मंकीपॉक्स... इस बीमारी का जिक्र पिछले 15-20 दिन से आप लगातार सुन रहे होंगे। यह बीमारी तेजी से अमेरिका, इटली, स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, कनाडा और UK सहित कई देशों में फैल गई है। हालांकि, अब तक भारत में एक भी केस इसका नहीं मिला है। इसके बावजूद मुंबई एयरपोर्ट पर इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है।
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने भी कस्तूरबा अस्पताल में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए 28 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड तैयार कर दिया है। मंकीपॉक्स को लेकर 'नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल' और 'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च' को अलर्ट रहने के लिए कहा है।
अब जानते हैं चेचक से मिलते-जुलते लक्षण वाली इस बीमारी के बारे में WHO ने क्या कहा...
प्रेग्नेंट महिला और बच्चों को ज्यादा खतरा- वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन
सवाल: क्या है मंकीपॉक्स?
जवाब: मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है, जिसमें चेचक (स्मॉल पॉक्स) जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि यह चेचक से कम गंभीर है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इंसानों में पहली बार यह मामला 1970 में आया था।
सवाल: इन्फेक्शन कैसे फैलता है?
जवाब: जेन मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, मुम्बई के फिजिशियन और इंफेक्शन स्पेशलिस्ट डॉ. विक्रांत शाह के शब्दों में समझें तो मंकीपॉक्स एक जूनोसिस डिसीज है। यानी यह जानवर से इंसानों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, गिलहरियों जैसे जानवरों से भी फैलता है। इसके साथ ही यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंख, नाक और मुंह के जरिए भी फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है।
सवाल: प्रेग्नेंट महिलाएं मंकीपॉक्स से कैसे बच सकती हैं?
जवाब: गुरुग्राम की गाइनकोलॉजिस्ट डॉ. रितु सेठी बताती हैं कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि संक्रमित लोगों से दूरी बनाई जानी चाहिए। हालांकि, यह एक प्रैक्टिकल उपाय नहीं है लेकिन इसे करना जरूरी है। भारत में अब तक कोई मामला नहीं आया है। इसके बावजूद प्रेग्नेंट महिलाओं को सावधानी रखनी जरूरी है।
सवाल: कितनी खतरनाक है ये बीमारी ?
जवाब: मंकीपॉक्स के लक्षण दो से चार हफ्तों में नजर आते हैं। यह बीमारी कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए ज्यादा खतरनाक है। खासकर गर्भवती, बुजुर्ग, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को प्रभावित करती है।
सवाल: 5 साल से कम उम्र के बच्चे मंकीपॉक्स से कैसे बच सकते हैं?
जवाब: यदि आपके बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो उसका खानपान ठीक करें। फिजिकल एक्टिविटी करवाएं। इससे उसकी इम्यूनिटी मजबूत होगी। दिनभर कम्प्यूटर या मोबाइल पर गेम न खेलने दें। इम्यूनिटी अच्छी होगी तो वायरल इंफेक्शन से बच्चे को खतरा कम होगा और अगर वो बीमार पड़ता भी है तो जल्दी रिकवर होगा। इसके अलावा अगर बच्चे के शरीर पर दाने दिख रहे हैं और उसे बुखार है तो घरेलू उपाय न करें, डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे को अनजान और बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से रोकें।
सवाल: क्या इसके लिए कोई वैक्सीन और इलाज मौजूद है?
जवाब : बिल्कुल। मंकीपॉक्स वायरस चेचक का कारण बनने वाले वायरस से मिलता-जुलता है। इसलिए चेचक की वैक्सीन इस बीमारी के लिए प्रभावी माना गया है। यानी चेचक के इलाज के लिए विकसित वैक्सीन मंकीपॉक्स के इलाज में भी कारगर है।
बाजार में दवाएं मौजूद हैं, जो पहले से मंकीपॉक्स के इलाज के लिए काम आती थी। जैसे-सिडोफोविर, एसटी -246 और वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन का इस्तेमाल मंकीपॉक्स के संक्रमण में किया जाता है।
चलते-चलते बता दें
यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) के अनुसार...
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