ऊटी के एक स्कूल में 8 वीं क्लास की स्टूडेंट्स डेयर गेम खेल रही थी। खेल-खेल में स्टूडेंट्स ने आयरन की गोलियां खाने की शर्त लगाई।
13 साल की जेबा फातिमा ने डेयर जीतने के लिए एक साथ आयरन की 45 टेबलेट खा लीं। जिसके बाद उसकी मौत हो गई।
बाकी 6 दोस्तों ने भी कुछ टेबलेट खाईं और बेहोश हो गई थीं। जिन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया गया।
आयरन की टेबलेट को लेकर ये पहला मामला नहीं था।
इससे पहले बिलासपुर में आयरन और फोलिक एसिड टेबलेट खाते ही स्कूली बच्चों को उल्टी होने के साथ तबीयत बिगड़ गई थी।
वैसे तो आयरन, विटामिन, कैल्शियम की टेबलेट लोग एक-दूसरों को देखकर या पूछ कर खा लेते हैं।
बालों को झड़ने से रोकने के लिए, खून बढ़ाने के लिए, हड्डियों में विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए भी अपने मन से दवाई खरीदते हैं।
क्या आप जानते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई खाने से आपकी सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। ये सब करना कितना रिस्की है हम जानेंगे जरूरत की खबर में…..
हमारे एक्सपर्ट्स हैं- डॉ. बाल कृष्ण, इंचार्ज प्राइमरी हेल्थ सेंटर भोपाल, डॉ. वी. पी. पांडे, एचओडी, महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, इंदौर और डॉ. सुचिन बजाज, फाउंडर डायरेक्टर, उजाला सिग्नस अस्पताल, दिल्ली
सवाल: मौजूदा मामले में स्कूल में आयरन की टेबलेट कहां से आईं?
जवाब: सभी सरकारी स्कूलों में क्लास 7 वीं से 12 वीं तक की स्टूडेंट्स को आयरन की गोली देने का नियम है। इसलिए ऊटी के स्कूल में टीचर के केबिन में आयरन की टेबलेट्स रखी हुईं थी।
सवाल: कमजोरी लगने पर डॉक्टर से बिना कंसल्ट किए क्या आयरन की टेबलेट खानी चाहिए?
जवाब: आयरन ही नहीं, कोई भी टेबलेट या दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं खानी चाहिए। याद रखें- हर एक दवाई, टेबलेट, इंजेक्शन के कुछ न कुछ तो साइड इफेक्ट होते हैं। बिना सलाह खाएंगे, तो आपको फायदे की जगह नुकसान होगा।
सवाल: वैसे एक दिन में आयरन की कितनी टेबलेट खानी चाहिए?
जवाब: अगर हीमोग्लोबिन कम है और डॉक्टर ने सलाह दी है तो आप एक से ज्यादा यानी सुबह-शाम भी ले सकते हैं। वहीं अगर रूटीन में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए खा रहे हैं तो एक दिन में एक टेबलेट ही खाएं।
सवाल: आयरन की सबसे ज्यादा कमी किन लोगों में होती है?
जवाब:
ध्यान दें: कुछ छोटे बच्चों को आपने मिट्टी खाते देखा होगा, ये क्लासिकल साइन है आयरन की कमी का। ऐसे बच्चों का आयरन टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
सवाल: क्या आयरन की गोली खाने के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं?
जवाब: जैसा कि आप जानते हैं कि सारी टेबलेट फैक्ट्री में बनती हैं और हर कंपनी अलग-अलग कंपोजिशन के साथ दवाइयां बनाती है। ऐसे में किसी भी टेबलेट से एलर्जी, इन्फेक्शन, शरीर में लाल चकत्ते पड़ जाना या और भी कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
खुद मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदकर खाना डेंजरस
जरा सी कमजोरी लगने पर परिवार में कोई न कोई ऐसा सदस्य होता है जो आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन-कैल्शियम खाने की सलाह देता है।
सेल्फ मेडिकेशन यानी दवाई की दुकान से खुद जाकर दवा खरीदना और उसे खाना बहुत ही डेंजरस है।
यही नहीं, कुछ ऐसे केस भी आते हैं जब लोग एसिडिटी समझकर गैस की गोली खाते हैं। दो-तीन दिन तक घर पर रहते हैं, मामला बिगड़ने पर समझ आता है कि उन्हें हार्ट अटैक आया था।
घर में जरूरी दवाई रखना सही है, लेकिन गलत और गैरजरूरी दवाई खाना खतरनाक।
सेल्फ मेडिकेशन से बच्चे और बुजुर्ग रहें दूर
बच्चों और बुजुर्गों को डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इन दोनों उम्र वर्ग में इम्यून सिस्टम सबसे ज्यादा कमजोर होता है जिसकी वजह से हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं।
अगर आप अपने बच्चे को सप्लीमेंट देने की सोच रहे हैं तो इसके लिए डॉक्टर से जरूर बात करें, क्योंकि इससे किडनी पर निगेटिव असर पड़ता है। आपका डॉक्टर इस बारे में पूरी जानकारी देगा कि आपके बच्चे को सप्लीमेंट की जरूरत है या नहीं और अगर है तो कितनी मात्रा में।
सवाल: क्या कैल्शियम की गोली भी अपने मन से नहीं खा सकते है?
जवाब: बिल्कुल भी नहीं। सबसे पहले तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूरी लें। अगर कैल्शियम की कमी है तो आप हफ्ते में चार दिन में कैल्शियम की टेबलेट ले सकते हैं। रेगुलर हफ्ते भर न खाएं।
कैल्शियम के ओवरडोज से भी कई प्रॉब्लम जैसे गैस, एसिडिटी, पेट में जलन, उल्टी हो सकती है।
सवाल: बिना डॉक्टर की सलाह के विटामिन डी खाने से क्या नुकसान होता है?
जवाब: विटामिन डी के शरीर में ज्यादा हो जाने से इसे बाहर निकालने का कोई तरीका नही है। ये शरीर की जरूरत के अनुसार सूर्य की रोशनी से खुद ही बनता है। ये किसी भी फल, फूल, सब्जी, दालों में नहीं मिलता है।
अगर विटामिन डी रेगुलर खाते हैं तो ये बहुत ज्यादा क्वांटिटी में शरीर में इकट्ठा हो जाएगा। जिससे जान का खतरा भी हो सकता है।
सवाल: किन दवाओं को डॉक्टर के पर्चे के बिना बिल्कुल नहीं लेना चाहिए?
जवाब: शेड्यूल X ड्रग्स को बिना डॉक्टर के पर्चे यानी प्रिस्क्रिप्शन के नहीं खरीद सकते हैं। क्योंकि इनका ओवर डोज शरीर को नुकसान कर सकता है। इन्हें ज्यादा लेने से इन दवाइयों की लत लग सकती है। इनसे बीमारी और दर्द कुछ समय के लिए कम हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं होते। इसलिए किस मात्रा में दवाई लेनी है यह डॉक्टर ही बताते हैं। इसमें नींद की दवाई और पेनकिलर भी आते हैं।
शेड्यूल H में भी रिस्क वाली दवाएं शामिल होती हैं, मसलन एलर्जी की दवाएं। केमिस्ट को डॉक्टर की उस पर्ची की एक कॉपी भी रखनी होती है, जिस पर उस दवा का नाम लिखा है।
सवाल: आपके खाने और दवा के बीच का रिलेशन क्या है?
जवाब: दरअसल दवाइयों में कई मॉलिक्यूल होते हैं, जो एसिडिटी पैदा करते हैं। इसलिए डॉक्टर यह सलाह देते हैं। कई बार इसका उल्टा भी होता है। डॉक्टर कुछ दवाओं को खाली पेट लेने की सलाह देते हैं। इसलिए मरीज को जल्दी ठीक होना है, तो अपने डॉक्टर पर विश्वास करते हुए, उनके निर्देश को फाॅलो करना चाहिए।
सवाल: क्या फार्मासिस्ट लिख सकते हैं दवा?
जवाब: नहीं, फार्मासिस्ट या मेडिकल की दुकान वाला कोई भी आपको दवाई लिख कर नहीं दे सकता। दवाई जो आपकी पर्ची पर लिखी है बस उसे डिस्पेंस करने यानी देने का अधिकार है।
उसका काम दवा की सही पहचान कर मरीज को बताना है कि इसे कैसे खाना है। यह काम भी वो पर्ची में लिखे निर्देश के आधार पर करता है।
अगर पर्ची में लिखी कोई दवाई उसके पास नहीं है तब भी वो खुद से दवा नहीं बदल सकता। उसे संबंधित डॉक्टर को कॉल कर ये बात बतानी होगी। डॉक्टर की सलाह पर ही दवा बदली जा सकती है।
सवाल: कौन सी दवाएं सबसे ज्यादा खुद से ली जाती है?
जवाब: वैसे तो सेल्फ मेडिकेशन में दवाओं की लिस्ट काफी लंबी है।
हम कुछ दवाओं का नीचे जिक्र कर रहे हैं जिससे सीरियस हेल्थ इश्यू होने का खतरा है।
सवाल: इसका मतलब ये समझे कि आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी दवाएं सेफ हैं?
जवाब: नहीं, ऐसी गलतफहमी में न रहें। आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी दवाओं के बारे में सोचकर आपको लगता है कि इन उपचार पद्धतियों में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता, लेकिन ये जानकारी बिल्कुल गलत है।
उदाहरण के लिए, आयुर्वेद में किसी भी दवा को लेने के कई तरीके हो सकते हैं जो कि रोग, रोग की गंभीरता या चरण और रोगी की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। ऐसे में अगर हम दूसरे की बताई गई दवा को खाते हैं तो परेशानी में पड़ सकते हैं।
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