधे नियंत्रित करता है।
1. नए जिलों को एनसीआर में शामिल करने से दिल्ली में प्रवासियों का दबाव करने में मदद मिलेगी। मुंबई में पिछले 10 साल में आबादी जहां 15% बढ़ी, वहीं दिल्ली की आबादी में 34% का इजाफा हुआ।
2. आसपास के इलाकों की जमीन और पानी जैसे संसाधनों का दिल्ली को भी फायदा मिलेगा।
3. जिलों के विकास, स्मार्ट सिटी और मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट पर अमल में तेजी होगी। फंड भी ज्यादा मिलेगा।
4. रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का फायदा होगा। दिल्ली-पानीपत के बीच 111 किमी, दिल्ली-अलवर के बीच 180 किमी और दिल्ली-मेरठ के बीच 90 किमी का कॉरिडोर बनेगा।
5. नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड अब तक एनसीआर के विकास के लिए 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन दे चुका है। इसकी योजनाएं सफल रही हैं। लोन की 100% रिकवरी का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है।