आज धनतेरस है। सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। हालांकि, सोना खरीदना हर किसी के बजट में नहीं होता। इसके चलते लोग इस मौके पर ज्यादातर चांदी के सिक्के और बर्तन खरीदते हैं। आप भी चांदी खरीदेंगे ही। बाजारों में भीड़ की वजह से पास की ज्वेलरी शॉप से खरीदने का प्लान भी किया होगा।
क्या आपने कभी सोचा है कि जो चांदी आप खरीदने जा रहे हैं वो असली है या नकली? आज जरूरत की खबर में बात असली और नकली चांदी के पहचान की करते हैं। यह भी जानते हैं कि क्या इस पर अलग से टैक्स भी देना होगा?
सवाल 1- चांदी के सिक्के, बार, बर्तन और गहने की प्योरिटी चेक करने का मापदंड क्या है ?
जवाब- सोने को कैरेट्स में तोला जाता है उसी तरह चांदी कितनी प्योर है इसका पता चांदी की फाइननेस (Fineness) से चलता है। चांदी के ग्रेड के अनुसार चांदी की फाइननेस (Fineness) तय होती है। इस फाइननेस (Fineness) को 999, 925, 900 जैसे नंबर से मापा जाता है। ये ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स तय करता है।
सवाल- क्या चांदी के गहने, बर्तन आदि में हॉलमार्क चेक करना जरूरी है?
जवाब- सोने की तरह चांदी पर हॉलमार्क जरूरी नहीं लेकिन बाजार में हॉलमार्क वाली चांदी भी मिलती है। इसे आप खरीद सकते हैं। चांदी की हॉलमार्किंग भी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स करता है।
चांदी कितनी प्योर है इसका पता बिल से भी चल सकता है। इसे ऐसे समझते हैं...ज्वेलरी की कीमत के अलावा मेकिंग चार्ज, हॉलमार्किंग चार्ज और जीएसटी भी बिल में ऐड होते हैं। इसलिए अगर आपको पता होगा की जो चांदी आप खरीद रहे हैं उसकी एक्चुअल कीमत क्या है तो आपके साथ किसी भी धोखे की गुंजाइश भी कम होगी।
सवाल- कैसे पता करें चांदी की एक्चुअल कीमत ?
जवाब- सिल्वर ज्वेलरी की कीमत कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूला याद कर लें। ये है - पर ग्राम सिल्वर की कीमत x सिल्वर का वजन (ग्राम) x सिल्वर की प्योरिटी = प्राइस ऑफ सिल्वर
मान लीजिए आप 24.060 ग्राम की सिल्वर खरीद रहे हैं। प्रति किलोग्राम सिल्वर की कीमत है 65,000 रुपए यानी 65 रुपए प्रति ग्राम। ये सिल्वर 925 फाइननेस (Fineness) का है।
सिल्वर की कीमत हुई = 24.060 x 65 x 0.925 = 1,446.60 रूपए। इसी कीमत के बाद ज्वेलर मेकिंग चार्ज, हॉलमार्किंग चार्ज और जीएसटी भी ऐड करेगा।
सवाल- चांदी का सामान खरीदने के बाद कई बार हम जल्दी-जल्दी में बिल नहीं लेते? क्या चांदी खरीदने के बाद भी बिल लेना जरूरी है?
जवाब- बिल्कुल, बिल लेना जरूरी है। बिल पर हॉलमार्किंग चार्ज और जीएसटी लिखा होना चाहिए। कई बार ज्वेलर सिल्वर की कीमत में ही मेकिंग चार्ज भी जोड़ लेते हैं। बिल पर मेकिंग चार्ज न लिखा हो तो अलग से पूछ लें। बिल पर ज्वेलरी या चांदी के सामान का वजन और प्योरिटी भी लिखी होनी चाहिए।
सवाल- मार्केट में धड़ल्ले से जर्मन सिल्वर मिल रहा है ? यह क्या होता है?
चांदी में इन दो तरह से होती है मिलावट
पहली : सिल्वर में 30 से 40% तक गिलट या जर्मन सिल्वर मिक्स कर सिक्के तैयार किए जाते है। ऐसे सिक्कों में 40 फीसदी तक की मिलावट वाली गिलट और जर्मन सिल्वर के असल चांदी के बराबर 55 हजार से 57 हजार रुपए के भाव लिए जाते हैं। इससे मोटा मुनाफा होता है।
दूसरी : 99.99% सिक्के गिलट या जर्मन सिल्वर से तैयार किए जाते हैं, लेकिन चमकदार दिखाने के लिए इन पर चांदी की पॉलिश कर दी जाती है। 800-900 रुपए किलों की मैन्युफैक्चरिंग लागत के बाद तैयार नकली सिक्कों को बाजार में असली चांदी के सिक्कों के बीच मिक्स कर आसानी से 55 हजार से 57 हजार रुपए के भाव से बेचा जाता है।
सवाल - स्टोन लगी सिल्वर ज्वेलरी या पुराने सिक्के खरीदते वक्त और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
जवाब - आजकल स्टड लगी हुई सिल्वर ज्वेलरी खरीदने का ट्रेंड है। लोग सिल्वर पर डायमंड या कोई और कीमती स्टोन भी खरीद रहे हैं। मीनाकारी वर्क वाली सिल्वर ज्वेलरी भी काफी पसंद की जा रही है।
सवाल - पुरानी ज्वेलरी बेचकर उसके बदले नई ज्वेलरी खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
जवाब- कई लोग पुरानी ज्वेलरी बेचकर उसके बदले नई ज्वेलरी खरीदते हैं। ऐसा करने की सोच रहे हों तो ज्वेलर से बाई बैक पॉलिसी के बारे में पता करें। अगर आपको सिल्वर खरीदते वक्त लगने वाले अलग-अलग चार्ज ठीक से पता होंगे तो आपके लिए बाई बैक करना भी आसान है। मान लीजिए आप 925 ग्रेड की ज्वेलरी बेचना चाहते हैं तो आपको ज्वेलर से सिर्फ 92.5% सिल्वर की कीमत रिटर्न होगी, मेकिंग चार्ज नहीं। ज्वेलरी का बिल हमेशा संभाल कर रखना चाहिए।
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