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मिकेल ए. सेकेर्स (MD) क्या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कोरोना के रिस्क को प्रभावित करता है? यह एक ऐसा सवाल है जिसने सोचने पर मजबूर किया है। ऑटोइम्यून समस्या जैसे रूमेटाइड, आर्थराइटिस या ल्यूपस तब होती है जब इम्यून सिस्टम गलती से नॉर्मल बॉडी के टिश्यू पर अटैक करता है। डैमेज टिश्यू को खत्म करने के लिए डॉक्टर इम्यून सिस्टम को सप्रेसिव थेरेपी देते हैं।
अब सवाल है कि यह पीड़ितों में संक्रमण फैलने के चांस बढ़ा सकते हैं या नहीं? क्या इम्युन सिस्टम डिसऑर्डर से जूझ रहे मरीज में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है? इन्हीं सभी सवालों को लेकर अलग-अलग स्टडी की गई है।
क्या होता है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर?
ऑटोइम्यून की बीमारी के बारे में लोगों को बहुत कम पता होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑटोइम्यून बीमारी लोगों में कई सालों से रहती है, लेकिन उन्हें पता नहीं होता। इस बीमारी में शरीर अपने ही इम्यून सिस्टम और शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाओं पर अटैक करने लगती है। इस बीमारी में शरीर के अंदर कई तरह के चेंज होने लगते हैं। कई बार शरीर की नसें भी नष्ट हो जाती हैं। इस बीमारी में जोड़ों में दर्द के साथ डाइजेस्टिव सिस्टम बिगड़ जाता है और शरीर के इंटरनल पार्ट में भी सूजन आ जाती है। कई बार बुखार भी रहता है।
अब तक की स्टडी क्या कहती है ?
हाइपरटेंशन और मोटापे की शिकायत वालों को कोरोना का खतरा ज्यादा
डॉक्टरों ने भी ऐसे मरीजों की मौत की संख्या में वृद्धि नहीं देखी
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