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यूटिलिटी डेस्क. रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में अब बायोडिग्रेडेबल बोतल (रेल नीर) में पानी मिलेगा। लखनऊ से दिल्ली के बीच चल रही देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस में बायोडिग्रेडेबल बोतलें दी जा रही हैं। जनवरी से सभी एक्सप्रेस ट्रेनों और जंक्शन स्टेशनों पर ऐसी बोतलों में पानी देने की तैयारी है। आईआरसीटीसी ने पैकेजिंग के लिए बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल से करने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि बायोडिग्रेडेबल बोतल कुछ समय बाद खुद ब खुद नष्ट (डिग्रेड) हो जाती हैं। रेलवे की बाटलिंग प्लांट में ऐसी बोतलें बनने लगी हैं।
1) दुनियाभर में बढ़ रहा प्लास्टिक प्रदूषण
रेल नीर से रेलवे को साल में करीब 176 करोड़ रुपए की कमाई होती है। जो रेलवे की कुल आय का 7.8 फीसदी है। रेल नीर के लिए रेलवे के पास अभी तक देशभर में 10 प्लांट हैं, जिनकी क्षमता 10.9 लाख लीटर प्रतिदिन है। रेलवे जल्द ही 6 नए प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा रेल नीर के 4 नए प्लांट 2021 तक लाने के लिए कंपनी के बोर्ड ने मंजूरी दे दी है।
पश्चिम रेलवे ने पहली बार मुंबई राजधानी एक्सप्रेस में एक पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) बॉटल क्रशिंग मशीन लगाई है। यह मशीन प्रति दिन 3,000 बोतलों को कुचल सकती है। ये मशीन भारतीय रेलवे के स्वच्छ भारत और गो ग्रीन मिशन के तहत लगाई गई है।
सरकार इस साल 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम्स पर प्रतिबंध लगाना चाहती थी लेकिन अर्थव्यवस्था में पहले से मौजूद सुस्ती और कर्मचारियों की छंटनी की वजह से आशंका है कि प्लास्टिक पर बैन से स्थिति और बिगड़ सकती है। इस कारण सरकार ने इनपर रोक लगाने की बजाए इन चीज़ों के इस्तेमाल रोकने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ रहा है, जो सबसे ज्यादा नुकसान समुद्र को पहुंचा रहा है। यहां करीब 50 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट पहुंचता है, जिससे मरीन लाइफ प्रभावित हो रही है और यह प्लास्टिक ह्यूमन फूड चेन तक पहुंचा रहा है।
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