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इस समय अगर आप कहीं निवेश करने का प्लान बना टैक्स-फ्री बांड में निवेश कर सकते हैं। इसे निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। इसमें निवेश के जरिए आप सुरक्षित रिटर्न पा सकते हैं। इसमें जमा पैसे पर आप टैक्स बेनीफिट ले सकते हें। आज हम आपको टैक्स फ्री बांड के बारे में बता रहे हैं।
क्या होता है टैक्स फ्री बांड
यह एक तरह का डेट इंस्ट्रुमेंट होता है। कंपनियों को जब अपने बिजनेस के विस्तार के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह इस तरह के डेट इंस्ट्रुमेंट जारी करती है, जिसे बांड कहा जाता है। बांड शेयर बाजार में लिस्टेड होता है। टैक्स फ्री बांड सामान्य बांड से अलग होता है क्योंकि इसके रिटर्न पर टैक्स नहीं लगता है।
कौन जारी करता है टैक्स फ्री बांड?
आमतौर पर टैक्स फ्री बांड सरकार की सपोर्ट से चलने वाली कंपनियां ही जारी करती हैं। इन कंपनियों को इनकम टैक्स की धारा 1961 के तहत टैक्स फ्रीबांड जारी करने की अनुमति मिलती है। सार्वजनिक उपक्रमों की कंपनियां भी टैक्स फ्री बांड जारी करती हैं, जैसे एचएचआई, एनटीपीसी, एनएचपीसी, हुडको आदि।
टैक्स फ्री बांड के लाभ
टैक्स फ्री बांड पर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स छूट मिलती है। आमतौर पर एफडी, एनएससी और दूसरे बांड पर ब्याज से होने वाली आय पर टैक्स देना होता है, जबकि टैक्स फ्री बांड के ब्याज से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। हालांकि, प्रिंसिपल मनी पर किसी भी तरह की छूट नहीं मिलती है। शेयर बाजार में लिस्ट होने से निवेश में तरलता होती है। डीमैट के रूप में मिलने से इसे संभालना या मॉनिटर करना भी आसान होता है। इसमें अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।
इसमें रहता है लॉक इन पीरियड
टैक्स सेविंग बांड पर आम तौर पर कम से कम 5 साल का होता है। वहीं, कुछ पर इससे ज्यादा लॉक इन पीरियड होता है।
किसके लिए बेहतर
टैक्स फ्री बांड उनके लिए सही माना जाता है जो निवेश पर फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा ब्याज चाहते हैं, लेकिन रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इन पर स्थिर लेकिन सुरक्षित रिटर्न मिलता है।
इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश
टैक्स फ्री बॉन्ड एक्सचेंज पर मिलते हैं। तो आप इन बॉन्ड को बॉम्ब स्टॉक एक्सचेंज और निफ्टी स्टॉक एक्सचेंज से खरीद सकते हैं। सभी बॉन्ड एक ब्याज दर ऑफर करते हैं, जिस दर के हिसाब से सालाना ब्याज का भुगतान किया जाता है।
टैक्स फ्री बांड्स और टैक्स सेविंग बांड्स में है अंतर
कई लोगों को लगता है टैक्स फ्री बांड्स और टैक्स सेविंग बांड्स एक ही होते हैं लेकिन ये सही नहीं है। ये दोनों अलग-अलग हैं। टैक्स सेविंग बांड के मामले में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCF के तहत टैक्स बेनीफिट मूल राशि पर मिलता है, जो एक वित्त वर्ष में इन बांडों में निवेश की जाती है।
दूसरी ओर टैक्स फ्री बांड्स में होने वाली ब्याज इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। इन बांड में निवेश पर मिलने वाली इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता, जबकि टैक्स सेविंग बांड के ब्याज पर टैक्स लगता है।
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