सेवाओं में हुई चूक के लिए भी कंपनी को देना होता है हर्जाना, उपभोक्ता फोरम में कर सकते हैं शिकायत

3 वर्ष पहले
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यूटिलिटी डेस्क. केवल उत्पादों की गुणवत्ता या ख़रीदारी में मिले धोखे के लिए ही उपभोक्ता फोरम से मदद नहीं मिलती, सेवाओं में हुई चूक का भी हर्जाना मांगा जा सकता है। आम हम आपको ऐसे ही कुछ मामलों और उपभोक्ताओं को मिलने वाले अधिकारों के बारे में बता रहे हैं।

1) उपभोक्ता के अधिकारों से जुड़े मामले

रिया* ने एक मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी ली और उसके कुछ समय बाद उसे सोरायसिस की शिक़ायत हो गई। इलाज लंबा चला लेकिन क्लेम के लिए जब उसने इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क किया तो कंपनी ने यह कहकर भुगतान करने से इंकार कर दिया कि आपको यह बीमारी इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले से थी। ऐसी स्थिति में हार मानने के बजाय रिया ने उपभोक्ता फोरम में स्वास्थ्य बीमा कंपनी के विरुद्ध आवेदन कर दिया। उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को दोषी मानते हुए इलाज में लगे खर्च के अलावा तीस हज़ार रुपए मानसिक प्रताड़ना के हर्जाने के रूप में देने का भी आदेश दिया।

अक्सर लोग उन कंपनियों के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में शिक़ायत कर देते हैं जिनसे उन्होंने कोई वस्तु ख़रीदी होती है। इसके प्रति जागरूक उपभोक्ताओं की संख्या भी लगभग 40 फीसदी है लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की सेवा प्रदाता संस्थाओं के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में 1 फीसदी से भी कम लोग अपनी शिक़ायत दर्ज कराते हैं। लोग इस तरह के मामलों से बचना पसंद करते हैं। इस स्थिति से बचने के बजाय यदि एक जि़म्मेदार नागरिक की तरह अपने दायित्व को निभाते हुए सही समय पर शिक़ायत करेंगे तो न केवल आपकी समस्या का समाधान होगा बल्कि कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। बिजली, पानी, सड़क, रेल आदि कहीं भी आपको सेवाओं का मोल चुकाने के बाद उचित सेवा न मिले, या कोई नुक़सान हो, तो आप उपभोक्ता फोरम में शिक़ायत कर सकते हैं। सेवा से जुड़े सारे प्रमाणों, जैसे बिल, टिकट आदि को सम्भालकर रखें।

इसी तरह एक कॉलोनी में रहने वाले प्रकाश शर्मा* के घर में लगे नल से पानी की आपूर्ति अक्सर ही बाधित रहती थी। वे बराबर बिल का भुगतान करते रहे। उन्होंने कई बार नगर निगम को पानी न मिलने की सूचना दी। सुनवाई न होने पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में शिक़ायत कर दी। इसके बाद न सिर्फ़ नगर निगम ने उनकी समस्या को दूर किया बल्कि उपभोक्ता फोरम के कहने पर उन्हें पांच हज़ार रुपए की क्षतिपूर्ति भी दी।

5) उपभोक्ताओं को मिले अधिकार व उनसे जुड़ी खास बातें..

टीवी पर आने वाले विज्ञापनों को देखकर भी कई बार लोग किसी उत्पाद को मंगा लेते हैं, जो बाद में बताए दावे के अनुसार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में भी उपभोक्ता फोरम में शिक़ायत की जा सकती है। प्री लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक़ केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी (सीसीपीए ) झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चरर या एंडोर्सर पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकती है। दोबारा अपराध की स्थिति में यह जुर्माना 50 लाख रुपए तक बढ़ सकता है। उत्पाद निर्माता को दो वर्ष तक की कैद की सज़ा भी हो सकती है जो हर बार अपराध करने पर पांच वर्ष तक बढ़ सकती है।

कांता देवी* एक बुजु़र्ग महिला हैं जिनका पूरा परिवार गैस सिलेंडर फटने के हादसे की भेंट चढ़ गया। उन्होंने समय पर गैस वितरक कंपनी को शिक़ायत नहीं की तो उन्हें कोई मुआवज़ा नहीं मिला। यदि इन्हें कोई समय पर बता देता तो भले इनके परिजन तो वापस नहीं आ सकते थे लेकिन बचा हुआ जीवन जीने के लिए कुछ सहयोग राशि मिल सकती थी। वे गैस कम्पनी से क्षतिपूर्तिप्राप्त कर सकती थीं। यह तीनों ही किस्से बताते हैं कि अधिकारों का मूल्य तभी है जब आप उनका इस्तेमाल करते हैं। टीवी पर अक्सर ‘जागो ग्राहक जागो’ का संदेश दिखाया जाता है लेकिन जागते हुए ग्राहक या उपभोक्ताओं की संख्या इक्का-दुक्का ही है। एक उपभोक्ता के तौर पर उनके अधिकार क्या हैं, लोग यह जानने का प्रयास ही नहीं करना चाहते। जबकि एक जागरूक उपभोक्ता न सिर्फ़ अपने अधिकारों का सही उपयोग कर सकता है बल्कि वह अन्य लोगों के अधिकारों के प्रति भी सेवा प्रदाता संस्थान को अपने दायित्व पूरे करने के लिए बाध्य करता है। (*परिवर्तित नाम)

  • कोई भी बीमा पॉलिसी लेते समय उसकी सारी शर्तों को अच्छी तरह पढ़कर और समझकर ही ख़रीदिए।
  • अगर एलपीरी कनेक्शन लिया है और कोई दुरजाटना होती है तो उसकी सूचना पांच दिन के अंदर गैस वितरक एरेंसी को देनी चाहिए। पीहित उपभोक्ता मुआवज़ा पाने का अधिकारी होता है।
  • अगर शासकीय या निजी अस्पताल में किसी तरह की चिकित्सकीय लापरवाही के कारण उपभोक्ता को स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पिता है तो उसकी शिक़ायत भी वह उपभोक्ता फोरम में कर सकता है।
  • अगर ऑनलाइन कोई सामान ख़रीदा है तो उसके लिए ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स भी यह कहकर अपने दायित्व से नहीं बच सकती हैं कि वह सिर्फ़ माध्यम हैं, क्योंकि उनके विज्ञापन को देखकर ही एक उपभोक्ता ने सामान मंगाया था। इसलिए उन पर शिक़ायत दर्ज कराना बिल्कुल जायज़ है।
  • जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं की बिक्री के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार।
  • ख़रीदी गई वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, रैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार, ताकि उपभोक्ताओं को ग़लत व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके ।
  • जहां तक संभव हो उचित मूल्यों पर विभिन्न प्रकार के सामान तथा सेवाओं तक पहुंच का आश्वासन।
  • उपभोक्ताओं के हितों पर विचार करने के लिए बनाए गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार।
  • अनुचित व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटारे का अधिकार।
  • सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार।
  • अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार।

किसी व्यापारी द्वारा यदि उपभोक्ता को हानि हुई है, ख़रीदे गए सामान में यदि कोई ख़राबी है, किराए पर ली गई सेवाओं में कमी पाई गई है, विक्रेता ने आपसे प्रदर्शित मूल्य से अधिक मूल्य लिया है तो वो इसकी शिक़ायत कर सकता है। इसके अलावा अगर किसी कानून का उल्लंघन करते हुए जीवन तथा सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा ला रहा है तो आप उपभोक्ता फोरम में शिक़ायत दर्ज करवा सकते हैं।