Other Health Services In Corona Were Ignored; Result In Just 3 Months, The Vaccination Of Children Decreased By 11% And Emergency Care By 16%.
कैसे हेल्दी बनेगा इंडिया:कोरोना में नॉन-कोविड हेल्थ सर्विसेज ICU में रहीं, 6 महीनों में बच्चों का वैक्सीनेशन 11% और इमरजेंसी केयर 16% घट गया
नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: आदित्य सिंह
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देश में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को आया था, पर इसका व्यापक असर मार्च में हुआ। 23 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी। ये लॉकडाउन जून 2020 तक चलता रहा। इस दौरान देश का पूरा मेडिकल सिस्टम कोरोना की रोकथाम में लगा दिया गया। नतीजतन बहुत से जरूरतमंदों को दूसरी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल सकीं। इसी का आकलन नेशनल हेल्थ मिशन के हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (HMIS) ने किया है। आइए जानते हैं कि उसमें क्या अहम बातें हैं...
6 महीने में ही बदहाल हो गई मेडिकल सेवाएं
HMIS ने 2 लाख सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं का डेटा जुटाकर आंकड़े जारी किए हैं। ये आंकड़े जनवरी से जून 2020 तक के हैं। इन आंकड़ों की तुलना 2019 (जनवरी से जून) के आंकड़ों से करने पर पता चला कि कोरोना के पहले 6 महीनों के दौरान देश में बच्चों के वैक्सीनेशन में 10.37% और इमरजेंसी केयर में 12.43% कमी आई।
HMIS के आंकड़े जनवरी से जून 2020 तक जरूर हैं, लेकिन देश में मार्च तक सब कुछ नॉर्मल था। यानी ये आंकड़े अप्रैल से जून तक हैं। अगर 3 महीने में ही ये हालात हैं, तो सोचिए कि जब जुलाई से दिसंबर तक के आंकड़े भी आ जाएंगे तो हमारे सामने भारत के पब्लिक हेल्थ सिस्टम की क्या तस्वीर होगी।
ब्रेन से जुड़ी इमरजेंसी सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं जनवरी से जून 2019 की तुलना में 2020 के पहले 6 महीने में इमरजेंसी स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। HMIS के आंकड़ों के मुताबिक गर्भ से जुड़ी इमरजेंसी 11%, हार्ट इमरजेंसी 14% और ब्रेन से जुड़े इमरजेंसी केस करीब 15% कम अटेंड किए गए।
गर्भवती महिलाओं के 4 जरूरी टेस्ट में 7% की कमी
गर्भवती महिलाओं के प्रसव से पहले 4 टेस्ट किए जाते हैं, जो सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में मुफ्त होता है। 2019 की तुलना में 2020 के पहले 6 महीनों में 7% की गिरावट आई है। 2020 में गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कम हुआ।
गर्भवती महिलाओं के डायबिटीज टेस्ट के आंकड़ों में लगभग 14% की कमी आई। संस्थागत प्रसव में भी जनवरी से जून 2019 की तुलना में 2020 के पहले 6 महीनों में 7% से ज्यादा की कमी दर्ज की गई।
बच्चों के टीकाकरण में खासी गिरावट आई
BCG का टीका (यह एक तरह की वैक्सीन ही है) जो बच्चों को दिया जाता है, ताकि वे TB से सुरक्षित रह सकें। HMIS के आंकड़े बताते हैं कि 2019 की तुलना में 2020 में BCG टीकाकरण में 11% की गिरावट आई।
हैपेटाइटिस-B से सुरक्षा के लिए बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन में बहुत ज्यादा कमी तो नहीं आई, लेकिन पोलियो से सुरक्षा के लिए दी जाने वाली OPV-O के टीकाकरण में करीब 10% की कमी आई।
पेंटावैलेंट वैक्सीन एक तरह से टीके का कॉम्बो होता है, जो बच्चों को वायरस से सुरक्षित रखता है। 2019 की तुलना में 2020 के पहले छह महीने में इस टीकाकरण में भी 11% से ज्यादा की कमी आई।
रूबेला-1 खसरा के रोकथाम के लिए दी जाने वाली वैक्सीन है। HMIS के आंकड़ों के मुताबिक 2019 की तुलना में 2020 के पहले छह महीने में रूबेला-1 के टीकाकरण में सबसे ज्यादा कमी आई और इसकी संख्या करीब आधी हो गई है।
देश में 16 तरह की स्वास्थ्य इंश्योरेंस स्कीम लागू हैं, इनका फायदा आप उठा सकते हैं देश के अलग-अलग राज्यों में सरकारें फिलहाल 16 तरह की हेल्थ इंश्योरेंस स्कीमें लोगों को मुहैया करा रही हैं। इसमें सबसे प्रमुख योजना आयुष्मान भारत है। केंद्र की सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना है। दिल्ली में आम आदमी बीमा योजना है, राजस्थान में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना प्रमुख हैं। केंद्र सरकार 5 लाख रुपए तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर देती है। सरकार सीनियर सिटिजन को भी हेल्थ इंश्योरेंस देती है। प्रधानमंत्री हेल्थ इश्योरेंस स्कीम 2018 से लागू है।