कथा वाचक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर जादू-टोना करने और अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा है। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने अपने ऊपर उठ रहे आरोपों पर सफाई दे दी है। हम उन पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं।
लेकिन ये बात भी सच है कि देश में नकली बाबाओं की भी कमी नहीं है। काफी लोग जादू-टोने पर यकीन रखते हैं। कई जगहों पर औरतों को डायन बताकर उनके साथ अत्याचार किया जाता है।
आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि नकली बाबाओं के खिलाफ कहां शिकायत की जा सकती है, क्या हमारे देश में जादू-टोने के खिलाफ कोई कानून है, अगर किसी महिला को डायन बताकर उसके साथ अत्याचार किया जा रहा है तब वो किसकी मदद ले सकती है…
आज के हमारे एक्सपर्ट हैं…
सबसे पहले जान लीजिए विश्वास और अंधविश्वास में फर्क… विश्वास वो फीलिंग है जो किसी इंसान या सिद्धांत को परखने के बाद उस पर किया जाता है। यह एक विचार है जिसे हम सही मानते हैं। इसके पीछे लॉजिक होता है। अंधविश्वास एक ऐसा विश्वास है जिसके पीछे कोई तर्क नहीं होता। उन प्रथाओं और मान्यताओं को निभाना जिनके पीछे कोई साइंटिफिक वजह नहीं है अंधविश्वास होता है।
सवाल: लोग क्यों इतनी आसानी से बाबाओं और तांत्रिकों के जाल में फंस जाते हैं?
जवाब: ऐसा इन तीन वजहों से होता है…
बाबा के जाल में फंसने से हो सकती हैं ये समस्याएं…
सवाल: आखिर कैसे हम खुद को और अपने आसपास वाले लोगों को अंधविश्वास में पड़ने से बचा सकते हैं?
जवाब: इन तीन चीजों के जरिए अंधविश्वास के जाल में फंसने से बचा जा सकता है…
सवाल: क्या इस तरह के मामलों से निपटने के लिए देश में कोई कानून है?
जवाब: अंधविश्वास के मामलों के लिए पूरे देश में अलग से कोई कानून नहीं है। इसके लिए आप आईपीसी की इन तीन धाराओं का सहारा ले सकते हैं…
अंधविश्वास विरोधी बिल लागू करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है। डिटेल्स पढ़िए क्रिएटिव में
इन 10 चीजों को चमत्कार नहीं चीटिंग मानता है कानून
चमत्कार के नाम पर यह सभी काम करना कानून की नजर में चीटिंग है और ऐसा करने वाले व्यक्ति को सजा और जुर्माना भरना पड़ सकता है –
सवाल: कई बार बसों में या दूसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ‘सौतन से छुटकारा पाएं, खोया प्यार वापस पाएं’ जैसे विज्ञापन लगे रहते हैं। ये चमत्कार करने का दावा करते हैं। क्या यह सही है?
जवाब: किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी फैलाना गैर कानूनी है। इस तरह का कोई विज्ञापन अगर आपको दिखें तो उसके खिलाफ पुलिस कम्प्लेंट कर सकते हैं।
सवाल: आखिर ये काला जादू है क्या?
जवाब: वो जादू जो शैतान और बुरी आत्माओं से जुड़ा हुआ है, उसे काला जादू या ब्लैक मैजिक कहते हैं। मरियम वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार पहली बार ब्लैक मैजिक शब्द का जिक्र 1590 में किया गया।
सवाल: काले जादू का सहारा लोग क्यों लेते हैं?
जवाब: इसकी सबसे बड़ी वजह हेल्पलेसनेस यानी कुछ न कर पाने की फीलिंग है। काला जादू का सहारा लेने वाले लोगों को लगता है कि वो जग के सताए हुए हैं। मेंटली स्टेबल लोग इसकी तरफ अट्रैक्ट नहीं होते।
सवाल: जादू-टोना के खिलाफ भी क्या कोई कानून है?
जवाब: जादू-टोना के खिलाफ पूरे देश में अलग से तो कोई कानून नहीं है। इसके लिए अलग कानून सबसे पहले बिहार में बनाया गया था। यह कानून काला-जादू और जादू-टोना पर रोक लगाता है। ऐसा ही कानून झारखंड में भी है।
टोना-टोटका और काला जादू करने पर दूसरे राज्यों में ये है सजा…
सवाल: क्या डायन प्रथा के खिलाफ देश में कोई कानून है?
जवाब: किसी महिला को डायन बताए जाने के खिलाफ पूरे देश में कोई कानून नहीं है। इसके लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं का सहारा लिया जा सकता है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम और महाराष्ट्र में इसके लिए कानून बन चुका है।
नीचे दिए गए क्रिएटिव से पहचानें कि आप अंधविश्वासी हैं या नहीं…
अब जानिए कुछ ऐसी ट्रिक्स के पीछे की साइंस जिससे ढोंगी बाबा लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं…
1. पानी में आग लगाना
पानी में आग लगाने के लिए बाबा और तांत्रिक उसमें सोडियम के टुकड़े डालते हैं। सोडियम के टुकड़ों को पानी में डालने से सोडियम हाइड्रॉक्साइड बनता है जिससे विस्फोट हो जाता है।
2. नींबू से खून निकलना
नींबू में पहले से ही फेरिक क्लोराइड इंजेक्ट कर दिया जाता है। इसके बाद जिस चाकू से इसे काटा जाता है उसपर अमोनियम थायोसाइनाइड लगाया जाता है। इस चाकू से नींबू को काटने पर एक केमिकल रिएक्शन होता है। इससे फेरिक सल्फोसाइनाइड बनता है जो खून की तरह लाल रंग का होता है।
3. पीलिया झाड़ना
कई तांत्रिक और बाबा पीलिया या जॉन्डिस झाड़ने का दावा करते हैं। ये पेशेंट के हाथ एक पानी के बर्तन में डालते हैं जिससे पानी पीला हो जाता है। इसके पीछे भी साइंस है। पेशेंट के हाथों को सबसे पहले आम की छाल के पानी से धोया जाता है। इसके बाद इन हाथों को एक पानी के बर्तन में डालते हैं जिसमें चूना मिला होता है। आम की छाल में पॉलीफिनॉल जेंथोस होता है। यह जब चूने से मिलता है तो पीला रंग बनता है।
4. फोटो से भभूत गिरना
कई तांत्रिक और बाबा फोटो से भभूत गिराने का चमत्कार करते हैं। इसमें वो एल्यूमिनियम फ्रेम वाली फोटो को भक्तों के सामने रखते हैं। इस फ्रेम पर मरक्यूरिक क्लोराइड को पानी से गीला कर लगाते हैं। इससे एक केमिकल रिएक्शन होता है जिससे एल्यूमिनियम क्लोराइड बनता है जो मरक्यूरी को अलग करता है। ये दोनों राख बनकर नीचे गिरते हैं जो भभूत जैसा दिखता है।
5. हवन कुंड में बिना माचिस के आग लगाना
कई लोगों ने देखा होगा कि तांत्रिक कैसे हवन कुंड में सिर्फ घी डालते हैं और उससे भयानक सी आग लग जाती है। दरअसल ये लोग हवन कुंड में पहले से ही पोटैशियम परमैंग्नेट रखते हैं। लोगों को जो ये घी दिखाकर डालते हैं असल में वो ग्लिसरीन होती है। पोटैशियम परमैंग्नेट और ग्लिसरीन जब साथ आकर रिएक्ट करते हैं तो एनर्जी बनती है जिससे कुंड के अंदर रखी लकड़ियों में आग लग जाती है।
चलते-चलते
नरबलि के मामले केरल में सबसे ज्यादा
भारत में केरल की लिटरेसी रेट सबसे ज्यादा 96.2% है। इसके बाद भी ब्लैक मैजिक यानी काला जादू यहां फल-फूल रहा है। साल 2021 में नरबलि के 6 केस आए, जिसमें 2 मामले केरल से थे। देश का इतना पढ़ा-लिखा राज्य अंधविश्वास की चपेट में है।
अंधविश्वास से जुड़ी दूसरी घटनाएं
6 जनवरी को इंदौर में एक ढोंगी बाबा ने अपने पति के लकवे का इलाज करवा रही महिला को कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया और फिर महिला के साथ बलात्कार किया। आगे भी ढोंगी बाबा ने महिला के पति को और अधिक बीमार कर देने तथा उसके बच्चों की बलि चढ़ाने की धमकी देकर उसका शारीरिक शोषण जारी रखा तो तंग आकर महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
जालौर के रहने वाले एक ढोंगी बाबा को राजस्थान की पुलिस ने बेंगलुरु से पकड़ा। उसने अपनी झाड़-फूंक की शक्ति से एक महिला को उसकी सभी समस्याएं सुलझाने का झांसा दिया था। जिस पर महिला ने अपने गहने उसे सौंप दिए। महिला के सभी गहने लेकर वह बेंगलुरु भाग गया।
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1. शराब की पहली घूंट से बढ़ेगा कैंसर का रिस्क:लिवर ही नहीं, पेट, मुंह में होगा कैंसर; लत छुड़ाने में मदद करेगा मृतसंजीवनी सुरा
WHO ने हाल ही में कहा कि शराब पीने की कोई सेफ लिमिट नहीं है। इससे पहले कैंसर पर रिसर्च करने वाली इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ने शराब को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन कहा था।
कैंसर करने वाली चीजों को कार्सिनोजेन कहा जाता है। ग्रुप 1 में शामिल होने वाले कार्सिनोजेन से सबसे ज्यादा खतरा होता है।(पढ़िए पूरी खबर)
2. स्वेटर-मोजे पहनकर सोने से आएगा अटैक:दिल और दिमाग नहीं देगा साथ; पड़ सकता है मिर्गी का दौरा
पहनकर सोने से आपके शरीर में कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ऐसा ऊन की क्वालिटी की वजह से होता है। दरअसल ऊन ऊष्मा का कुचालक होता है। यानी ऊन हीट का इंसुलेटर है। ये अपने रेशों के बीच बड़ी मात्रा में एयर ट्रैप कर लेता है। इसी कारण हमारे शरीर में पैदा होने वाली गर्माहट लॉक हो जाती है और बाहर नहीं निकलती। इस तरह हम ठंड से बचे रहते हैं, लेकिन इसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है। (पढ़िए पूरी खबर)
3. देर-रात रैपिडो बाइक बुलाई, ड्राइवर ने शराब पी थी:कैश के लिए झगड़ा; शिकायत की तो 12 घंटे बाद भी रिस्पॉन्स नहीं मिला
दो-तीन दिन पहले ही ऑफिस की एक कलीग के साथ भी एक घटना घटी। देर रात काम से घर लौटने के लिए उसने रैपिडो बाइक बुक की। जिस कैप्टन के साथ वो घर तक जा रही थी उसने शराब पी रखी थी। स्पीड में चला रहा था। रैश ड्राइविंग के लिए मना किया तो उसने इग्नोर कर दिया। जब घर पहुंची तो एक्स्ट्रा कैश के लिए झगड़ने लगा। घर के अंदर जाकर उसने फौरन ऐप पर उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की। 12 घंटे बीतने के बाद भी कोई रिस्पॉन्स नहीं आया।
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