केरल हाईकोर्ट ने एक युवक को उसके पिता की संपत्ति में हिस्सेदार नहीं माना, क्योंकि उसके माता-पिता की शादी नहीं हुई थी। युवक का जन्म लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि…
यह तो बात हुई लिव इन रिलेशनशिप के दौरान पैदा हुए बच्चे की, लेकिन उन बच्चों की संपत्ति अधिकार का क्या, जो बिना शादी के, तलाक के बाद या फिर दूसरी शादी से पैदा होते हैं। कानून बच्चों को लेकर संपत्ति के अधिकार पर क्या कहता है? इस बारे में हमने बात की फैमिली और क्रिमिनल लॉ एक्सपर्ट एडवोकेट सचिन नायक से।
तो चलिए एक-एक सवालों के जवाब जानते हैं...
1. सवाल: पति-पत्नी साथ रहते हैं। पति का दूसरी महिला से अफेयर है और उससे बच्चा पैदा हो जाए तो संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा?
जवाब: ऐसे में 2 तरह की संपत्ति गिनी जाएगी
शादी के बाद पैदा हुए बच्चों का…
अफेयर के दौरान पैदा हुए बच्चों का…
2. सवाल: पहली पत्नी से 2 बच्चे हैं और तलाक नहीं हुआ है। किसी दूसरी महिला से अफेयर था और उससे 1-2 या इससे ज्यादा बच्चे हैं। तब क्या होगा?
जवाब- ऐसी सिचुएशन में ऊपर लिखे नियमों के अनुसार ही संपत्ति का बंटवारा होगा और सभी बच्चों को पिता की संपत्ति पर बराबर हिस्सा मिलेगा, लेकिन अगर पिता ने वसीयतनामा लिखा है तो वसीयत में जिनका नाम लिखा है सिर्फ उनका ही संपत्ति पर अधिकार होगा।
जैसे-
3. सवाल: पहली पत्नी से 1 बच्चा है। तलाक के बाद दूसरी पत्नी से 2 बच्चे हैं तो पिता की संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा?
जवाब: लीगल मैरिज से जन्म लेने वाले बच्चों का माता-पिता और दादा-दादी की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होगा। किसी को कम या किसी को ज्यादा संपत्ति नहीं मिलेगी।
4. सवाल: लिव इन रिलेशनशिप में बच्चा होता है और बाद में पुरुष की शादी दूसरी महिला से हो जाती है तो बच्चे का पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा?
जवाब: शादी से पैदा हुए बच्चे का जो पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा, वही अधिकार लिव इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चे का भी होगा। हालांकि इसका दादा-दादी की संपत्ति पर अधिकार नहीं होगा।
5. सवाल: रेप की वजह से जन्म लेने वाले बच्चे का बायोलॉजिकल पिता की संपत्ति पर क्या अधिकार है?
जवाब: 2015 में एक मामला आया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपने एक आदेश में कहा था कि रेप के कारण जन्मे बच्चे का अपने बायोलॉजिकल पिता की संपत्ति में अधिकार होता है। हालांकि यह अधिकार पर्सनल लॉ का विषय है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह बच्चा या बच्ची उस बायोलॉजिकल पिता की नाजायज संतान के तौर पर ही देखी जाएगी। अगर बच्चा या बच्ची को कोई गोद ले लेता है तो फिर उसका बायोलॉजिकल पिता की संपत्ति में अधिकार खत्म हो जाता है।
चलते-चलते जान लेते हैं
जिन्हें लगता है कि माता-पिता की प्रॉपर्टी और दादा-दादी की प्रॉपर्टी, दोनों पर ही उनका हक है तो उन्हें बता दे कि ऐसा नहीं है। दोनों प्रॉपर्टी अलग-अलग हैं। इसे इस तरह से समझते हैं...
माता-पिता की प्रॉपर्टी- इसे खुद से कमाई हुई संपत्ति भी कहते हैं। ऐसी प्रॉपर्टी को माता-पिता जिसे चाहें उसे दे सकते हैं। या फिर बच्चों को अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल भी कर सकते हैं। जरूरी नहीं कि वह बच्चों को ही दें। अगर माता-पिता ने अपने निधन से पहले प्रॉपर्टी किसी के नाम नहीं की है तो इसमें बेटे और बेटी का एक समान अधिकार होता है।
दादा-दादी की प्रॉपर्टी- इसे पुश्तैनी संपत्ति भी कहते हैं। अगर दादा-दादी के नाम कोई प्रॉपर्टी है तो उसमें नाती, पोता, पोती या नातिन का बराबर हक होता है। अगर पुश्तैनी प्रॉपर्टी बेची जाती है या उसका बंटवारा होता है तो बेटियों को भी उसमें हिस्सा मिलेगा। एक बार अगर पुश्तैनी प्रॉपर्टी का बंटवारा हो गया तो हर उत्तराधिकारी को मिला हिस्सा उसकी खुद कमाई हुई प्रॉपर्टी बन जाएगी।
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