पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
डॉयचे वेले से. पूरी दुनिया में जब कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े सुर्खियों में हैं, उस वक्त भारत में सड़क हादसों के आंकड़ों पर चर्चा हो रही है। भारत में सड़कों पर चलना कोरोना के संक्रमण से भी ज्यादा खतरनाक है। भारत में पिछले साल कोरोना से 1.49 लाख लोगों की मौत हुई थी, जबकि देश में हर साल सड़क हादसों से 1.50 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी माना है कि सड़क हादसे कोरोना महामारी से भी खतरनाक हैं। देश में रोजाना सड़क हादसों में 415 लोगों की जान जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2030 तक सड़क हादसों में मरने और घायल होने वालों की तादाद घटाकर आधी करने का लक्ष्य रखा है। इस पर गडकरी का कहना है कि भारत सरकार उससे 5 साल पहले यानी 2025 तक ही इस लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में ठोस पहल कर रही है।
तमिलनाडु में सड़क हादसों में 38% और मौतों में 54% की कमी आई है
गडकरी के मुताबिक देश में हर साल 4.50 करोड़ सड़क हादसे होते हैं, इनमें से डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है और साढ़े चार लाख लोग घायल होते हैं। उन्होंने ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए तमाम राज्यों को तमिलनाडु मॉडल अपनाने की सलाह दी है। दरअसल, तमिलनाडु में सड़क हादसों में 38% और इनमें होने वाली मौतों में 54% की कमी आई है।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों की तादाद सरकारी आंकड़ों के मुकाबले कहीं ज्यादा है, दूर-दराज के इलाकों में होने वाले हादसों की अक्सर खबर ही नहीं मिलती।
लॉकडाउन से 20 हजार लोगों की जान बचाई गई
देश में लॉकडाउन के दौरान सड़क हादसों में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई थी, पर अनलॉक के बाद से दोबारा सड़क हादसों में तेजी आ गई है। पिछले साल के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के चलते सड़क हादसों में कमी आई और करीब बीस हजार लोगों की जान बची है। अप्रैल से लेकर जून 2020 तक सड़क हादसों में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जो 2019 के आंकड़े से कम है।
नए यातायात नियमों का नहीं दिख रहा कोई असर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक देश में सड़क हादसों में 2018 में 1.52 लाख लोगों की मौत हुई थी। 2017 में यह आंकड़ा 1.50 लाख लोगों का था। सड़क हादसों में मारे गए लोगों में से 54% हिस्सा दोपहिया वाहन सवारों और पैदल चलने वालों का है। यानी नई सड़कों के निर्माण और ट्रैफिक नियमों के कड़ाई से पालन की तमाम कवायद के बावजूद इन आंकड़ों पर कोई अंतर नहीं पड़ा है। हालांकि सरकार का दावा है कि मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम के लागू होने के बाद हादसों में कमी आई है।
दुनिया के सिर्फ 3% वाहन भारत में हैं, पर सड़क हादसों में 12.06% जान यहां जाती है
अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (IRF) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की हर साल सड़क हादसों में जान जाती है। दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का महज 3% हिस्सा भारत में है, लेकिन देश में होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06% है।
बढ़ते सड़क हादसों की वजह क्या है?
सरकार हादसों को कम करने के लिए क्या कर रही है?
गडकरी का कहना है कि उच्चाधिकार सड़क सुरक्षा परिषद के पहले चेयरमैन की नियुक्ति कर रहे हैं। राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा चुस्त करने के लिए केंद्र सरकार ने 14 हजार करोड़ रुपए का समर्थन कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें से आधी रकम एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक की ओर से मिलेगी।
सरकार देश के हाइवे नेटवर्क पर 5000 से ज्यादा ऐसी जगहों की शिनाख्त कर रही है जो हादसों के लिहाज से सबसे संवेदनशील हैं। उसके बाद जरूरी दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे। इसके साथ ही 40 हजार किमी से ज्यादा लंबे हाइवे की सुरक्षा जांच कराई जा रही है।
एक्सपर्ट्स के क्या कहते हैं?
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार को सबसे पहले राज्य सरकारों के साथ मिल कर वाहन चालकों में जागरूकता पैदा करनी होगी। ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन निर्धारित गति से ही सड़कों पर चलें।
लोक निर्माण विभाग के पूर्व इंजीनियर संजय कुमार जायसवाल कहते हैं कि, "सड़क हादसों के कई पहलू हैं। इनमें लाइसेंस जारी करने से लेकर तमाम मानकों की कड़ाई से जांच करना भी शामिल हैं। साइकिल की सवारी को बढ़ावा देने के लिए अलग सुरक्षित लेन बनाना चाहिए।'
पॉजिटिव- आज जीवन में कोई अप्रत्याशित बदलाव आएगा। उसे स्वीकारना आपके लिए भाग्योदय दायक रहेगा। परिवार से संबंधित किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार विमर्श में आपकी सलाह को विशेष सहमति दी जाएगी। नेगेटिव-...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.