होली में रंग-गुलाल खेलने में हुई जरा सी भूल आपको हॉस्पिटल पहुंचा सकती है। भूलें नहीं, ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में रंग बनाने वाली कंपनियां रंग में मिलावट कर रही हैं। इस वजह से हमारी स्किन और आंखों पर बुरा असर पड़ता है।
सिंथेटिक रंग का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना है। अगर कोई आपको जबरदस्ती नकली रंग लगा रहा है तो उसका साफतौर से विरोध करना है।
जरूरत की खबर में होली खेलते वक्त किस तरह से खुद को बचाना है केमिकल वाले रंग से, यह बता रहे हैं। पर याद रखें मामला जरा भी सीरियस लगे फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
रंग खेलते वक्त क्या सावधानी बरतें?
होली खेलने के दौरान कान को कैसे सुरक्षित रखें?
होली खेलने से पहले ऑलिव ऑयल या सरसों का तेल हल्का गुनगुना करके दो-दो बूंद अपने कानों में डाल लें। उसके बाद ऊपर से रुई (कॉटन) को लगाकर कान बंद कर दें, लेकिन इतना अंदर न लगाएं कि कॉटन कान के अंदर ही चला जाए।
मुंह में गलती से रंग चला जाए तो क्या करें?
मुंह में रंग जाने से केमिकल वाला रंग आपके शरीर में फैलने लगता है। यह शरीर के लिए जहर साबित हो सकता है। रंग मुंह में जाए तो थूक दें, गलती से निगले नहीं। साफ पानी से कई बार कुल्ला करें, ताकि मुंह का रंग निकल जाए।
साफ पानी से कुल्ला करने के बाद माउथ वॉश से कुल्ला करें। गुनगुने पानी में नींबू और नमक डालकर भी कुल्ला कर सकते हैं। इससे केमिकल का असर कुछ कम हो जाएगा। इसके बाद कम से कम 1 घंटे तक कुछ न खाएं।
प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली औरतें क्या करें?
सिंथेटिक होली के रंगों में हानिकारक पदार्थ होते हैं। स्किन और रेस्पिरेटरी सिस्टम के अंदर जैसे ही ये जाते हैं, गंभीर रिएक्शन और एलर्जी क्रिएट करते हैं। कई बार ब्लड के जरिए भी रंग गर्भ में पहुंच जाते हैं। इससे बच्चे का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो जाता है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को रंग खेलने से बचना चाहिए। बेहतर होगा वे सिर्फ तिलक लगाकर ही होली सेलिब्रेट करें।
एक्सपर्ट: डॉ तुषार ग्रोवर, मेडिकल डॉयरेक्टर- विजन आई सेंटर, डॉ. राम आशीष यादव।
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