पति लिपस्टिक-बिंदी के लिए पैसा नहीं देता:पत्नी खाती है गुटखा; पढ़ें किन-किन बातों पर हो सकता है तलाक

3 महीने पहले
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मामला उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ का था। 4 दिन पहले यहां एक महिला ने फैमिली कोर्ट में यह कहते हुए तलाक की अर्जी दी कि उसका पति उसे सुंदर न होने का ताना देता है और लिपस्टिक-बिंदी खरीदने के लिए पैसे भी नहीं देता।

इस बात पर घर में रोज झगड़ा होता है और बात मारपीट तक पहुंच चुकी है। काउंसलर ने महिला को समझाने का प्रयास किया मगर महिला तलाक की मांग पर अड़ी हुई है। 2015 में दोनों की शादी हुई थी और अभी तक उनका कोई बच्चा नहीं है।

आज जरूरत की खबर में इसी तरह के कुछ अलग तरह के तलाक के मामलों पर कोर्ट के 4 फैसलों का जिक्र करेंगे और उससे जुड़े सवाल अपने एक्सपर्ट से जानेंगे…

हमारे एक्सपर्ट हैं…सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एडवोकेट अशोक पांडे

फैसला नंबर 1
पत्नी अगर पुरुष की तरह पान मसाला, गुटखा खाती है। शराब के साथ नॉनवेज खाकर पति को तंग करती है, तो इस आधार पर तलाक को मंजूरी मिल सकती है। - बिलासपुर हाईकोर्ट, छतीसगढ़

मामला था पत्नी गुटखा खाती है
पति कोरबा जिले के बांकीमोंगरा का रहने वाला था। उसका आरोप था कि शादी के सात दिन बाद ही उसे पता चल गया था कि पत्नी शराब, गुटखा और नॉनवेज खाने की आदी है। इस बात को लेकर परिजनों ने उसे बहुत समझाया मगर वह नहीं सुधरी।

पति ने तंग आकर तलाक का फैसला लिया। पति ने यह भी कहा कि पत्नी ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या की भी कोशिश की थी। फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी। तब पति ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

सवाल: इस केस में किस आधार पर तलाक को मंजूरी दी गई?
जवाब: कोर्ट ने इस केस को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में माना। गुटखा ही नहीं अगर दोनों पार्टनर में से कोई एक अगर ब्रश न करे तब भी तलाक मिल सकता है। राइट टू हाइजीन के तहत यह मानसिक क्रूरता का आधार बनेगा।

सवाल: इससे पहले पत्नी की तंबाकू खाने की लत को बॉम्बे हाई कोर्ट ने तलाक का आधार नहीं माना था। एक ही तरह के दो केस में दो अदालत क्या अलग-अलग फैसला सुना सकती है?
जवाब:
बिल्कुल, फैक्ट और परिस्थिति के आधार पर एक ही तरह के दो केस में कोर्ट अलग-अलग फैसला सुना सकती है।

सवाल: अगर पति को नशे की लत हो तब भी क्या तलाक मिल सकता है?
जवाब:
हां, मिल सकता है। पति की लत छुड़ाने के लिए पत्नी उसे नशा मुक्ति केंद्र ले जा चुकी हो। उसमें सुधार नहीं हो पा रहा हो या फिर वो सुधरना नहीं चाहता हो तब पत्नी को तलाक मिल सकता है।

तलाक लेना है तो याचिका यहां दायर कर सकते हैं...

  • पति-पत्नी अपने शहर के फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर कर सकते हैं।
  • अलग-अलग शहर में हैं तो अपने वैवाहिक शहर के कोर्ट में याचिका दायर करें।
  • जिस शहर में पत्नी का घर हो वहां याचिका दायर कर सकते हैं।

फैसला नंबर 2
पत्नी का चूड़ी और सिंदूर लगाने से इनकार करना उन्हें ऐसा दर्शाता है कि वो शादीशुदा नहीं हैं या फिर वो शादी को स्वीकार नहीं करना चाहती हैं। इस तरह की कोशिशें साफ दर्शाती हैं कि महिला इस शादी में खुश नहीं है और वह अपने पति के साथ आगे का जीवन नहीं बिताना चाहती।-गुवाहाटी हाई कोर्ट

मामला था सिंदूर नहीं लगाती पत्नी
पति का आरोप था कि शादी के एक महीने बाद से ही पत्नी ने पति पर जॉइंट फैमिली से अलग रहने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था। दूसरी तरफ पत्नी ने बच्चे न होने का जिम्मेदार भी पति को ही ठहराया। वो ससुराल छोड़कर चली गई और ससुराल वालों के खिलाफ 498 ए के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया। बरी होने के बाद पति ने पत्नी पर आरोप लगाया कि वह शंखा चूड़ी और सिंदूर नहीं लगाती है। इसी आधार पर उसे तलाक चाहिए।

सवाल: अगर पत्नी सिंदूर न लगाए या ऐसे लगाए कि दिखे न, तो यह तलाक का आधार कैसे बन सकता है?
जवाब: पत्नी का सिंदूर न लगाने का मतलब संस्कृति को फॉलो न करना है। यह तलाक की वजह भी बन सकता है। लेकिन इस तरह के केस में फैसला स्टेट टू स्टेट का अलग भी हो सकता है। यानी लोकल कल्चर और धारणा को ध्यान में रखकर ऐसे केस में कोर्ट आमतौर से फैसला करती है।
अगर किसी पर्टिकुलर सोसाइटी में सिंदूर लगाने का कल्चर है और एक लड़की सिर्फ इसलिए ऐसा नहीं करना चाहती कि वो मैरिड वुमन की निशानी है। वो इसे छुपा रही है तो इसे पति के साथ मानसिक क्रूरता माना जाएगा।

सवाल: इस केस में कहा गया कि महिला का सिंदूर न लगाना, चूड़ी न पहनना परिवार के सदस्यों को प्रताड़ित करने की वजह है, ऐसा कैसे?
जवाब: नहीं ऐसा संभव नहीं। इस मामले में पति के साथ मानसिक क्रूरता का केस बनेगा लेकिन ससुराल वालों के साथ नहीं।

सवाल: अगर पति या पत्नी दोनों में से कोई एक बच्चा पैदा करने में असमर्थ है या फिर बच्चे को जन्म नहीं देना चाहता तब क्या यह तलाक की वजह बन सकता है?
जवाब:
यह तलाक की वजह बिल्कुल बन सकता है। शादी करने की दो ही मुख्य वजह हैं- एक शारीरिक संबंध और दूसरा बच्चे पैदा करना। अगर दोनों में से एक पार्टनर ऐसा नहीं कर पा रहा है या नहीं करना चाहता तो तलाक का कारण बन सकता है।

फैसला 3
मैसूर प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट के जज एम.एल. रघुनाथन के पास एक ऐसा केस आया जिसमें पति ने इस आधार पर पत्नी से तलाक मांगा कि वह खाने में तीनों समय सिर्फ मैगी बनाती थी। जज ने इसे मैगी केस नाम दिया था। इस आधार पर तलाक नहीं मिल सकता है। यह फैसला सुनायाI जज ने बताया कि ऐसे कई मामले आजकल आ रहे हैं। एक पति इसलिए तलाक चाहता था क्योंकि पत्नी ने प्लेट की गलत साइड पर नमक रख दिया था। एक पत्नी को पति का वेडिंग सूट अच्छा नहीं लगा तो उसने तलाक की अर्जी डाल दी थी।

मामला था तीनों टाइम खिलाती है सिर्फ मैगी
बेल्लारी के रहने वाले एक आदमी ने कोर्ट में यह कहकर तलाक की अर्जी दी कि उसकी पत्नी खाने में सिर्फ मैगी बनाती है। उसे मैगी के अलावा और कुछ भी बनाना नहीं आता और न ही वह सीखना चाहती है। राशन की दुकान से भी वह सिर्फ मैगी ही खरीदकर लेकर आती है और ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में वही पकाती है। बाद में इस मामले में पति-पत्नी ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया था।

सवाल: आपसी सहमति से तलाक लेने का मतलब क्या है?
जवाब:
शादी के बाद जब पति और पत्नी अपनी इच्छा से एक-दूसरे से अलग होने का फैसला करते हैं और तलाक की अर्जी देते हैं, तो ऐसी स्थिति को आपसी सहमति से तलाक कहा जाता है। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-13(बी) में आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया का जिक्र है।

सवाल: सहमति से तलाक लेने का क्या फायदा है?
जवाब:
इससे समय और पैसा बचता है। इस बात की टेंशन नहीं होती कि दूसरा पार्टनर तलाक के पेपर्स पर साइन करेगा या नहीं। प्रॉपर्टी या पैसे की ज्यादा डिमांड की वजह से तलाक में रुकावट नहीं आती।

सवाल: पत्नी को अगर खाना बनाना नहीं आता तो क्या इसे तलाक का आधार माना जा सकता है?
जवाब:
अगर पत्नी हाउसवाइफ है और घर में रहने के बाद भी वो खाना बनाने से इंकार करे तब उसे पति पर क्रूरता माना जाएगा। इस आधार पर तलाक मिल सकता है। वहीं अगर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं, तब घर और बाहर की जिम्मेदारी दोनों की हाेगी।

सहमति से तलाक कैसे ले सकते हैं, इसका प्रोसेस समझिए...

  • सबसे पहले पति-पत्नी को एक जॉइंट पिटीशन फैमिली कोर्ट में दायर करनी होती है। इस पिटीशन पर दोनों के सिग्नेचर होने चाहिए।
  • पिटीशन में दोनों का जॉइंट स्टेटमेंट भी होता है। जिसमें पति-पत्नी कहते हैं कि दोनों एक साथ नहीं रह सकते हैं। इसमें बच्चों और प्रॉपर्टी के बंटवारे का जिक्र होता है।
  • जब स्टेटमेंट दर्ज कर लिया जाता है तो कोर्ट के सामने पेपर पर दोनों को सिग्नेचर करना होता है।
  • कोर्ट की तरफ से दोनों पक्षों को सुलह करने के लिए 6 महीने का समय दिया जाता है।
  • अगर 6 महीने के बाद भी दोनों के बीच सुलह नहीं होती है तो फाइनल हियरिंग (दूसरी याचिका) के लिए कोर्ट आना पड़ता है।
  • अब आपको दूसरी याचिका 18 महीने के अंदर कोर्ट में लगानी होगी। अगर नहीं लगाई तो कोर्ट तलाक के आदेश को पास नहीं करेगा।
  • तलाक का आदेश पास होने से पहले कोई भी एक पक्ष किसी भी समय अपनी मर्जी से तलाक की सहमति वापस ले सकता है।
  • अगर पति-पत्नी के बीच पूरा समझौता न हो या फिर कोर्ट किसी मामले पर संतुष्ट न हो तब तलाक के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है।
  • कोर्ट चाहे तो अंतिम चरण में तलाक का आदेश दे सकता है।

फैसला नंबर 4
पत्नी भारतीय परिधान नहीं पहनती है, सिर्फ पैंट-शर्ट पहनती है। इसे तलाक का आधार नहीं मान सकते। हर छोटी बात को क्रूरता मानकर तलाक नहीं दिया जा सकता। नहीं तो पति-पत्नी को एक दूसरे का थोड़ा भी व्यवहार नहीं पसंद आएगा तो भी कोर्ट को तलाक देना होगा। -बॉम्बे हाईकोर्ट

मामला था सिर्फ शर्ट-पैंट पहनती है पत्नी, एक बार सेक्स से भी किया था मना मुंबई के परेल इलाके में एक पति ने फैमिली कोर्ट में अर्जी डाली कि उसकी पत्नी भारतीय परिधान की जगह सिर्फ शर्ट-पैंट पहनती है। पति ने यह भी कहा कि तीन साल की शादी में पत्नी ने एक बार सेक्स करने से भी मना कर दिया है। इसके बाद फैमिली कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी थी। मगर बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसले को पलटकर तलाक के फैसले को खारिज कर दिया।

सवाल: फैमिली कोर्ट के फैसलों को हाई कोर्ट में कैसे चैलेंज किया जा सकता है?
जवाब:
आप फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं। हाई कोर्ट के रूल्स के आधार पर फर्स्ट अपील जाएगी। अब इसी केस को देखें- बार- बार सेक्स के लिए मना करना तलाक का आधार बन सकता है। पत्नी का एक बार सेक्स से मना करना क्रूरता नहीं है। उसका शरीर है और वो सेक्स के लिए मना कर सकती है। इसे आधार बनाकर तलाक मांगना सही नहीं। लोकल कोर्ट ने ध्यान नहीं दिया तब हाई कोर्ट से इस मुद्दे पर न्याय मांगने का हक है।

सवाल: फैमिली कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों के बीच अगर लंबा समय लग जाए और इस बीच पति-पत्नी में से कोई एक, दूसरी शादी कर ले। तब क्या होगा?
जवाब:
दोनों ही तरह के तलाक में डिक्री मिलती है। 90 दिनों के बाद यही डिक्री ऑर्डर बन जाती है। इसी बीच दोनों में कोई एक पार्टनर चाहे तो फैसले को चैलेंज कर सकता है। इस बीच कोई दूसरी शादी नहीं कर सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो दूसरी शादी को मान्यता नहीं मिलेगी।

सवाल: दोनों कोर्ट के फैसलों के बीच पति-पत्नी अलग रह रहे हैं। इस बीच दोनों के बीच आई दूरी क्या तलाक का कारण बन सकता है?
जवाब:
यह तलाक का कारण हो सकता है। दोनों के बीच अगर ट्रस्ट न रहे। दोनों को ऐसा लगे कि अब बात बिगड़ेगी ही। प्यार-मोहब्बत नहीं बचा। इसके बाद तलाक ही आखिरी रास्ता बचता है।

चलते-चलते

अगर किसी केस में सुप्रीम कोर्ट से भी तलाक की याचिका खारिज हो गई है तब तलाक लेने का ये 3 रास्ता बचता है

  • दोबारा तलाक के लिए अपील की जा सकती है।
  • दोबारा अपील सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही की जा सकती है।
  • दोबारा अपील करने के बाद कुछ ऐसी चीजें साबित करनी होंगी, जो कोर्ट में पहले नहीं कर पाए थे।

नोट:आप एकतरफा तलाक और आपसी सहमति वाले तलाक, दोनों सिचुएशन में ये उपाय अपना सकते हैं।

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