यूटिलिटी डेस्क. पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश में 14 जगहों पर पानी पर हवाई अड्डे (वाटर एयरोड्रोम) बनाए जाएंगे। इनमें से ज्यादातर जगह पर्यटक स्थल या आइलैंड पर स्थित हैं। इन हवाई अड्डों से सी-प्लेन उड़ान भरेंगे। यह जानकारी केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दी है। गुजरात में 4, असम में 2, उत्तराखंड में 1, महाराष्ट्र में 2, तेलंगाना में 1, अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर 4 स्थानों पर पानी के हवाई अड्डों की स्थापना की जाएगी।
1) इस योजना से जुड़ी खास बातें...
जिन स्थानों पर इन हवाई अड्डों की स्थापना की जाएगी उनमें गुजरात के स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार सरोवर बांध, साबरमती रिवर फ्रंट अहमदाबाद, धरोज बांध, शत्रुंजय बांध, असम के उमरांगसू जलाशय, गुवाहाटी रिवर फ्रंट, उत्तराखंड का टिहरी बांध, महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले का इरई बांध, नागपुर का खिंडसी बांध, तेलंगाना का नागार्जुन सागर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह का लॉग आईलैंड, नील आईलैंड (शहीद द्वीप), हैवलॉक आईलैंड (स्वराज द्वीप), हटबे शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इन हवाई अड्डों के निर्माण के लिए नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार इन हवाई अड्डों से सी-प्लेन की उड़ान के लिए सात प्रस्ताव अवार्ड किए गए हैं। इसके लिए बोली प्रक्रिया तीसरे दौर में चल रही है। यह हवाई मार्ग अंडमान निकोबार, आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, मेघालय, तेलंगाना में तय किए गए हैं।
यह हवाई अड्डे पानी में खुले स्थान पर बनाए जाते हैं जहां पर सी-प्लेन आराम से लैंड और टेकऑफ हो सकें। इन हवाई अड्डों पर विमानों के संचालन के लिए पानी के किनारे एक भवन का निर्माण किया जाता है और विमानों को पार्क करने के लिए जेट्टी या डॉक का निर्माण किया जाता है। सी प्लेन को एम्फीबियन विमान के नाम से भी जाना जाता है।
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