छुट्टी मांगी तो जॉब जाने का डर:टेंशन नहीं लें, लीव लेना आपका अधिकार; बहानेबाजी नहीं

8 महीने पहलेलेखक: अलिशा सिन्हा
  • कॉपी लिंक

स्टाफिंग फर्म रैंडस्टैंड इंडिया की एक नई स्टडी के अनुसार, 35-40% कर्मचारी बॉस से छुट्टी मांगते वक्त टेंशन में आ जाते हैं।

लगभग 25% कर्मचारी FOMO की वजह से छुट्टी लेने से बचते हैं। आपके साथ भी तो कहीं ऐसा नहीं होता?

कुछ लोगों का जवाब हां होगा लेकिन वो यह भी सोच रहे होंगे कि ये FOMO क्या बला है।

दरअसल, FOMO का फुल फॉर्म होता है फियर ऑफ मिसिंग आउट यानी नौकरी से जुड़ी असुरक्षा और दबाव। कर्मचारियों को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं छुट्टी ले ली, तो उन्हें नौकरी से ही न निकाल दिया जाए।

चलिए अब करते हैं आपके काम की बात-

आज की स्टोरी के एक्सपर्ट हैं- मुंबई के डायग्नोस्टिक फर्म हेल्थस्प्रिंग में मनोचिकित्सक सलाहकार डॉ सागर मुंडाडा,कंसल्टेंसी फर्म BYLD Group के CEO आनंद दीवान और गुरुग्राम में कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशीष मित्तल।

सवाल- छु्ट्टी लेते या मांगते वक्त अगर हमें बुरा या गिल्ट फील होता है, तो क्या करें?
जवाब-
इसके लिए नीचे दिए ग्राफिक को पढ़ें और दूसरों को शेयर भी करें-

2018 की रिसर्च पर नजर डाल लीजिए-
ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल एक्सपीडिया ने 2018 में वेकेशन डेप्रिवेशन रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक, 75 फीसदी भारतीयों को महसूस होता है कि वो छुट्टियों से वंचित हैं, ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा था।

एक्सपर्ट्स की मानें तो कम छुट्टी और ब्रेक की वजह से हमारी मेंटल हेल्थ बिगड़ सकती है। छुट्टी लेने के लिए हमें अच्छे आत्मविश्वास यानी सेल्फ कॉन्फिडेंस की जरूरत होती है। भारत धीरे-धीरे Guilt Vacation Syndrome का शिकार हो रहा है।

सवाल- हम Guilt Vacation Syndrome के शिकार न बनें, इसके लिए क्या करें?
जवाब-

  • वर्किंग डेज पर कड़ी मेहनत करें और छुट्टी लेने पर अपने आप को याद दिलाएं कि आपको एक ब्रेक की जरूरत है, मेंटली और फिजिकली आराम के लिए।
  • याद रखें छुट्टी लेने का मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आप आलसी हो गए हैं, बहानेबाज हैं या प्रोडक्टिव माइंड नहीं हैं।
  • मैनेजर और टीम मेंबर्स के साथ अच्छा कम्युनिकेशन रखें ताकि छुट्टी वाले दिन वो आपका और आप उनका काम संभाल सकें।
  • बहुत से लोग किसी भी काम के लिए 'नहीं' कहने में खुद को दोषी मानते हैं, ऐसा न करें। 'नहीं' शब्द कहना सीख लें।

सवाल- कुछ बॉस छुट्टी लेने वाले कर्मचारी को अक्सर ताना मारते हैं, जिससे कर्मचारी या तो डर जाते हैं या छुट्टी मांगने से पहले 10 बार सोचते हैं, ऐसे बॉस को कैसे टैकल करें?
डॉ सागर मुंडाडा-

  • कर्मचारियों को अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत है।
  • बॉस चिल्लाए या ताना मारे, फिर भी आप अपने हक की छुट्टी मांगे और इससे डरें, घबराएं या खुद को दोषी न मानें।
  • छुट्टी मांगने की वजह से आपके काम में कमी निकाली जाए, तो खुद के काम को जस्टिफाई करें। बताएं कि आपने ईमानदारी से और सही तरीके से काम किया है।
  • उन सहकर्मियों से दूर रहें, जो आपको पेड लीव लेने पर गिल्ट फील करवाते हैं।

काम पर जाना फिजिकली जिंदा रहने के बराबर
कंसल्टेंसी फर्म BYLD Group के CEO आनंद दीवान कहते हैं कि जब कर्मचारी यह मानते हैं कि हर दिन काम पर जाना साइकोलॉजिकल और फिजिकल रूप से जिंदा रहने के बराबर है। तब उन्हें पेड लीव लेने से स्ट्रेस फील होता है। उन्हें डर लगता है।

इस पर मनोचिकित्सक डॉ. सागर मुंडाडा कहते हैं कि ये सारी चीजें कुछ और नहीं बल्कि इम्पोस्टर सिंड्रोम है।

सवाल- डॉ सागर मुंडाडा जिस इम्पोस्टर सिंड्रोम का जिक्र कर रहे हैं, वो क्या होता है?
जवाब-
जब कोई व्यक्ति अपनी कैपेसिटी यानी क्षमताओं पर शक करता है या हमेशा एक ढोंगी की तरह फील करता, तब इसे इम्पोस्टर सिंड्रोम कहते हैं।

सवाल- इम्पोस्टर सिंड्रोम की समस्या ज्यादातर किन लोगों को होती है?
जवाब-

  • जिन लोगों ने अपने जीवन में काफी कुछ आचीव किया और बड़ी ऊंचाइयां देखी हों।
  • वो लोग इफेक्टेड रहते हैं, जिन्हें अपने अचीवमेंट्स को एक्सेप्ट करने में मुश्किल होती है।
  • वो लोग जो खुद से कई सवाल और शक करते हैं कि क्या वो वाकई काबिल इंसान हैं।

सवाल- इम्पोस्टर सिंड्रोम से बचने का तरीका क्या है?
डॉ. आशीष मित्तल-

  • अपनों से (दोस्त या परिवार कोई भी) खुलकर बातचीत करें। आपकी जो भी परेशानियां हैं, वो किसी भरोसेमंद से जरूर शेयर करें।
  • रोजाना योग और मेडिटेशन करने की कोशिश करें। इससे मन शांत होगा, कहीं न कहीं सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है।
  • इन सब के बाद भी कोई फायदा नजर न आए, तो क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें। आमतौर पर काउंसिलिंग से यह समस्या दूर हो जाती है।

सवाल- हम अपनी छुट्टियां बिना किसी गिल्ट के कैसे एन्जॉय कर सकते हैं?
जवाब-

  • समझना जरूरी है कि आपने छुट्टी टेंशन फ्री रहने की लिए ली है न कि गिल्ट फील करने के लिए।
  • खुद को जज करना है, तो इस बात के लिए करें कि काम के बदले इन छुट्टियों को कमाया है।
  • ऑफिस मेल, वॉट्सऐप ग्रुप से डिस्कनेक्ट रहें या कम से कम देखें।
  • अपनी छुट्टियों को कुछ नया सीखने के लिए इस्तेमाल करें।

छुट्टी लेते वक्त इन 6 बातों का ख्याल रखें-
पूरी स्टोरी पढ़ने के बाद अगर किसी को ऐसा लग रहा है कि ये स्टोरी मेरी लिए लिखी गई है और आज से मैं बेधड़क छुट्‌टी ले सकता या सकती हूं तो ऐसे लोग कुछ बातों का ख्याल जरूर रखें-

  1. छुट्टी लेने का मतलब ये नहीं है कि आप इस अधिकार का गलत इस्तेमाल करें। छुट्टी तभी लें, जब आपको इसकी वाकई में जरूरत है। जैसे- काम करके थक गए हैं, ब्रेक चाहिए। इमरजेंसी है, बीमारी है या कोई घटना घटित हो गई है।
  2. छुट्टी मांगने के लिए बॉस या कंपनी को ब्लैकमेल न करें।
  3. लेबर लॉ का ख्याल रखें।
  4. इमरजेंसी सिच्यूएशन को छोड़कर अपनी छुट्‌टी प्लान करते वक्त यह भी देखें कि ऑफिस की कोई जरूरी मीटिंग तो नहीं, जहां आपका रहना जरूरी है।
  5. एक साथ टीम के सभी मेंबर छुट्‌टी पर न जाएं।

चलते-चलते
छुट्टी का आविष्कार किसने किया?

लेखक, इतिहासकार और ट्रैवलर टोनी पेरोटेट के अनुसार, सबसे पहले रोम के लोगों ने छुट्टियां मनाना शुरू किया था।

रविवार को छुट्टी यानी हॉलीडे रहेगी, इसकी शुरुआत किसने की?
भारत में रविवार को छुट्टी की शुरुआत सबसे पहले ब्रिटिश ने साल 1843 में की थी। क्योंकि ईसाई धर्म में माना गया है कि भगवान ने इस दुनिया को 6 दिनों में बनाया और रविवार को उन्होंने आराम किया।

कौन सा देश रविवार को छुट्टी यानी हॉलीडे नहीं मनाता है?
UAE और सऊदी अरब जैसे इस्लामिक स्टेट में रविवार को नहीं बल्कि शुक्रवार को छुट्टी यानी हॉलीडे होता है। हालांकि, पाकिस्तान अपवाद है।

गर्मी की छुट्टियों का आविष्कार किसने किया?
लगभग 200 साल पहले स्कूल पूरे साल खुले रहते थे। शहरी स्कूलों में हर तीन महीने पर एक ब्रेक हुआ करता था। गांव के स्कूलों में वसंत और पतझड़ के मौसम में लंबे समय तक छुट्टियां होती थीं। ताकि उनके बच्चे रोपाई और कटाई में मदद कर सकें।

उस वक्त ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर थे। अमेरिका में 1800 की दशक में शहरी स्कूलों में लंबी गर्मी की छुट्टियां नहीं होती थीं। फिर एक महान शिक्षा सुधारक यानी education reformer होरेस मान चिंतित हो गए कि बच्चों का दिमाग स्ट्रेस, टेंशन और पागलपन का शिकार हो सकता है। इसलिए 1840 में गर्मी की छुट्टियों की शुरुआत की गई। इससे छात्र और शिक्षक दोनों खुश हो गए। इस फैसले से डॉक्टर भी खुश हो गए। वो नहीं चाहते थे कि बच्चों को सालभर एक कमरे में कैद करके पढ़ाया जाए।

जरूरत की खबर के कुछ और आर्टिकल भी पढ़ेंः

1. मुंह पर टेप लगाकर सो रहे हैं लोग:सोशल मीडिया के इस ट्रेंड को फॉलो न करें, ऑक्सीजन लेवल हो सकता है कम

सोशल मीडिया पर जैसे ही कोई चीज ट्रेंड करता है, यूथ उसे अपनाने लगते हैं, लेकिन किसी भी ट्रेंड को फॉलो करने से पहले उसके अच्छे और बुरे पहलू को जानना जरूरी है। ऐसे ही एक ट्रेंड की चर्चा करेंगे आज जरूरत की खबर में, जिसका नाम है माउथ टेपिंग ट्रेंड। (पढ़िए पूरी खबर)

2.गर्म पानी या दाल में डालते हैं नींबू:रहें अलर्ट, नहीं मिलेगा विटामिन C; खाने की नली को होगा नुकसान

दाल, करी, उपमा, पोहा। इन सब को बनाते समय ही उसमें नींबू मिलाया जाता है। कुछ लोग ऊपर से नींबू डालकर ही खाते हैं। ऐसा स्वाद बढ़ाने के लिए करते हैं। हमें लगता है कि इससे विटामिन-C बॉडी को मिल रहा है। क्या वाकई ऐसा होता है? (पढ़िए पूरी खबर)

खबरें और भी हैं...