ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास की हत्या करने वाले पुलिसकर्मी गोपाल कृष्ण दास को बाइपोलर डिसऑर्डर है, यह बात जांच में सामने आई।
आखिर क्या है यह बाइपोलर डिसऑर्डर, क्या इसका इलाज संभव है, ये जानेंगे आज जरूरत की खबर में…
आज के हमारे एक्सपर्ट हैं- शॉनक अजिंक्य, कंसलटेंअ साइकेट्रिस्ट, कोकिलाबेन अस्पताल, मुंबई और पूजाशिवम जेटली, साइकेट्रिस्ट, दिल्ली
सवाल: आखिर यह बाइपोलर डिसऑर्डर है क्या?
जवाब: यह एक मानसिक बीमारी है। इसमें दो फेज होते हैं...
बाइपोलर डिसऑर्डर को इन्हीं फेज की वजह से पहले मेनिक-डिप्रेशन साइकोसिस कहा जाता था, लेकिन क्योंकि हर पेशेंट साइकोसिस फील नहीं करता है, इसलिए बाइपोलर डिसऑर्डर नाम दिया गया। इसमें पेशेंट कभी मैनिक फेज अनुभव करता है और कभी डिप्रेसिव फेज।
सवाल: इसके सिम्टम्स क्या-क्या हैं?
जवाब: अगर ये सिम्टम्स आप में या आपके अपनों में दिखें तो हो सकता है बाइपोलर डिसऑर्डर…
सवाल: आसपास किसी को ऐसे लक्षण हैं तो कैसे हैंडल करना चाहिए?
जवाब: अगर आपके आसपास किसी को बाइपोलर डिसऑर्डर के सिम्टम्स दिखें तो नीचे लिखी बातें याद रखें…
सवाल: बाइपोलर डिसऑर्डर के पीछे क्या वजह है?
जवाब: बाइपोलर डिसऑर्डर के पीछे कई कारण हो सकते हैं…
सवाल: यह समस्या कितना गंभीर हो सकती है?
जवाब: स्किजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर बेहद गंभीर मानसिक बीमारियां हैं। सबसे ज्यादा आत्महत्याएं इन्हीं दोनों बीमारियों की वजह से होती हैं। इसलिए इसे हल्के में लेना नादानी होगी।
सवाल: क्या बाइपोलर डिसऑर्डर ठीक हो सकता है?
जवाब: बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज किया जा सकता है। इससे पेशेंट काफी हद तक बेहतर महसूस करता है। मगर यह पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। सरल शब्दों में समझें कि यह थाइराइड, ब्लड प्रेशर, शुगर, मोटापा जैसी बीमारियों की तरह 'नॉन कम्युनिकेबल' डिजीज है। इन पर आप नियंत्रण पा सकते हैं और नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं लेकिन इन्हें पूरी तरह खत्म नहीं कर सकते।
सवाल: इसका ट्रीटमेंट कैसे होता है?
जवाब: बाइपोलर डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के लिए तीन चीजें की जाती हैं….
सवाल: यह डिप्रेशन और एंग्जायटी से अलग कैसे है?
जवाब: डिप्रेशन और एंग्जायटी से बाइपोलर डिसऑर्डर थोड़ा अलग है। इसमें डिप्रेशन और एंग्जायटी के साथ एक मैनिक फेज आता है।
सवाल: क्या सिंगर-रैपर हनी सिंह भी इसी बीमारी से पीड़ित थे?
जवाब: हां, सिंगर-रैपर हनी सिंह बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे। इस वजह से करियर की पीक पर रहने के बावजूद लंबे समय तक वो इंडस्ट्री से दूर रहे।
सवाल: बाइपोलर डिसऑर्डर में आत्महत्या का ख्याल क्यों आता है?
जवाब: मेनिया या उदासी के एपिसोड में पेशेंट आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि दोनों ही स्थिति में पेशेंट का रिएलिटी से नाता छूट जाता है। मेनिया में मरीज को लगता है वो जो चाहे कर सकता है, उसके सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है।ऐसे में मरीज एक्स्ट्रीम कदम उठा सकता है। बाइपोलर डिप्रेशन में आत्महत्या की आशंका सबसे ज्यादा होती है। अगर ऐसा व्यक्ति कभी आत्महत्या या नाउम्मीदी की बात करता है, तो ये एक 'रेड सिग्नल' हो सकता है। उसका तुरंत इलाज कराया जाना चाहिए।
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नोट: दवा और थेरेपी से डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर जैसे मानसिक बीमारियों का इलाज संभव है। इसके लिए साइकेट्रिस्ट की मदद लें। मेंटल हेल्थ से जुड़ी प्रॉब्लम हाेने पर आपमें या आपके किसी करीबी में किसी तरह की मानसिक तकलीफ के लक्षण हैं तो इन हेल्पलाइन नंबरों पर फोन करके मदद ली जा सकती है…
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