ऑनलाइन गेम खेलना और पढ़ना खतरनाक:बच्चों में बढ़े ड्राई आई के मामले, पेरेंट्स नहीं देंगे ध्यान, तो सूख सकते हैं आंसू

9 महीने पहलेलेखक: अलिशा सिन्हा
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भोपाल के MP Nagar Zone-2 में बहुत से कोचिंग क्लासेस हैं, जहां पर कई बच्चे कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी करने के लिए कोचिंग जॉइन करते हैं। हमें कामिनी नाम की एक महिला मिलीं, जिनकी बेटी कुछ सालों से मोबाइल और लैपटॉप पर ज्यादा पढ़ाई करती है। हाल ही में उसे ड्राई आई की समस्या हुई, जिसकी वजह से उसे पढ़ाई करने में काफी दिक्कत हो रही है। डॉक्टर से उसका इलाज जारी है।

दौड़ती-भागती और पॉल्यूशन भरी लाइफस्टाइल में आंखों में सूखापन (ड्राई आईज) एक आम समस्या बन गई है। बड़ों के साथ-साथ कम उम्र के बच्चों को भी ये परेशानी हो रही है।

चलिए बच्चों में होने वाली ड्राई आई की समस्या को लेकर जरूरी सवाल के जवाब जानते हैं।

आज के हमारे एक्सपर्ट हैं- Sharp Sight Eye Hospitals के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. कामरान अकील।

सवाल- ड्राई आई का मतलब क्या होता है?
जवाब-
हमारी आंखों में टियर फिल्म यानी आंसुओं की परत होती है, जो आंखों में नमी बनाने और उनके सुरक्षा कवच के तौर पर काम करती है। इसमें गड़बड़ी आने से ड्राई आई की समस्या होती है। जैसे- पर्याप्त मात्रा में आंसू न बन पाना, आंसू जल्दी सूख जाना या उनकी क्वालिटी खराब हो जाना।

AIIMS के आई स्पेशलिस्ट डॉ राजेश सिन्हा के मुताबिक, जब हम मोबाइल या लैपटॉप का ज्यादा यूज करते हैं और एक टक उसमें नजर गड़ाए रहते हैं। तब आंखों पर काफी जोर पड़ता है। जिसकी वजह से आंखों का पानी, जो आंसू के तौर पर बाहर आता है। वह सूखने लगता है। आंखों के रेटिना पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है और ड्राई आई की समस्या होती है।

रिपोर्ट क्या कहती है, ये भी जान लीजिए

  • इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत के 32% लोग ड्राई आईज से पीड़ित थे।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. श्रीकांत केलकर के मुताबिक, कोरोना के पहले 3% बच्चे ड्राई आई के शिकार थे, लेकिन कोरोना के बाद 67% बच्चों में ये समस्या आ चुकी है।

माता-पिता इन बातों का जरूर रखें ख्याल

आंखों से रिलेटेड प्रॉब्लम के बारे में बच्चे ठीक से नहीं बता पाते हैं। ड्राई आई जैसी अगर उन्हें कोई समस्या है, तो वो अक्सर आंखें मलते रहते हैं। ऐसी सिचुएशन में माता-पिता को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें किसी भी हालात में इग्नोर न करें। बच्चों के कुछ लक्षण से आप पहचान सकते हैं कि उन्हें ड्राई आई की समस्या है या नहीं। इसके लिए नीचे दिए ग्राफिक्स को पढ़ें

जरूरी बात- अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी CDC के अनुसार, कम्प्यूटर या मोबाइल स्क्रीन में देखने पर आंखें 66% तक कम झपकती हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो, पिछले दो साल से यानी 2020-2021 में लॉकडाउन की वजह से देश में बच्चे दिनभर में औसतन 4 घंटे स्क्रीन पर बिता रहे हैं।

सवाल- लक्षण देखने के बाद बच्चे को ड्राई आई की समस्या है या नहीं, इसके लिए कौन से टेस्ट करवाएं?
जवाब-
बच्चा ड्राई आई से जूझ रहा है या नहीं, स्क्रिमर टेस्ट से पता लगाया जाता है। डॉक्टर कागज की ब्लॉटिंग स्ट्रिप्स को पलक के नीचे रखते हैं। 5 मिनट बाद सोखे गए आंसू के आधार पर ड्राई आई का पता चलता है।

अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। उसका इलाज कराएं। हालांकि इलाज के साथ-साथ कुछ सावधानियां या घरेलू उपाय करने से बच्चा जल्दी ठीक हो सकता है।

ड्राई आई की समस्या हो गई है, तब ये घरेलू उपाय अपनाएं

  • अगर बच्चा मोबाइल या कम्प्यूटर से पढ़ाई करता है, तो उसे थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लेने को कहें।
  • बच्चा घर पर मोबाइल फोन या टीवी देखता है, तो उसे इसकी जगह पर बाहर जाकर खेलने के लिए कहें।
  • आंखों में जलन पैदा करने वाले धुएं या दूसरे चीजों से बचें।
  • बहुत से लोग घर पर बच्चों के सामने सिगरेट पीते हैं। अगर बच्चे को ड्राई आई की समस्या है, तो उसके सामने सिगरेट पीना उसकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • बाहर जाते वक्त बच्चे को धूप वाला चश्मा पहनाएं। साथ ही टोपी या छतरी का भी इस्तेमाल करें। ताकि उसकी आंखों को धूप या गंदगी से बचाया जा सके।
  • बच्चे के बिस्तर के आसपास एक ह्यूमिडिफायर रखें और उसकी सफाई करते रहें। ये आंखों की नमी बढ़ाने में मदद करेगा।
  • बच्चे को डॉक्टर की दी हुई दवाइयां वैसे ही दें, जैसे कही गई हैं। अगर किसी दवा से बच्चे को दिक्कत आ रही है, तब तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
  • आपका बच्चा आर्टिफिशियल टियर्स का इस्तेमाल समय-समय पर कर रहा है या नहीं, इसका ध्यान दें।
  • रोज सुबह 5 मिनट के लिए अपने बच्चे की पलकों पर एक गर्म या नम कपड़ा रखें। फिर पलकों की हल्की सी मालिश करें। यह आंखों की नेचुरल नमी को बढ़ाने में मदद करता है।

अगर बच्चे की आंखों में ज्यादा समस्या है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। घरेलू उपाय न अपनाएं।

सवाल- बच्चा जिद्दी है और मोबाइल या कम्प्यूटर जैसे गैजेट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है, तो क्या करें?
जवाब-
इन 7 बातों का ख्याल रखें-

  • कम्प्यूटर स्क्रीन को आंखों के लेवल से थोड़ा नीचे 20 इंच की दूरी पर या अपने हाथ की लंबाई जितना दूर रखें।
  • पहले से बच्चे की नजर कमजोर है, तो कम्प्यूटर या मोबाइल के इस्तेमाल के समय चश्मा जरूर लगवाएं।
  • स्क्रीन देखते वक्त पलकें झपकाना न भूलें। इससे सूखेपन और धुंधलेपन की समस्या से बच सकते हैं।
  • स्क्रीन और आसपास में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। गैजेट की ब्राइटनेस को भी मेंटेन करें, ताकि यह बहुत कम या बहुत तेज ना हो।
  • आंखों को थकान होने पर रगड़ने से बचें। क्योंकि इससे आंखों में संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है।
  • मोबाइल/कम्प्यूटर पर फॉन्ट साइज बड़ा रखें। क्लियर फॉन्ट का इस्तेमाल करें। जैसे एरियल को अच्छा फॉन्ट माना गया है।
  • बच्चों को पर्याप्त नींद और अच्छी मात्रा में पानी पीने के लिए कहें। कम पानी पीने से आंखों में सूखेपन के लक्षण बढ़ सकते हैं।

चलते-चलते

अपनी या बच्चों की आंखों को स्वस्थ रखने के लिए डाइट में इन चीजों को शामिल कर सकते हैं

  • पत्तेदार सब्जियां- इनमें विटामिन-सी होता है। यह आंखों को होने वाले नुकसान से बचाता है। इनमें फोलेट भी होता है, जो विजन लॉस को कम करता है।
  • नट्स- इसका मतलब है अखरोट, काजू, मूंगफली आदि। इनमें ओमेगा-3 और विटामिन ई पाया जाता है। विटामिन-ई आंसुओं के प्रोडक्शन को बेहतर करता है।
  • सीड्स- चिया और अलसी के बीजों में ओमेगा-3 पाया जाता है। जो आंखों के अलावा हार्ट के लिए भी फायदेमंद होता है।
  • फलिया- इसमें फाइबर, प्रोटीन, फोलेट और जिंक होता है। जिंक में मेलानिन होता है, जो आंखों को नुकसान से बचाता है।
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