India's Online Game Guidelines; Ludo | Call Of Duty, Clash Of Clans
कॉल ऑफ ड्यूटी-लूडो खेलने वाली 45% हैं महिलाएं:लत ऐसी कि तलाक तक पहुंच रहा मामला; सरकार ला रही गाइडलाइन
5 महीने पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी
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नोएडा के सेक्टर-50 में रहने वाले एक शख्स ने पत्नी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उसका कहना हैं कि पत्नी एक घरेलू महिला है, ऑनलाइन गेम खेलने की लत उसे लग चुकी है। वो अपने बच्चों पर भी ध्यान नहीं देती। अनजान लोगों के साथ गेम खेलने में पैसे भी गंवा देती है। अगर पुलिस ने कुछ नहीं किया तो वो उससे तलाक लेगा। एक मामला इंदौर से आया जब एक 23 साल के लड़के ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि लूडो में वो बहुत सारे पैसे हार गया था। कर्ज की वजह से परेशान होकर उसने ये कदम उठाया। भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करने के लिए फिलहाल कोई कानून नहीं है। इसीलिए हाल ही में देश के आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नियम बनाने से पहले नियमों का एक ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन में शेयर किया है। आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि क्या हो सकते हैं ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े नए नियम, हमारे आसपास किसी को इसकी लत लग गई हैं तो कैसे छुड़ा सकते हैं जैसी सारी डिटेल।
आज के हमारे एक्सपर्ट हैं
पवन दुग्गल, सीनियर एडवोकेट, साइबर लॉ एक्सपर्ट, दिल्ली
सवाल: क्या ऑनलाइन गेमिंग को लेकर देश में कोई नियम हैं? जवाब: ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने के लिए देश में अलग से फिलहाल कोई कानून नहीं है। फरवरी की शुरुआत तक इसके लिए नियम तैयार हो जाएंगे। तेलंगाना पहला राज्य, जहां ऑनलाइन गेमिंग पर है कानून तेलंगाना में 2017 से ही ऑनलाइन गेमिंग कानून लागू किया गया है। ऑनलाइन गेमिंग में जुआ खेलने वाले को 3 महीने की जेल, 5000 जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती हैं। ऑनलाइन जुए के विज्ञापन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को एक साल कैद, 5 लाख का जुर्माना या दोनों सजा मिल सकती है। ऑनलाइन गेम के माध्यम से जुआ खिलाने वाला, पैसे या प्रॉपर्टी को ऑनलाइन गेम में दांव पर लगाने का खेल जो भी खिलवाता हुआ पकड़ा जाएगा, उसे 3 साल की कैद, 10 लाख रुपए का जुर्माना या दोनों सजा देने का नियम है।
सवाल: ऑनलाइन गेमिंग से हमें क्या नुकसान हो सकता है? जवाब: इससे मेंटल, फिजिकल और फाइनेंशियल तौर पर हमें कई तरह का नुकसान होता है। जैसे-
ऑनलाइन गेमिंग के जरिए कई फ्रॉड किए जा रहे हैं।
गेम खेलते हुए आप नहीं जानते जिसके साथ खेल रहे हैं, वो कौन है। ऐसे में साथ खेल रहा खिलाड़ी आपको साइबरबुलिंग का शिकार बना सकता है।
ऑनलाइन गेम की बहुत जल्दी लत लग जाती है। इसलिए जो भी लोग इन्हें खेलना शुरू करते हैं वो इन्हें खेले बिना नहीं रह पाते।
शूटिंग और फाइटिंग वाले कुछ ऑनलाइन गेम्स हिंसा को बढ़ावा देते हैं। इन्हें खेलने वाले बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।
कई ऑनलाइन गेम एडल्ट के लिए डिजाइन किए जाते हैं मगर रेगुलेशन की कमी की वजह से बच्चे भी उन्हें खेलते हैं।
लंबे समय तक गेम खेलते रहने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। लोग बहुत देर तक एक ही पोजिशन में बैठकर या लेटकर खेलते रहते हैं। इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं।
सवाल: मिनिस्ट्री ऑफ इलैक्ट्रॉनिक एंड आईटी ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए क्या नियम तय किए हैं? जवाब: मिनिस्ट्री ऑफ इलैक्ट्रॉनिक एंड आईटी ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। यह नियम फरवरी की शुरुआत तक तैयार हो जाएंगे। ऑनलाइन गेमिंग को लेकर ये हो सकते हैं नियम…
गेमिंग कंपनियों को एक सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बनानी होगी।
जिन गेम्स को ये बॉडी क्लियर करेगी सिर्फ वही गेम देश में ऑपरेट हो पाएंगे।
गेमिंग कंपनियों को कस्टमर्स के संरक्षण का ध्यान रखना होगा।
ऑनलाइन गेम खेलने वालों को KYC कराना होगा।
कंपनियों को शिकायत अधिकारी रखना होगा जो ऑनलाइन गेमिंग इन्टरमीडिएरी का कर्मचारी और भारत का निवासी हो।
ऑनलाइम गेम्स खेलने वाले इन शिकायत अधिकारियों के पास गेमिंग से जुड़ी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे।
जुए और सट्टेबाजी से जुड़ा हर नियम ऑनलाइन गेम्स पर लागू होगा।
देश के कानून का पालन जो ऑनलाइन गेम्स नहीं करेंगे उन्हें कंपनियां एंटरटेन नहीं करेंगी।
बच्चों की सुरक्षा का उचित इंतजाम किया जाए। माता-पिता की सहमति और बच्चों की उम्र का ख्याल रखा जाए।
खेल में शामिल लोगों को जमा किए गए पैसे का रिफंड, जीती हुई रकम मिलने और अन्य शुल्क के बारे में जानकारी देनी होगी।
सवाल: सरकार को ये गाइडलाइन जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? जवाब: सरकार को इन गाइडलाइन्स की जरूरत है क्योंकि…
ऑनलाइन गेम खेलने वालों में 40 से 45 फीसदी महिलाएं हैं। इसलिए गेमिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित बनाना जरूरी है।
कोविड के बाद ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले लोगों की आबादी 65% बढ़ गई है। देश में करीब 43 करोड़ लोग ऑनलाइन गेम खेलते हैं।
फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग के लिए कोई अलग नियम नहीं है।
विभिन्न राज्य सरकारों ने अलग नियम न होने की वजह से बेटिंग, गैम्बलिंग वाले गेम्स के साथ स्किल बेस्ड ऑनलाइन गेम्स को रखकर पाबंंदियां लगाई हैं।
ऑनलाइन गेमिंग के जरिए कई फ्रॉड भी किए जा रहे हैं।
इन देशों में ऑनलाइन गेमिंग के लिए हैं सख्त नियम
नीदरलैंड्स
वेनेजुएला
ब्राजील
साउथ कोरिया
यूएई
सवाल: आजकल बच्चे भी हर वक्त ऑनलाइन गेम के चक्कर में रहते हैं, उन्हें इससे क्या-क्या प्रॉब्लम हो सकती है? जवाब: हर समय ऑनलाइन गेमिंग में लगे रहने से बच्चों को कई प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, जैसे…
ऑनलाइन गेमिंग से बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है। बच्चे पढ़ने से ज्यादा गेम खेलना पसंद करते हैं।
कई बार चोरी की लत लग सकती है।
इससे बच्चों की सोशल स्किल्स खराब होती है।
गेमिंग के चक्कर में बच्चे परिवार से दूर हो जाते हैं।
स्कूल की पढ़ाई और बच्चों की दूसरी हॉबीज पर गलत असर पड़ता है।
स्कूल की परफार्मेंस खराब हो जाती है।
कम फिजिकल एक्टिविटी की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ जाती है।
बच्चों का व्यवहार और विचार अग्रेसिव हो जाता है।
सवाल: इससे बच्चों को कैसे दूर रखा जाए? जवाब: बच्चों को वीडियो गेम्स से दूर रखने के लिए अपनाएं ये 7 टिप्स…
बच्चा जो ऑनलाइन गेम खेल रहा है उसे आप भी सीखें और उसके साथ खेलें। इससे आपको पता रहेगा कि बच्चा गेमिंग पर कितना समय बिता रहा है और आप उसे रोक सकेंगे।
बच्चे को अपना गेमिंग का समय नोट करने को कहे। कुछ समय बाद उन्हें उनका ही नोट किया हुआ समय दिखाकर समझाएं।
इसके बाद उन्हें बताएं कि वो बाकी एक्टिविटीज को कितना समय दे रहें हैं। उन्हें बताएं कि वो क्या-क्या मिस कर रहे हैं।
बच्चे और उसके दोस्तों के लिए कुछ इंडोर और आउटडोर एक्टिविटीज अरेंज करें।
बच्चे के साथ उसके पसंद की कोई ऐसी एक्टिविटी शुरू करें जो लंबे समय जारी रह सके।
ऑफलाइन एक्टिविटीज में बच्चों के अचीवमेंट्स को सेलिब्रेट करें।
परिवार के सभी लोग साथ बैठकर खाना खाएं।
सवाल: ऑनलाइन गेमिंग में पैसा लगाने की लत से छुटकारा कैसे पा सकते हैं? जवाब: ऑनलाइन गेमिंग में पैसा लगाने की लत से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये टिप्स…
हफ्ते या महीने के हिसाब से ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च करने के लिए बजट तय करें। बजट के अंदर रह कर ही खर्चा करें।
गेमिंग पर जो भी खर्चा कर रहे हैं उसे एक डायरी में लिखते रहें। हफ्ते के अंत में कैल्कुलेट करें कि एक हफ्ते में गेमिंग पर कितना खर्चा किया है।
अगर बच्चे पेरेंट्स के फोन में ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं तो पैरेंटल कंट्रोल जरूर लगाएं।
अगर आपने अपना डेबिट या क्रेटिड कार्ड ऑनलाइन गेम से कनेक्ट किया है तो पेमेंट नोटिफिकेशन हमेशा ऑन रखें।
क्रेडिट कार्ड गेमिंग अकाउंट से लिंक करने की जगह गिफ्ट कार्ड लिंक करें।
हर एक ट्रांसेक्शन के लिए पासवर्ड का इस्तेमाल करें।
सवाल: गेमिंग से होने वाले नुकसान से कैसे बच सकते हैं? जवाब: गेमिंग से होने वाले नुकसान से बचने के लिए आप ये उपाय अपना सकते हैं…
गेम खेलने का एक समय तय कर लें।
फोन और दूसरे गैजेट्स अपने बेडरूम से बाहर रखें ताकि रात में गेम न खेल पाएं।
दूसरी एक्टिविटी जैसे एक्सरसाइज जरूर करें। इससे गेमिंग से होने वाला हेल्थ रिस्क कम होगा।
अगर ऑनलाइन गेमिंग की लत ज्यादा हो गई है तो साइकायट्रिस्ट से सलाह लें। डॉक्टर इसका ट्रीटमेंट तीन तरह से करते हैं…
कोग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी: इस थेरेपी में थेरेपिस्ट आपको अपने विचारों और सोच पर ध्यान देने को कहते हैं। इससे आप समझेंगे कि आपके विचार कैसे आपके काम पर असर डालते हैं। इससे गेमिंग एडिक्शन से आने वाले नेगेटिव विचारों से छुटकारा मिलता है। इसके बाद ही दिमाग में नए और पॉजिटिव विचार आ पाएंगे।
ग्रुप थेरेपी: इस थेरेपी में गेमिंग एडिक्शन से जूझ रहे कई लोगों को एक साथ बिठाया जाता है। वो सभी लोग अपने प्रॉब्लम्स डिस्कस करते हैं। इससे सभी को मोरल सपोर्ट मिलता है और एडिक्शन छोड़ने के लिए मोटिवेशन मिलती है।
फैमिली और मैरिज काउंसिलिंग: इसमें गेमिंग एडिक्शन से जूझ रहे लोगों के परिवार वालों और करीबियों को समझाया जाता है कि कैसे पेशेंट को हैंडल करना है।
सवाल: इसके जरिए फ्रॉड कैसे होता है? जवाब: ऑनलाइन गेमिंग का सेक्टर अभी तक पूरी तरह से अनरेगुलेटेड था। इस वजह से देश में इसके जरिए आए दिन फ्रॉड होते रहते हैं। ऑनलाइन गेमिंग के जरिए इस तरह के फ्रॉड हो सकते हैं…
गेमिंग वॉलेट के जरिए: गेमिंग वॉलेट में मौजूद रियल वर्ल्ड करंसी पर स्कैमर्स की नजर रहती है। यहां से आसानी से आपका पैसा चुराया जा सकता है।
मालवेयर: कई बार यूजर को कोई गेम खेलने के लिए अलग सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना पड़ता है। इस तरह के सॉफ्टवेयर अक्सर आपके फोन की सिक्योरिटी और प्राइवेसी के लिए खतरनाक होते हैं। इन सॉफ्टवेयर्स के जरिए आपका कीमती डाटा चुराया जा सकता है।
प्राइवेसी का हनन: कई ऑनलाइन गेम्स लॉगइन के दौरान आप खुद से जुड़ी जरूरी जानकारी डाल देते हैं। हैकर्स यहां से आपका डाटा चुराकर आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पॉपुलर गेम्स के फेक वर्जन: कई पॉपुलर गेम्स के फेक वर्जन बस लोगों को फंसाने के लिए बनाएं जाते हैं। इनके जरिए उनका डाटा या पैसा चुराया जाता है।
बच्चों को निशाना बनाया जाता है: साइबर क्रिमिनल्स का सबसे आसान निशाना बच्चे होते हैं। वो गेमिंग के जरिए बच्चों को फंसाकर जरूरी जानकारी इकट्ठा कर लेते हैं।
सर्विस प्रोवाइडर्स देते हैं धोखा: कई सर्विस प्रोवाइडर्स ऐसे भी हैं जो लोगों को लालच देकर गेम खेलने के लिए आकर्षित करते हैं। जब गेमर्स जीत जाते हैं तो उन्हें इनाम देने से मुकर जाते हैं या जीतने वाले गेमर्स को डिसक्वालिफाई कर देते हैं। ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स धोखा देने के बाद अपनी वेबसाइट बंद कर देते हैं और फिर नई वेबसाइट शुरू कर देते हैं।
सवाल: क्या ऑनलाइन गेमिंग के कुछ फायदे भी हैं? कुछ लोग हमेशा इस तर्क के साथ पूरे दिन खेलते हैं। जवाब: ऑनलाइन गेमिंग को अगर सही तारीके से सिर्फ माइंड फ्रेश करने के लिए खेला जाए, अगर उसकी लत न लगे तब ही इसके फायदे है। नीचे पढ़े ऑनलाइन गेमिंग के फायदे…
सोचने-समझने की शक्ति मजबूत होती है।
प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल और लॉजिकली सोचने की क्षमता बेहतर होती है।
हैंड-टू-आई कॉर्डीनेशन बेहतर होता है।
मल्टी-टास्किंग करने की क्षमता डेवलप होती है।
फैसला लेने की स्किल बेहतर होती है।
गेम खेलने वाले लोग चीजों को बेहतर ऑबसर्व कर पाते हैं।
वर्चुअल रिएलिटी के जरिए कई ऐसे गेम्स खेले जा सकते हैं जिनमें फिजिकल एक्टिविटी की जरूरत पड़ती है।
टीम के साथ खेलने वाले गेम्स के जरिए टीम वर्क की भावना डेवलप होती है।
ब्रिटेन की कंपनी डिवोर्स ऑनलाइन के सर्वे के अनुसार- 2018 में वहां के 200 जोड़ों ने तलाक के लिए आवेदन दिया है। इसमें तलाक लेने की वजह "Fortnite" जैसे ऑनलाइन गेम्स को बताया गया है।
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