पर्स में है ATM की पर्ची, खाने का बिल:इस कचरे से बढ़ेगी हार्ट रेट

7 महीने पहलेलेखक: ऋचा श्रीवास्तव
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दिवाली के मौके पर जितना जरूरी घर को सजाना होता है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी होती है घर की सफाई। ‘दिवाली की सफाई’ यह लाइन सुनकर ही थकान होने लगती है। वजह भी तो है… क्योंकि साल भर व्यस्त रहने की वजह से घर का हर वो कोना जो साफ न किया गया हो, उसे भी इस मौके पर साफ जो किया जाएगा।

साफ-सफाई तो हमेशा करनी चाहिए, फिर दीपावली पर ही सफाई का चलन क्यों और कैसे शुरू हुआ ?

इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि लक्ष्मी जी उसी घर में आती हैं, जहां साफ-सफाई और स्वच्छता होती है। पुराणों में बताया गया है कि दीपावली के दिन ही लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में चुना था। इसलिए भी इस दिन रात में लक्ष्मी की पूजा होती है।

धर्म की बात तो ज्यादातर लोगों को पता है, इसके बावजूद हमारे टेबल, दराज, अलमारी हर तरफ ऐसे कितने ही सामान मौजूद हैं, जो हमारे किसी भी काम के नहीं है। हमारा मन उन्हें फेंकने का भी नहीं करता।

यही नहीं, दीपावली की सफाई के दौरान हम घर में इकट्ठे कचरे में से भी कुछ सामान चुन-चुन कर उठा लेते हैं, यह कहते हुए कि अरे यह कहां मिला? कब से इसे ढूंढ रहा था/थी।

चलिए एक टेस्ट करते हैं…

अपने कमरे के दराज को खोलें। इससे पुराने बिल, कागज, पुरानी पेन छांटकर अलग कर दें।

अब बताएं? क्या आप इस सामान को सीधे कूड़े में फेंक देंगे या साफ कर बाद में हटा दूंगा/दूंगी, यह सोचकर फिर से दराज में रख देंगे?

इस टेस्ट का जवाब हम आपको नहीं दे रहे हैं। हमें पता है आपको जवाब मिल गया होगा कि आप सफाई के बहाने किस तरह दोबारा कचरा जमा करते हैं।

हम इंसान तो बेहद भोले हैं। तभी तो हमें समझ नहीं आता कि आखिरकार हमारे आसपास कचरा जमा कहां से होता है ?

हमें इस बात का पता भी नहीं चलता और कैसे हमारा ही खरीदा हुआ सामान एक दिन कचरे जैसा लगने लगता है। जैसे-

  • आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लैपटॉप पर काम करने के दौरान चार्जर, पानी की बोतल, मीटिंग के पहले फ्रेश लगने के लिए रखी कंघी-लिपस्टिक, खाने का सामान अपने बगल वाली टेबल पर रख लिया। आपका काम तो खत्म हो गया, लेकिन ये सामान आपने टेबल पर ही छोड़ दिया।
  • जब यही सारा सामान एक दिन नहीं लगातार, कई दिनों तक उसी टेबल पर पड़ा रहे, इसे वापस सही जगह पर न रखा जाए, तो ये क्लटर यानी अव्यवस्थित कहलाता है। क्लटर यानी वो सामान जिसकी उस जगह पर कोई जरूरत नहीं है।
  • इसी तरह आपके घर के हर कोने में थोड़ा बहुत अव्यवस्थित सामान होता ही होगा, जिसकी उस जगह पर कोई जरूरत नहीं।

अब डिटेल में करते हैं, क्लटर पर चर्चा और समझते हैं इसके पीछे की साइकोलॉजी…

सवाल- कचरा या गैरजरूरी सामान इकट्ठा होने की वजह से क्या हमारे शरीर और मन पर भी इसका असर होता है ?

जवाब- जी हां। इसकी वजह से तनाव बढ़ता है। मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। इसे डिटेल में समझते हैं कैसे…

  • स्ट्रेस हार्मोन - इमरजेंसी में शरीर स्ट्रेस हार्मोन यानी कोर्टिसोल बनाता है। क्लटर देखकर भी शरीर की एड्रेनल ग्लैंड स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करती है। इससे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ता है।
  • फीलिंग ऑफ लॉस - अस्त-व्यस्त घर ब्रेन को लॉस यानी हारने जैसा सिग्नल देता है। इससे हारा हुआ महसूस होता है। जिंदगी पर नियंत्रण न होना जैसे इमोशन मजबूत होते हैं।
  • थकान - एक साथ बहुत सारा सामान देखकर इसे साफ करने के बारे में सोचने से भी गुस्सा, चिड़चिड़ापन और मानसिक थकान होती है।

इस टॉपिक पर अब एक स्टडी पढ़ लें

जर्नल ऑफ पर्सनालिटी एंड सोशल साइकोलॉजी की एक स्टडी में सामने आया है कि अव्यवस्थित सामान को हमारा दिमाग कचरे या गंदगी की तरह प्रोसेस करता है। लगातार यहां-वहां फैले हुए सामान को देखने से हमारे शरीर में एक हार्मोन रिलीज होता है। इसे कोर्टिसोल कहते हैं। किसी इमरजेंसी या स्ट्रेस के दौरान शरीर में कोर्टिसोल बनता है। इसका मतलब हमारे दिमाग को कचरा या अव्यवस्थित सामान देखकर टेंशन होती है।

सवाल- आखिर जब गैरजरूरी सामान और कचरे से मेंटल हेल्थ पर इतना असर पड़ता है तो हम लोग इसे हटा क्यों नहीं देते ?

जवाब- कहना आसान है लेकिन अपने सामान से ओवर अटैचमेंट ये होने नहीं देता। नीचे लगे क्रिएटिव में कुछ रिसर्च के पाइंट दिए जा रहे हैं जिन्हें पढ़कर समझते हैं कि साइकोलॉजिकली क्यों हमें पुराना सामान हटाने में दिक्कत होती है। इस आदत को कैसे ठीक किया जा सकता है।

ये भी याद रखिए कि क्लटर को हटाकर सफाई करने की प्रोसेस को डिक्लटरिंग कहते हैं।

अब समझते हैं की क्या इस सफाई का भी कोई साइंस है ?

जवाब है- हां , बिल्कुल है। अगर इस साइंस को आपने समझ लिया तो सफाई करना आसान हो जाएगा।

सफाई का साइंस कहता है पॉज, थिंक एंड प्लान

पॉज - रूकें, ठहरें और समझें कि आपके लिए क्लटर क्या है? क्या ये टेबल पर बेवजह पड़ी कंघी या रिस्ट वाॅच है या दवाइयां, जिनकी आपको जरूरत ही नहीं? हर इंसान के लिए इसका मतलब अलग-अलग होगा। अगर आप दवाई लेना भूल जाते हैं, तो आपके लिए टेबल पर पड़ी दवाई क्लटर नहीं है बल्कि जरूरी सामान है। इसी तरह अगर आप घड़ी पहनना भूल जाते हैं, तो ये आपके लिए क्लटर नहीं है।

थिंक - डिक्लटरिंग करने का अब आपने फैसला कर लिया। इसके बाद सोचने का काम शुरू होता है। इस सवाल के साथ कि शुरू कहां से करूं? स्टडीज में पाया गया है कि एक फ्रेश बाथरूम से अगर आप दिन शुरू करें, तो आपको दिन भर फ्रेश महसूस होगा। इसलिए जब भी सफाई करने की शुरुआत करें, तो बाथरूम या किचन से करें।

प्लान - सफाई करने की प्लानिंग भी जरूरी है। एक साथ घर के हर कमरे का सामान न फैलाएं। किस दिन घर का कौन सा पार्ट आपको साफ करना है, ये पहले से प्लान कर लें। हर काम की तरह दिन में सफाई करने के लिए एक फिक्स्ड टाइम रखें। छोटे कॉर्नर से लेकर पूरे रूम को पार्ट्स में साफ करें।

सवाल- अच्छा इतना सब करने के बाद क्या डिक्लटरिंग का हमारे मेंटल और फिजिकल हेल्थ में कोई फायदा मिलेगा?

जवाब- जी हां, बिल्कुल-

  • रिसर्चर्स ने ये भी पाया कि सफाई करने से स्ट्रेस और एंग्जायटी कम होती है।
  • जब भी हमारा दिमाग कोई ऐसी एक्टिविटी करता है, जिसमें कम से कम एनर्जी खर्च हो, लेकिन रिवॉर्ड मिले, तो हमें खुशी होती है।
  • ऐसी एक्टिविटी को माइंडलेस एक्टिविटी भी कहते हैं। मन को रिलैक्स करने के लिए म्यूजिक सुनते हुए सफाई जैसी माइंडलेस एक्टिविटी कर सकते हैं।
  • डिक्लटर करने से टाइम मैनेजमेंट, फोकस, डिसिशन मेकिंग जैसी सॉफ्ट स्किल्स भी बेहतर होती हैं।
  • OCD या ADHD जैसी हेल्थ प्रॉब्लम से जूझ रहे लोगों के लिए भी सफाई करना एक थेरेपी लेने जैसा है।

ये तो क्लियर हो गया की क्लटर या अव्यवस्थित चीजें आप खरीद नहीं रहे, बल्कि बना रहे हैं। अब ये समझ लेते हैं कि आप आखिर ऐसा करते क्यों हैं ? इसके लिए नीचे दिए पॉइंट को पढ़ें-

घर या कमरे में मौजूद कचरा न हटाने के 3 कारण जान लें

  • काम टालने की आदत - करंट साइकोलॉजी यानी जर्नल की स्टडी के मुताबिक, फालतू सामान का यहां-वहां इकट्ठा होने का सीधा लिंक काम टालने की आदत से है। ये टेंडेंसी उम्र के साथ-साथ बढ़ती है। 30, 40 और 50 साल की उम्र के लोगों में ये आदत बढ़ती हुई देखी गई है।
  • लेट इट बी वाली आदत - टेबल भरा दिखा, तो कुछ सामान बेड पर रख लिया, बेड पर जगह नहीं मिली, तो ड्रेसिंग टेबल पर खिसका दिया। ये काम टालने का ही एक तरीका है। हमारे दिमाग पर क्लटर इकट्ठा होने का असर इतना ज्यादा होता है कि इसे हटाना या साफ करना मुश्किल लगने लगता है।
  • सामान छांटना एक एक्सरसाइज - ऐसा इसलिए क्योंकि क्लटर यानी अनवांटेड सामान को छांटकर अलग करना दिमाग के लिए एक एक्सरसाइज की तरह है। किसी पुरानी फाइल से पेपर छांटना दिमाग के लिए नए सिरे से पेपर जमाने से ज्यादा मुश्किल है। इसमें समय और कॉन्सेंट्रेशन लगता है इसलिए ऐसा करने से हम बचते हैं।

सवाल- दिवाली के अलावा रूटीन लाइफ में सफाई कैसे करें ?

जवाब- हम नीचे कुछ डिक्लटरिंग टिप्स और रूटीन आपको बता रहे हैं। इसे फॉलो कर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाएं। इससे आपको तनाव भी कम होगा और आपकोे घर साफ होने के लिए दिवाली का इतंजार भी नहीं करना पड़ेगा-

साफ-सफाई की टिप्स और ट्रिक्स जो आपकी जिंदगी हमेशा आसान करेंगी

1. आप सफाई करने के लिए एक वीकली टाइम टेबल बना सकते हैं।

2. टेक आउट ट्रैश का नियम बना लें। इसका मतलब यह है कि हफ्ते में एक दिन आप घर का एक कोना, एक दराज या अलमारी को चुन लें। उसकी सफाई कर फालतू सामान निकाल दें।

3. इसी तरह एक दिन ड्रेसिंग टेबल की दराज को चुन लें, पुरानी नेल पोलिश, टूटी-फूटी हेयर क्लिप्स को हटा दें।

4. पायदान, पर्दे, चादर, बेडशीट जैसा सामान धोने के लिए भी एक दिन फिक्स करें।

5. किसी खास मौके जैसे शादी या बड़े इवेंट से पहले सफाई की टू-डू लिस्ट या महीने भर का टाइम टेबल भी बना सकते हैं।

6. रोज साफ होने वाली चीजों में कोई साइड टेबल, धुलने वाले कपड़े, फ्रिज जैसे एरिया भी शामिल कर सकते हैं।

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