जब मन होगा, तब फोड़ेंगे पटाखें:ऐसा न सोचें, गाइडलाइन पढ़ें, पटाखे खरीदते और जलाते वक्त, ध्यान रखें 8 बातें

7 महीने पहलेलेखक: अलिशा सिन्हा
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कल रात से ही पटाखों की आवाज आपके कानों में सुनाई देने लगी होगी। क्योंकि आज है दिवाली और बहुत से लोगों का सोचना है कि बिना पटाखों के दिवाली कैसी। आतिशबाजी त्योहारों का पारंपरिक हिस्सा हैं। आतिशबाजी कई तरह की होती है। जैसे- पटाखों की आतिशबाजी, फुलझड़ी की या रॉकेट की, लेकिन ये पटाखे ज्यादातर लोगों के घर में सेलिब्रेशन को तब फीका बना देते हैं। जब इससे कोई जल जाएं या कोई बड़ी घटना घट जाए।

हालांकि, हम यही चाहेंगे कि आपके घर में पटाखों को लेकर कोई समस्या न आएं और आप खुशी-खुशी दिवाली सेलिब्रेट कर सकें।

आज जरूरत की खबर में करेंगे सेफ दिवाली और पटाखों से जुड़ी चर्चा और बताएंगे आपके काम की बात

हमारे एक्सपर्ट हैं- डॉ. वी.पी. पांडे, MGM, इंदौर, डॉ. परमजीत सिंह, गाजियाबाद और डॉ अनुभव गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली

सबसे पहले इस साल पटाखों को लेकर सरकार की गाइडलाइन को पढ़ें…

  • दिल्ली सरकार ने 1 जनवरी, 2023 तक राष्ट्रीय राजधानी में सभी प्रकार के पटाखों के स्टोरेज, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
  • UP सरकार ने NCR के अपने शहरों में किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री या जलाने पर रोक लगा दी है। हालांकि 27 शहरों में 2 घंटे तक सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत दी गई है।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने दिवाली पर पटाखे फोड़ने की अनुमति दी है। जिन शहर की वायु गुणवत्ता 100 से 200 के नीचे हैं, वहां दिवाली के दिन 2 घंटों के लिए ग्रीन पटाखे फोड़े जा सकेंगे। जिन शहरों की वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से ज्यादा है वहां पटाखे नहीं फोड़े जा सकेंगे। दिवाली के दिन सिर्फ ग्रीन पटाखे ही 2 घंटे के लिए फोड़े जाएंगे।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने दिवाली को रात 8 बजे से 10 बजे तक और छठ पूजा पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी है।
  • पंजाब सरकार ने 24 अक्टूबर यानी दिवाली के दिन सिर्फ 2 घंटे के लिए पटाखे फोड़ने की इजाजत दी है। समय- रात 8 बजे से 10 बजे तक
  • हरियाणा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी HSPCB ने ग्रीन पटाखों को छोड़कर सभी तरह के पटाखों के मैन्यूफैक्चर, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
  • कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश है कि राज्य में त्योहार के दौरान क्यूआर कोड वाले ग्रीन पटाखों के अलावा किसी भी तरह के पटाखों की खरीददारी और बिक्री नहीं की जाएगी।
  • तमिलनाडु सरकार ने दिवाली पर सुबह 6-7 बजे और शाम को 7-8 बजे के बीच पटाखे फोड़ने की इजाजत दी है।

सवाल- पटाखे जलाने के नुकसान तो हम सब जानते हैं, इसके बावजूद इससे बचते नहीं है, ऐसे में हमें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?जवाब- नीचे लिखी इन बातों को पढ़ें और पढ़कर भूल न जाएं, पटाखे जलाते वक्त फॉलो भी करें-

  • खुले एरिया में पटाखे जलाएं, टाइल्स में चकरी अच्छे से घूमेगी या अनार जलेगा, तो सुंदर लगेगा और फोटो अच्छी आएगी, इन चक्करों में पड़कर घर के अंदर पटाखे न जलाएं
  • जिस दुकान वाले के पास लाइसेंस हो, उसी से पटाखे खरीदें, क्योंकि आपको मार्केट में खराब पटाखे भी मिल सकते हैं, जिनके फूटने का खतरा ज्यादा होता है
  • पटाखे के लेबल पर छपे निर्देशों को जरूर पढ़ें, खासतौर से तब, जब आप पहली बार पटाखे जलाने जा रहे हैं
  • पटाखे खरीदने के बाद उसे किसी बंद कंटेनर में सुरक्षित रखें और ध्यान रहे कि आसपास कोई आग लगने वाली चीज न हो
  • अगर बच्चा पटाखे फोड़ रहा है, तो ध्यान रहे कि वो आपकी देख-रेख में फोड़े
  • पटाखों के शोर से कान में परेशानी हो, तो इससे बचने के लिए रुई लगा लें
  • सांस की समस्या है, तो घर के अंदर ही रहें। जिस जगह पटाखे जलाए जा रहे हैं, वहां न जाएं
  • छत पर ऐसे सामान रखे हों, जो जल्दी जल जाएंगे या उनसे आग लगने का खतरा है, तो उसे तुरंत हटा दें

सवाल- इन सारे टिप्स को फॉलो करने के बाद भी अगर कोई पटाखे से जल जाए, तो क्या करना चाहिए?जवाब- इसके लिए नीचे दिए ग्राफिक को पढ़ें और दूसरों को भी शेयर करें-

सवाल- मान लीजिए कोई दूसरा हमारे सामने पटाखे से जल जाए या आग की चपेट में आ जाए, तब क्या करना चाहिए?जवाब- तुरंत कोई कपड़ा या कंबल लेकर उसे बुझाने की कोशिश करें, क्योंकि आग तब भड़कती है, जब उसे ऑक्सीजन मिलती रहती है। जब आग बुझ जाए, तो ऊपर ग्राफिक में दिए फर्स्ट एड टिप्स को फॉलो करें।

सवाल- जली हुई स्किन को कितनी देर तक पानी में रखना चाहिए?जवाब- करीब 5 मिनट तक।

समझिए कितने प्रकार के होते हैं बर्न-

(यहां पर बर्न का मतलब है, आग या बारुद जैसी चीजों से जलना।)

  • फर्स्ट डिग्री यानी सुपरफीशियल बर्न- स्किन की पहली लेयर रेड और ड्राई हो जाए, जलन हो, स्वेलिंग आ जाए, लेकिन स्किन छिले नहीं। तब इसे सुपरफीशियल बर्न या फर्स्ट डिग्री बर्न कहते हैं। ज्यादातर लोग फर्स्ट डिग्री बर्न के ही शिकार होते हैं। ये पटाखों के अलावा गैस पर चढ़े गर्म बर्तन को अचानक छू लेने पर भी हो सकता है।
  • सेकेंड डिग्री बर्न यानी पार्शियल थिकनेस- स्किन की पहली लेयर निकल जाए, दूसरी लेयर दिखने लगे या फिर पहली लेयर न भी निकले, तब भी बर्न दूसरी लेयर को इफेक्ट करे। इसे सेकेंड डिग्री बर्न कहते हैं। जिस जगह पर स्किन जली है, वो एरिया रेड हो सकता है या स्किन से पानी निकलने लगे और स्वेलिंग हो सकती है। ये बहुत पेनफुल होता है।
  • थर्ड डिग्री बर्न यानी फुल थिकनेस- इसमें स्किन की दोनों लेयर जल जाती हैं। मसल्स, खून वाली नस, ब्लड वेसल्स और बोन तक हीट जाती है। स्किन लेयर निकल जाती है, रेडनेस और वेट स्किन दिखने लगती है। ये बहुत खतरनाक होता है।

सवाल- पटाखों से कोई जल जाए, तो बहुत से लोग अपने मन से कुछ न कुछ उपाय करने लगते हैं, क्या ऐसा करना सही है?जवाब- नहीं, कुछ ऐसी चीजे हैं, जिन्हें हमें नहीं करना चाहिए। इनके बारे में जानने के लिए नीचे दिए ग्राफिक को पढ़े और दूसरों को शेयर भी करें-

सवाल- पटाखे जलाते वक्त कैसे कपड़े पहनने चाहिए?जवाब- पटाखे जलाते वक्त लंबे और ढीले कपड़े न पहनें, इसमें आग लगने की संभावना ज्यादा होती है। इसके बजाय फिटिंग के सूती कपड़े पहनें और पैरों में जूते। अगर आप सिंथेटिक के कपड़े पहनेंगे, तो उसमें भी जलने का बहुत रिस्क रहता है। पटाखे जलाते वक्त अपने बालों को अच्छी तरह से बांध लें, खासकर वो लोग, जिनके बाल लंबे हैं।

सवाल- जिन्हें अस्थमा नहीं है, लेकिन गले या नाक में एलर्जी की प्रॉब्लम है और तुरंत सर्दी-खांसी या छींक आने लगती है, तो पटाखे कैसे जलाएं?जवाब- ऐसे लोगों को पटाखे जलाने से बचना ही पड़ेगा। एलर्जी के पेशेंट के लिए कोई और उपाय नहीं है। अगर आपको लग रहा है कि N-95 मास्क या रुमाल लगाकर आप पटाखे जलाएंगे और एलर्जी की समस्या नहीं होगी, तो ये आपका भ्रम है। मास्क, रुमाल या दुपट्टे जैसी चीज आपको पटाखे के धुएं या किसी तरह के डस्ट से नहीं बचा सकती है। आपको ऐसी जगह को इग्नोर करना होगा और इग्नोर न कर पाएं, तो डॉ. को जरूर दिखाएं और जो दवा ले रहे हैं, उन्हें लेते रहें।

अस्थमा के पेशेंट पटाखों से ऐसे बचाव कर सकते हैं

  • अपनी आंखों और हाथ को धोते रहें।
  • इनहेलर, नेबुलाइजर, अपनी सारी दवाइयों को साथ रखें।
  • सांस लेने में तकलीफ है, तो दिवाली वाले दिन कमरे से बाहर न निकलें।
  • पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड हवा में घुल जाती है, इससे फेफड़ों में एलर्जी होगी।

सेफ नहीं है फुलझड़ी, अनार और स्नैक टैबलेट फुलझड़ी को आम तौर पर हम लोग सेफ मानते हैं। इसलिए सबसे पहले बच्चों के हाथ में यही थमा देते हैं। टेंशन की बात यह है कि ये उनके लिए सुरक्षित नहीं है। इंडियास्पेंड की एक स्टडी कहती हैं कि एक फुलझड़ी 74 सिरगेट के बराबर धुआं करती है। यह आपके बच्चे के लिए बहुत ही खतरनाक है।

फुलझड़ी देकर हम अक्सर बच्चों को स्नैक टैबलट जलाने को कहते हैं। ऐसा कर बच्चे खुश भी होते हैं। चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन (सीआरएफ) के निदेशक डॉ संदीप साल्वी के मुताबिक, स्नैक टेबलेट एक हजार पटाखों वाली लड़ी, रंग-बिरंगी फुलझड़ी, चकरी और अनार से भी ज्यादा खतरनाक है।

एक स्नैक टेबलेट सिर्फ 12 सेकंड में जल जाती है और इसका प्रभाव तीन मिनट तक रहता है। इससे सबसे ज्यादा मात्रा में डेंजरेस केमिकल निकलता है। इसके धुएं में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 माइक्रांस वाले व्यास से भी छोटे होते हैं। इसलिए ये फेफड़े के अंदरूनी हिस्से में आसानी से चले जाते हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि एक स्नैक को जलाने से 462 सिगरेट पीने जितना असर होता है। वहीं एक अनार जलाने से 34 सिगरेट पीने जितना फेफडे़ पर असर पड़ता है।

अब तक तो हमने की जरूरत की बात, अब करते हैं नॉलेज की बात

सवाल- पटाखों में कलर और चमक कैसे आती है?जवाब- खास तरह के केमिकल का इस्तेमाल करके पटाखों में कलर और रोशनी लाई जाती है। अलग-अलग केमिकल के हिसाब से ही पटाखों के रंगों की रोशनी अलग-अलग होती है। पटाखों का रंग मेटल साल्ट से आता है। मेटल साल्ट आतिशबाजी में गर्म होने पर प्रकाश उत्सर्जित यानी light emitted करता है।

सवाल- पटाखों में बारूद होता है, इस बारूद का आविष्कार सबसे पहले कहां हुआ था?जवाब- किंवंदती है कि चीन में लगभग हजार साल पहले बारूद का अविष्कार हुआ। कहा जाता है कि चीन में बारूद का अविष्कार एक दुर्घटना के चलते हुआ था। एक चीनी रसोइए ने खाना बनाते समय गलती से साल्टपीटर यानी पोटेशियम नाईट्रेट आग पर डाल दिया। इससे उठने वाली लपटें रंगीन हो गईं। इन रंगीन लपटों को देखकर लोगों की एक्साइटमेंट बढ़ी। फिर रसोइए ने साल्टपीटर के साथ कोयले और सल्फर का मिश्रण इसमें डाल दिया, जिससे रंगीन लपटों के साथ ही काफी तेज आवाज भी आई। बस यहीं से बारूद की खोज हो गई। एक दूसरे दावे के अनुसार, सॉन्ग वंश (960- 1276) के दौरान बारूद का आविष्कार हुआ था।

सवाल- नॉलेज की बात कर ही रहे हैं, तो ये भी बता दीजिए कि पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक कौन है?जवाब- पूरी दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा और पहला उत्पादक चीन और दूसरा भारत है।

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