सेलिब्रेशन खत्म:सावधान रहें, प्रदूषण पार्टिकल से गर्भ में बच्चे के लंग्स पर होगा असर

7 महीने पहलेलेखक: अलिशा सिन्हा
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घर की सफाई, शॉपिंग और दिवाली सेलिब्रेशन हो गया, मेहमान भी चले गए। तो क्या अब हमें कोई चिंता नहीं? भ्रम मत पालिए, क्योंकि जितने पटाखें आपने या आपके पड़ोसियों ने फोड़े हैं, उसका असर जल्द ही दिखेगा। हवा का रुख बदलेगा। क्योंकि पॉल्यूशन दस्तक देने वाला है।

इसके अलावा पटाखे फोड़ने का दौर अभी रुकेगा नहीं बल्कि छठ पूजा, देशभर में होने वाली शादियों, क्रिसमस और न्यू ईयर तक चलेगा।

आज जरूरत की खबर में हम दिवाली के बाद होने वाले पॉल्यूशन पर चर्चा करेंगे और बताएंगे कि आपको क्या करना है और क्या नहीं

आज की स्टोरी के एक्सपर्ट हैं- डॉ. आयुष गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, डॉ अरुणेश कुमार, सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी, पारस हॉस्पिटल, डॉ. अशोक सेठ, अध्यक्ष, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट

अगर 1% भी लग रहा कि हम आपको जबरन डरा रहे हैं, तो इन आंकड़ों पर नजर डाल लीजिए-
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार...

  • 2019 में वायु प्रदूषण से देशभर में 17 लाख लोगों की मौत हुई थी।
  • इसका मतलब है कि हर रोज 4 हजार 658 लोग वायु प्रदूषण से दम तोड़ रहे थे।
  • देश में पिछले 2 दशक से वायु प्रदूषण 115% बढ़ चुका है।
  • देश में होने वाली कुल मौत में से 18% मौत वायु प्रदूषण की वजह से होती है।
  • इसमें फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की वजह से सबसे ज्यादा मौत हुई है।

वायु प्रदूषण का देश की अर्थव्यवस्था पर असर
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार...

  • वायु प्रदूषण से होने वाली मौत के कारण देश की GDP में 1.4% यानी 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
  • इसका साफ मतलब है कि 2020-21 में जितना स्वास्थ्य बजट था, उसका 4 गुना नुकसान GDP में हुआ।

इन तीनों तरीके के पॉल्यूशन में लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी वायु प्रदूषण यानी एयर पॉल्यूशन की वजह से आती है। आपने ऊपर लिखे आंकड़े भी पढ़े होंगे।

सवाल- वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा बचने की जरूरत किन लोगों को है?
जवाब-
दिवाली के बाद पटाखों के जलने की वजह से एयर क्वालिटी काफी खराब हो जाती है। साथ ही मौसम ठंडा होने लगता है। हवा में नमी बढ़ जाने की वजह से धूल काफी देर तक हवा में मौजूद रहती है। हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया की पेट में पल रहे बच्चे के लंग्स और दिमाग में भी हवा में मौजूद टॉक्सिक पार्टिकल्स पाए गए हैं। अस्थमा के मरीजों, दिल के मरीजों या प्रेग्नेंट महिलाओं को एयर पॉल्युशन से खासतौर पर बचना चाहिए।

सवाल- दिवाली के बाद वायु प्रदूषण से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब-
इसके लिए नीचे दिए क्रिएटिव को पढ़े और दूसरों को शेयर भी करें-

सवाल- क्या दिवाली के बाद सिर्फ वायु प्रदूषण होता है या फिर कुछ और भी प्रदूषण होते हैं?
जवाब-
दिवाली के बाद 3 तरह के पॉल्यूशन दस्तक देते हैं-

  • दिवाली के बाद सबसे ज्यादा होने वाला पॉल्यूशन है एयर पॉल्यूशन यानी वायु प्रदूषण। क्योंकि लोग दिवाली पर बहुत पटाखे फोड़ते हैं, जिससे काफी धुआं निकलता है। जो सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि पशुओं और पक्षियों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है।
  • लैंड पॉल्यूशन यानी भूमि प्रदूषण। जी हां, दिवाली के बाद लैंड पॉल्यूशन भी होता है, जो दिवाली पर फोड़े गए पटाखे के बचे हुए टुकड़ों के कारण होता है। इन्हें साफ करने में कई हफ्ते बीत जाते हैं। सबसे बड़ी समस्या तो ये हैं कि पटाखों के टुकड़े नॉन बायोडिग्रेडेबल होते हैं, यानी इन्हें आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता है। ये बहुत धीरे-धीरे नष्ट या खत्म होते हैं।
  • दिवाली के बाद ध्वनि प्रदूषण यानी नॉइस पॉल्यूशन भी बड़ी समस्या है। क्योंकि दिवाली से ही पटाखे बिकने, खरीदने और फोड़ने का दौर शुरु होता है, जो छठ, शादी-पार्टी, क्रिसमस और न्यू ईयर तक चलता है। ध्वनि प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बूढ़े, बीमार, जानवरों और बच्चों को होता है।

एक नजर एयर क्वालिटी इंडेक्स पर डाल लीजिए
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली यानी SAFAR के अनुसार, 22 अक्टूबर शाम को पूरी दिल्ली में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब श्रेणी यानी 266 दर्ज की गई थी। जिसके बाद आशंका जताई जा रही थी कि दिवाली पर या इसके बाद एयर क्वालिटी और खराब होने की संभावना है।

एयर क्वालिटी यानी वायु की गुणवत्ता को लेकर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने क्या कहा जान लीजिए-
वायु प्रदूषण को केवल फेफड़ों की समस्याओं से जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि इससे अस्थमा के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन वायु प्रदूषण से हार्ट को नुकसान पहुंचने का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए हमें इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।

सवाल- वायु प्रदूषण से फेफड़े, अस्थमा या एलर्जी की समस्या तो सुना था, ये हार्ट को कैसे नुकसान पहुंचाता है?
जवाब-
डॉ. सेठ के अनुसार, जब हम प्रदूषण के कण यानी 2.5 पार्टिकुलेट मैटर को देखते हैं, तो पता चलता है कि प्रदूषण में हानिकारक पदार्थ हैं, जो फेफड़ों से रक्त वाहिकाओं में ट्रांसफर होते हैं। इसके अलावा इनमें कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड जैसे गैसीय मीट्रिक भी होते हैं। ये भी हानिकारक पदार्थ ही होते हैं, जो हार्ट आर्टरी में सूजन पैदा करते हैं। जिससे ब्लड का थक्का भी बनता है। इन दोनों वजहों से हार्ट अटैक हो सकता है।

सवाल- बहुत से लोगों को पहले से हार्ट की बीमारी है, वो वायु प्रदूषण से खुद को बचाने के लिए क्या करें?
जवाब-
ऐसे पेशेंट्स को…

  • अपनी दवाइयां रेगुलर लेनी चाहिए।
  • धूल, धुएं और प्रदूषण वाली जगह पर कम से कम जाना चाहिए।
  • घर से बाहर जाते वक्त ध्यान से मास्क लगाएं। शरीर को हाइड्रेट रखें।
  • बीपी, ब्लड शुगर लेवल की टाइम-टाइम पर जांच करते रहें।
  • हार्ट अटैक के कोई भी लक्षण समय आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सवाल- क्या घर के अंदर भी हवा प्रदूषित हो सकती है, जिससे आपकी तबीयत बिगड़ने की संभावना है?
जवाब-
बिल्कुल, घर के अंदर ही नहीं आपके ऑफिस में भी प्रदूषित हवा हो सकती है, जो आपकी तबीयत खराब होने का कारण बन सकती है।

सवाल- शहर में हवा प्रदूषित हो जाए और सांस लेने में दिक्कत आने लगे, जैसा दिल्ली में अक्सर होता है। तो इस समस्या को कम करने के लिए क्या करना चाहिए ?
जवाब -
सुबह 10 बजे से लेकर दिन में 3 बजे तक अपने जरूरी काम निपटा कर वापस घर आने की कोशिश करें।

  • अगर आपको अस्थमा हो या कोई और बीमारी हो तो पहले ही अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर लें। इमरजेंसी दवाइयां साथ रखें।
  • घर पर किसी की उम्र 65 साल से ज्यादा हो तो और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर से फ्लू वैक्सीन के लिए सलाह लें।
  • एलर्जी पेशेंट को N-95 मास्क लगाना चाहिए। घर पर भी मास्क लगाने की कोशिश करें।
  • धूल पकड़ने वाली चीजें जैसे मोटे पर्दे और कार्पेट्स जैसे सामान को धो लें या ड्राई क्लीन करवाएं। एलर्जी और अस्थमा हो तो कुछ समय के लिए कार्पेट हटा दें और हलके परदे लगा लें।

चलते-चलते
ये आंकड़ें भी देख लीजिए-

  • विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक दुनिया की 92% आबादी साफ हवा में सांस नहीं लेती।
  • साल 2012 में पूरी दुनिया में HIV/AIDS, टीबी और रोड एक्सीडेंट से ज्यादा मौतें एयर पॉल्यूशन से हुई। इससे 65 लाख लोगों की मौत हुई। ये दुनिया भर में होने वाली मौतों का 11.6% है।
  • वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के मुताबिक ब्लड प्रेशर, खराब डाइट और स्मोकिंग के बाद इंसान के शरीर के लिए चौथा सबसे बड़ा खतरा एयर पॉल्यूशन ही है।
  • सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में फ्लू के खिलाफ लाइव इंट्रा नेसल वैक्सीन विकसित की है। 2 से 17 साल तक के बच्चों को हर साल ये वैक्सीन दी जा सकती है।

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