जरूरत की खबर:अगर आपका पासवर्ड है abc, 123, ILoveYou, QWERTY तो हो जाएं अलर्ट, हैकर्स बना सकते हैं धोखे का शिकार

एक वर्ष पहलेलेखक: अनुराग गुप्ता
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पिछले कुछ दिनों से डार्क वेब चर्चा में है। इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) की एक रिपोर्ट में पता चला है कि भारत और दक्षिण एशिया में डार्क वेब के जरिए नशीली पदार्थों की तस्करी खूब हो रही है। INCB को इसके पुख्ता सुबूत मिले हैं।

अब आप कहेंगे कि डार्क वेब पर कई दिनों से चर्चा हो रही है तो आज इसमें नया क्या हो गया?

दरअसल अब डार्क वेब की नजर लोगों के पासवर्ड पर बनी हुई है। सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि डार्क वेब पर लाखों लोगों की पसर्नल डिटेल, उनकी ईमेल आईडी और पासवर्ड लीक हुए हैं। डार्क वेब पर लीक हुई 20 कॉमन पासवर्ड की डिटेल भी लुकआउट ने जारी की है।

अगर आप भी उन ज्यादातर लोगों में से एक हैं जो अपने सिक्योरिटी पासवर्ड को हल्के में लेते हैं तो इस लिस्ट को फौरन चेक करें और देखें कि कहीं आपने भी तो ऐसा ही कुछ पासवर्ड नहीं रखा। अगर हां, तो सावधान हो जाएं क्योंकि इस वजह से आपकी प्राइवेसी का उल्लंघन हो सकता है। जिससे आपके मोबाइल और लैपटॉप की सारी तस्वीरें या डेटा किसी हैकर के हाथ में आसानी से पहुंच जाएंगी।

जो लोग डार्क वेब के बारे में ज्यादा नहीं जानते उनके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे। जैसे आखिर यह डार्क वेब क्या है? अगर यह इतना खतरनाक है तो पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? आखिर वो 20 कॉमन पासवर्ड क्या हैं? इन सारे सवालों का जवाब हम आपको देंगे।

सबसे पहले जानते हैं कि क्या है डार्क वेब?

डार्क वेब को ही डार्क नेट कहते हैं। इसे आप इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड कह सकते हैं। इस पर सारे गलत काम होते हैं जिनका समाज पर बुरा असर होता है। जैसे आतंकी गतिविधियां, असलहों व नशीले पदार्थ की तस्करी, पोर्नोग्राफी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, सेक्सटॉर्शन और ब्लैकमेलिंग होती है। यहां लोगों के क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड के डीटेल्स, ई-मेल एड्रेस आसानी से मिल जाती हैं।

दरअसल हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल रोजाना करते हैं वह तो एक छोटा-सा हिस्सा है। इसके बड़े हिस्से तक आम लोग पहुंच ही नहीं पाते। यह आम लोगों की नजर से दूर अंधेरे में है और इसे ही डार्क वेब कहते हैं।

डार्क वेब से कैसे जुड़ जाते हैं हम?

डार्क वेब का इस्तेमाल आम आदमी भले ही ना करे, लेकिन इसके द्वारा होने वाले अपराध से बच नहीं पाता है। डार्क वेब का एक्सेस हर कोई नहीं कर पाता है। डार्क वेब पर नो कंटेंट रेगुलेशन पॉलिसी चलती है। जो लोग डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं ज्यादातर वहीं लोग दूसरे की निजी जिंदगी की जानकारी जुटाकर ब्लैकमेल करने का भी काम करते हैं।

आपको याद होगा कि दो-तीन साल पहले साइबर सिक्यॉरिटी फर्म Kaspersky Lab ने खुलासा किया था कि आपके पर्सनल डीटेल्स डार्क वेब में सिर्फ 3,500 रुपए में मिल रहे हैं। इनमें सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड, बैंक डिटेल्स और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी थी।

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कैसे रखें डार्क वेब से खुद को सुरक्षित?

  • हैकर ज्यादातर किसी नामी कंपनी के नाम का इस्तेमाल करते हैं। स्पेलिंग और कंपनी के Logo में थोड़ा-सा हेरफेर कर देते हैं। इसे एक नजर में देखकर आम व्यक्ति समझ नहीं पाता कि वह असली कंपनी या नकली। इसलिए किसी भी वेबसाइट पर अपना अकांउट खोलने या लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक करें कि वह असली या नकली।
  • हैकर अक्सर आपके खाते की सुरक्षा को लेकर धमकी देते हैं ऐसे में उनके चंगुल में न फंसें, किसी साइबर एक्सपर्ट से बात करें।
  • किसी ऐप को डाउनलोड करने से पहले परमिशन चेक करें। उसकी समीक्षा और रेटिंग पर ध्यान दें। 50,000 से कम डाउनलोड वाले ऐप को इंस्टॉल करें।
  • फोन या SMS पर अपनी गोपनीय या निजी जानकारी किसी को ना दें। फोन को हमेशा लॉक रखें।
  • डॉक्यूमेंट से रिलेटेड जानकारी हर किसी को ना दें। डॉक्यूमेंट संभालकर रखें। कंप्यूटर या स्मार्टफोन में मौजूद जानकारी को पासवर्ड या पैटर्न से सुरक्षित करें।
  • सिस्टम को शट डाउन करने या बैंकिंग वेबसाइट से लॉग आउट करने के बाद ही बाहर आएं।
  • अनसिक्यॉर्ड या पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से बचें, याद रखें कि इससे ऑनलाइन थेफ्ट का शिकार होना आसान होता है।
  • आईडेंटिटी थेफ्ट की आशंका को कम करने के लिए अपना पासवर्ड को बदलते रहें।

पासवर्ड बनाते वक्त क्या गलती करते हैं?

अक्सर लोग भूल जाने के डर से आसान पासवर्ड रखते हैं, जैसे अपना नाम, डेट ऑफ बर्थ या अपना निक नेम आदि। उसी पासवर्ड के जरिए डार्क वेब लोगों की प्राइवेसी में दखल दे रहा है। सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की रिपोर्ट में यह भी पता चला कि 80 प्रतिशत लोग 123, 1234, i love you जैसे पासवर्ड रखते हैं।

कैसे हैकर बनाते हैं शिकार

डिजिटल दौर में लोग तमाम तरह के एप्लिकेशन इस्तेमाल करते हैं। उन ऐप के पासवर्ड भूल जाने के चक्कर से सभी का कॉमन पासवर्ड रखते हैं। साथ ही बार-बार पासवर्ड डालने से बचने के लिए किसी भी सिस्टम पर उसे सेव कर देते हैं। कुछ लोग लिखकर भी उसे रखते हैं।

एप्लिकेशन इस्तेमाल करने के लिए बिना पढ़े भी सभी नोटिफिकेशन को भी अलाउ करते जाते हैं। अगर डिनाई करते हैं तो आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे तो ऐसा करना ही पड़ता है। बस वहीं से आपकी प्राइवेसी पर हैकर सेंध लगाना शुरू कर देते हैं।

इतनी थ्योरी सुनकर आप सोच रहे होंगे कि इतना कुछ पता होने के बाद भी पुलिस इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करती है। चलिए वह भी बताते हैं आखिर दिक्कत आती कहां से है?

क्यों नहीं अपराधी को पकड़ पाती है पुलिस?

डार्क वेब को चलाने वाले कहां से इसको चलाते हैं इसका आईपी एड्रेस ट्रेस नहीं हो पाता। इसके लिए अच्छे एक्सपर्ट की जरूरत होती है जिसकी हर डिपार्टमेंट में कमी है। ट्रेसिंग, इन्फॉर्मेशन शेयरिंग और नए फॉरेंसिक लैब की कमी है इसलिए इन अपराधियों को पुलिस पकड़ नहीं पाती है।

डार्क वेब के जरिए सारे गलत कामों सहित कॉन्ट्रेक्ट किलिंग का काम भी चलता है। यदि डार्क वेब की ट्रेसिंग हो भी जाती है तो पता चलता है इसको इस्तेमाल करने वाला विदेश में बैठा है। ऐसे में पुलिस और इंटेलिजेंस के लिए इन्हें पकड़ना चुनौती बना हुआ है।

डार्क वेब पर ये सारे गलत काम होते हैं

  • असलहों की तस्करी
  • नशीले पदार्थों की तस्करी
  • अजरबैजान ईगल्स और बेसा माफिया वेबसाइट के जरिए सुपारी किलिंग
  • चाइल्ड पोर्नोंग्राफी
  • ह्यूमन ट्रैफिकिंग
  • सेक्स रैकेट
  • हनी ट्रैप