कल रात से ही पटाखों की आवाज आपके कानों में सुनाई देने लगी होगी। क्योंकि आज है दिवाली और बहुत से लोगों का सोचना है कि बिना पटाखों के दिवाली कैसी। आतिशबाजी त्योहारों का पारंपरिक हिस्सा हैं। आतिशबाजी कई तरह की होती है। जैसे- पटाखों की आतिशबाजी, फुलझड़ी की या रॉकेट की, लेकिन ये पटाखे ज्यादातर लोगों के घर में सेलिब्रेशन को तब फीका बना देते हैं। जब इससे कोई जल जाएं या कोई बड़ी घटना घट जाए।
हालांकि, हम यही चाहेंगे कि आपके घर में पटाखों को लेकर कोई समस्या न आएं और आप खुशी-खुशी दिवाली सेलिब्रेट कर सकें।
आज जरूरत की खबर में करेंगे सेफ दिवाली और पटाखों से जुड़ी चर्चा और बताएंगे आपके काम की बात
हमारे एक्सपर्ट हैं- डॉ. वी.पी. पांडे, MGM, इंदौर, डॉ. परमजीत सिंह, गाजियाबाद और डॉ अनुभव गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली
सबसे पहले इस साल पटाखों को लेकर सरकार की गाइडलाइन को पढ़ें…
सवाल- पटाखे जलाने के नुकसान तो हम सब जानते हैं, इसके बावजूद इससे बचते नहीं है, ऐसे में हमें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?जवाब- नीचे लिखी इन बातों को पढ़ें और पढ़कर भूल न जाएं, पटाखे जलाते वक्त फॉलो भी करें-
सवाल- इन सारे टिप्स को फॉलो करने के बाद भी अगर कोई पटाखे से जल जाए, तो क्या करना चाहिए?जवाब- इसके लिए नीचे दिए ग्राफिक को पढ़ें और दूसरों को भी शेयर करें-
सवाल- मान लीजिए कोई दूसरा हमारे सामने पटाखे से जल जाए या आग की चपेट में आ जाए, तब क्या करना चाहिए?जवाब- तुरंत कोई कपड़ा या कंबल लेकर उसे बुझाने की कोशिश करें, क्योंकि आग तब भड़कती है, जब उसे ऑक्सीजन मिलती रहती है। जब आग बुझ जाए, तो ऊपर ग्राफिक में दिए फर्स्ट एड टिप्स को फॉलो करें।
सवाल- जली हुई स्किन को कितनी देर तक पानी में रखना चाहिए?जवाब- करीब 5 मिनट तक।
समझिए कितने प्रकार के होते हैं बर्न-
(यहां पर बर्न का मतलब है, आग या बारुद जैसी चीजों से जलना।)
सवाल- पटाखों से कोई जल जाए, तो बहुत से लोग अपने मन से कुछ न कुछ उपाय करने लगते हैं, क्या ऐसा करना सही है?जवाब- नहीं, कुछ ऐसी चीजे हैं, जिन्हें हमें नहीं करना चाहिए। इनके बारे में जानने के लिए नीचे दिए ग्राफिक को पढ़े और दूसरों को शेयर भी करें-
सवाल- पटाखे जलाते वक्त कैसे कपड़े पहनने चाहिए?जवाब- पटाखे जलाते वक्त लंबे और ढीले कपड़े न पहनें, इसमें आग लगने की संभावना ज्यादा होती है। इसके बजाय फिटिंग के सूती कपड़े पहनें और पैरों में जूते। अगर आप सिंथेटिक के कपड़े पहनेंगे, तो उसमें भी जलने का बहुत रिस्क रहता है। पटाखे जलाते वक्त अपने बालों को अच्छी तरह से बांध लें, खासकर वो लोग, जिनके बाल लंबे हैं।
सवाल- जिन्हें अस्थमा नहीं है, लेकिन गले या नाक में एलर्जी की प्रॉब्लम है और तुरंत सर्दी-खांसी या छींक आने लगती है, तो पटाखे कैसे जलाएं?जवाब- ऐसे लोगों को पटाखे जलाने से बचना ही पड़ेगा। एलर्जी के पेशेंट के लिए कोई और उपाय नहीं है। अगर आपको लग रहा है कि N-95 मास्क या रुमाल लगाकर आप पटाखे जलाएंगे और एलर्जी की समस्या नहीं होगी, तो ये आपका भ्रम है। मास्क, रुमाल या दुपट्टे जैसी चीज आपको पटाखे के धुएं या किसी तरह के डस्ट से नहीं बचा सकती है। आपको ऐसी जगह को इग्नोर करना होगा और इग्नोर न कर पाएं, तो डॉ. को जरूर दिखाएं और जो दवा ले रहे हैं, उन्हें लेते रहें।
अस्थमा के पेशेंट पटाखों से ऐसे बचाव कर सकते हैं
सेफ नहीं है फुलझड़ी, अनार और स्नैक टैबलेट फुलझड़ी को आम तौर पर हम लोग सेफ मानते हैं। इसलिए सबसे पहले बच्चों के हाथ में यही थमा देते हैं। टेंशन की बात यह है कि ये उनके लिए सुरक्षित नहीं है। इंडियास्पेंड की एक स्टडी कहती हैं कि एक फुलझड़ी 74 सिरगेट के बराबर धुआं करती है। यह आपके बच्चे के लिए बहुत ही खतरनाक है।
फुलझड़ी देकर हम अक्सर बच्चों को स्नैक टैबलट जलाने को कहते हैं। ऐसा कर बच्चे खुश भी होते हैं। चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन (सीआरएफ) के निदेशक डॉ संदीप साल्वी के मुताबिक, स्नैक टेबलेट एक हजार पटाखों वाली लड़ी, रंग-बिरंगी फुलझड़ी, चकरी और अनार से भी ज्यादा खतरनाक है।
एक स्नैक टेबलेट सिर्फ 12 सेकंड में जल जाती है और इसका प्रभाव तीन मिनट तक रहता है। इससे सबसे ज्यादा मात्रा में डेंजरेस केमिकल निकलता है। इसके धुएं में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 माइक्रांस वाले व्यास से भी छोटे होते हैं। इसलिए ये फेफड़े के अंदरूनी हिस्से में आसानी से चले जाते हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि एक स्नैक को जलाने से 462 सिगरेट पीने जितना असर होता है। वहीं एक अनार जलाने से 34 सिगरेट पीने जितना फेफडे़ पर असर पड़ता है।
अब तक तो हमने की जरूरत की बात, अब करते हैं नॉलेज की बात
सवाल- पटाखों में कलर और चमक कैसे आती है?जवाब- खास तरह के केमिकल का इस्तेमाल करके पटाखों में कलर और रोशनी लाई जाती है। अलग-अलग केमिकल के हिसाब से ही पटाखों के रंगों की रोशनी अलग-अलग होती है। पटाखों का रंग मेटल साल्ट से आता है। मेटल साल्ट आतिशबाजी में गर्म होने पर प्रकाश उत्सर्जित यानी light emitted करता है।
सवाल- पटाखों में बारूद होता है, इस बारूद का आविष्कार सबसे पहले कहां हुआ था?जवाब- किंवंदती है कि चीन में लगभग हजार साल पहले बारूद का अविष्कार हुआ। कहा जाता है कि चीन में बारूद का अविष्कार एक दुर्घटना के चलते हुआ था। एक चीनी रसोइए ने खाना बनाते समय गलती से साल्टपीटर यानी पोटेशियम नाईट्रेट आग पर डाल दिया। इससे उठने वाली लपटें रंगीन हो गईं। इन रंगीन लपटों को देखकर लोगों की एक्साइटमेंट बढ़ी। फिर रसोइए ने साल्टपीटर के साथ कोयले और सल्फर का मिश्रण इसमें डाल दिया, जिससे रंगीन लपटों के साथ ही काफी तेज आवाज भी आई। बस यहीं से बारूद की खोज हो गई। एक दूसरे दावे के अनुसार, सॉन्ग वंश (960- 1276) के दौरान बारूद का आविष्कार हुआ था।
सवाल- नॉलेज की बात कर ही रहे हैं, तो ये भी बता दीजिए कि पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक कौन है?जवाब- पूरी दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा और पहला उत्पादक चीन और दूसरा भारत है।
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दिवाली के मौके पर जितना जरूरी घर को सजाना होता है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी होती है घर की सफाई। ‘दिवाली की सफाई’ यह लाइन सुनकर ही थकान होने लगती है। वजह भी तो है… क्योंकि साल भर व्यस्त रहने की वजह से घर का हर वो कोना जो साफ न किया गया हो, उसे भी इस मौके पर साफ जो किया जाएगा। (पढ़िए पूरी खबर)
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