मामला राजस्थान के सीकर का है। यहां गर्लफ्रेंड के लिए पवन नाम के शख्स ने अपनी मां और पत्नी आशा को घर से निकाल दिया। उसने घर हथियाने के लिए मां से कुछ सरकारी कागजों पर दवाब देकर हस्ताक्षर भी करवाए।
पवन और आशा के दो बच्चे हैं। वो आशा के साथ अक्सर मारपीट करता था। घर खर्च के लिए पैसे भी नहीं देता था। इधर पवन की गर्लफ्रेंड भी एक बेटे की मां है।
आज जरूरत की खबर में बात पत्नी और मां के हक की करेंगे। जानेंगे कि जबरन हस्ताक्षर करने को लेकर क्या कानून है, मां की संपत्ति पर बेटे का कितना हक है। पत्नी और बच्चों के अधिकार क्या हैं…
हमारे एक्सपर्ट हैं- नवनीत मिश्रा, एडवोकेट, लखनऊ हाई कोर्ट और अशोक पांडे, एडवोकेट, बंबई और मध्य हाई कोर्ट
सवाल: मां की संपत्ति पर बेटे का कितना हक होता है?
जवाब: पैतृक संपत्ति पर बेटा और बेटी दोनों का अधिकार होता है। अगर मां ने कोई संपत्ति खुद अर्जित की है या जो प्रॉपर्टी उनके पति यानी बेटे के पिता की है वो मां के नाम है तो उस संपत्ति पर बेटे का अधिकार तब तक नहीं होगा, जब तक मां उस प्रॉपर्टी को बेटे के नाम न कर दे।
इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है कि अगर मां-बाप चाहेंगे, तभी वो अपने बच्चों को अपनी प्रॉपर्टी दे सकते हैं।
सवाल: मां ने FIR की है, कानूनन अगर बेटे को घर से निकाल दिया जाए तब क्या मां अपनी प्रॉपर्टी बहू के नाम कर सकती है?
जवाब: अगर मां ने बेटे के खिलाफ FIR की है और मां की खुद की अर्जित संपत्ति है तभी वह बहू के नाम उसे कर सकेगी।
बहू का ससुराल की संपत्ति पर कब और कैसे अधिकार होता है?
सवाल: माता-पिता की सेवा को लेकर देश का कानून क्या कहता है?
जवाब: सीनियर सिटीजन एक्ट 2019 के कानून के अंतर्गत यदि बच्चे अपने मां-पापा की देखरेख नहीं करते हैं तो इस आधार पर वो उन्हें अपनी संपत्ति में हिस्सा देने से मना कर सकते हैं।
मां-पापा के पास उन्हें संपत्ति से बेदखल करने का भी अधिकार हैं। अगर मां-बाप शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं है तो सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस एंड वेलफेयर एक्ट- 2007 के तहत वह बच्चे से भरण-पोषण मांग सकते हैं।
सवाल: बेटे ने मां से जबरन हस्ताक्षर करवाया, अगर यह बात साबित हो गई, तो उसे क्या सजा मिलेगी?
जवाब: अगर यह बात साबित हो जाती है कि बेटे ने दबाव डालकर अपनी मां से प्रॉपर्टी के कागजात पर हस्ताक्षर करवाए तो यह एक्सटॉर्शन, क्रिमिनल इंटिमिडेशन, चीटिंग और फोर्जरी, ब्लैक मेलिंग, क्रिमिनल कंस्पायरेसी के अंतर्गत कानूनी तौर पर सजा के अंतर्गत प्रावधान है।
सवाल: अगर बच्चे बूढ़े पेरेंट्स की घर में सेवा न करें तो क्या होगा?
जवाब: बूढ़े माता-पिता या सीनियर सिटीजन की सेवा न करना और उनकी अनदेखी करना एक अपराध है। इसके लिए 5000 रुपए का जुर्माना या तीन महीने की सजा या दोनों हो सकते हैं।
सवाल: मां-बाप में से किसी एक या दोनों के जिंदा होने की स्थिति में क्या कोई उनकी प्रापर्टी को हथिया सकता है? (जब कागज भी मां-बाप से हथिया लिए हो?)
जवाब: नहीं, जब तक मां-बाप जिंदा हैं, उनकी प्रापर्टी पर बिना उनकी मंजूरी के कोई अपना अधिकार नहीं जता सकता है।
अगर डॉक्यूमेंट्स पर भी जबरन हस्ताक्षर ले लिए गए हों तब भी इससे फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए गिफ्ट डीड या सेल डीड, रजिस्ट्री, रेल relinquishment डीड या वसीयत इनमें से किसी एक की जरूरत कानूनन होगी।
यदि फर्जी तरीके से डॉक्यूमेंट ट्रांसफर किए गए है तब भी इसकी शिकायत अधिकारियों से कर सकते हैं।
सवाल: मां के अपने बेटे के खिलाफ FIR कराने पर जबरन हथिया लिया हुआ घर, पुलिस खाली करवा सकती है?
जवाब: हां, बिल्कुल। पुलिस के पास इसका अधिकार है।
अगर मां ने बेटे के खिलाफ FIR की है और इस बात की शिकायत पुलिस को की है तब ऐसा संभव है।
सवाल: इस मामले में बेटे ने अपनी पत्नी को भी घर से निकाला, दोनों के बच्चे भी हैं, ऐसे में पत्नी के क्या अधिकार हैं?
जवाब: पति अगर बच्चों समेत पत्नी को घर से बाहर निकाल दे, उस स्थिति में घरेलू हिंसा का मामला पति पर पत्नी दर्ज करवा सकती है।
क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 कानून के तहत पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होती है। CrPC की धारा 125 के तहत पत्नी गुजारा भत्ता मांग सकती है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में पति को जेल भी हो सकती है।
सवाल: पत्नी को कब और किन परिस्थितियों में गुजारा भत्ता मिलना चाहिए?
जवाब:
सवाल: पत्नी को धोखा देने पर पति को क्या सजा मिलती है?
जवाब: फैमिली कोर्ट में धारा 125 के तहत मुकदमा दर्ज करा सकती है। पत्नी घरेलू हिंसा, धोखाधड़ी या किए गए अपराध की शिकायत थाने में दर्ज करा सकती है एवं इसी के अंतर्गत अपराध साबित होने पर पति को सजा का प्रावधान है।
सवाल: पति के दूसरी औरत के साथ रहने या दूसरी शादी करने पर बच्चों को कौन संभालता है? उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्चा देने के लिए क्या रूल हैं?
जवाब: पति अगर दूसरी महिला के लिए अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ देता है तब पत्नी भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकती है। खर्चें को दिलवाने की जिम्मेदारी कोर्ट की होती है।
सवाल: पत्नी और बच्चे को कितना गुजारा भत्ता मिल सकता है?
जवाब: यदि भरण पोषण का आवेदन पत्नी और बच्चों के द्वारा कोर्ट में किया गया है इस स्थिति में अमूमन 20 से 30% तक प्रतिमाह की जो पति की आमदनी है वह पत्नी और बच्चों को दिलाए जाने का निर्णय कोर्ट में होता है।
सवाल: भरण पोषण न देने पर क्या होता है?
जवाब: भरण पोषण न दिए जाने की स्थिति में पत्नी और बच्चों के नाम पर रिकवरी ऑफ ड्यूस या आरडी पेटीशन (recovery of dues/ Rd petition) कोर्ट में दर्ज की जाती है। तब काेर्ट वसूली वारंट उस व्यक्ति के नाम निकाल देती है।
फिर भी अगर पैसे न दिए गए तो अरेस्ट वारंट पति के खिलाफ निकाला जाता है।
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