जरूरत की खबरजितनी बड़ी क्लास, उतनी मोटी फीस:क्या RTE के तहत महंगे स्कूल में फ्री एडमिशन संभव है; दाखिला न होने पर कहां करें शिकायत

2 महीने पहले
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एडमिशन का सीजन है। हर तरफ स्कूलों के बोर्ड और होर्डिंग लगे हुए हैं। पेरेंट्स भी कभी किसी होर्डिंग तो कभी जानने वाले की सलाह से अपने बच्चे के लिए स्कूल की तलाश कर रहे हैं।

अच्छे स्कूल में एडमिशन का सपना हर मां-बाप का होता है। सरकारी स्कूल की हालत अच्छी नहीं और प्राइवेट स्कूल की फीस ज्यादा।

इन दिनों नर्सरी- प्री स्कूल में एडमिशन करवाना है तो इसके लिए ठीक-ठाक प्राइवेट स्कूल में फीस के लिए आपकी जेब में कम से कम 50 हजार रुपए होने चाहिए।

एक मिडिल इनकम वाले परिवार में उसके मुखिया के पास सिर्फ बच्चे की पढ़ाई नहीं दूसरी भी जिम्मेदारियां हैं। ऐसे में वो सोचने पर मजबूर है कि बच्चे को पढ़ाएं तो कहां पढ़ाएं और क्वालिटी एजकुेशन कैसे दें।

आज हम जरूरत की खबर में बात करेंगे राइट टु एजुकेशन (RTE) की। समझेंगे कि इसके तहत क्या एक मिडिल क्लास फैमिली जिसकी इनकम सीमित है वो भी अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिला सकता है।

एक्सपर्ट पैनल: राकेश सिंगर, कार्यकारी निदेशक, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन और डॉ. अमृता सक्सेना, ऑथर काउंसलर, एजुकेटर प्रेसिडेंट फ्यूचर एस्पिरेशन फाउंडेशन कर्नाटक।

सवाल: एक मिडिल क्लास जिनकी आय सीमित और खर्च ज्यादा, उनके बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ने का अधिकार नहीं है?
जवाब:
बिल्कुल है। स्कूल कोई भी हो, पढ़ाई में बच्चे का मन लगना ज्यादा जरूरी है। हां ये बात अलग है कि पेरेंट अपनी तरफ से बच्चे के लिए बेस्ट स्कूल ही चाहते हैं।

सवाल: मिडिल क्लास परिवार के सामने बच्चों की शिक्षा को लेकर क्या चुनौती है?
जवाब:
बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए मिडिल क्लास फैमिली को इन दो चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

पैसों की दिक्कत: परिवार के मुखिया पर सारी जिम्मेदारियां होती हैं। बच्चे का अच्छे स्कूल में एडमिशन कराने का मन तो ज्यादातर पेरेंट का होता है लेकिन इतनी ज्यादा फीस देखकर वो पीछे हट जाते हैं।

क्वालिटी एजुकेशन: मिडिल क्लास को कई बार क्वालिटी एजुकेशन से भी समझौता करना पड़ता है। वो चाहते तो हैं कि बच्चे का एडमिशन किसी ऐसे स्कूल में हो जहां पढ़ाई के साथ उसके डेवलपमेंट के लिए एक्टिविटी कराई जाती है। वो चाहकर भी पैसे की मजूबरी में उन स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं भेज पाते हैं।

सवाल: क्या कोई ऐसा ऑप्शन नहीं जिसकी मदद से कम पैसे वाले भी बच्चों को नामी-गिरामी स्कूल में पढ़ा पाएं?
जवाब
: हां, RTE का उपयोग कर ऐसा करना संभव है।

सवाल: RTE है क्या?
जवाब:
देश में बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए RTE यानी राइट टू एजुकेशन एक्‍ट 4 अगस्त, 2009 लाया गया था।

सवाल: RTE के तहत किस उम्र तक के बच्चों को फ्री एजुकेशन का अधिकार है?
जवाब:
यह 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को फ्री एजुकेशन की गारंटी देता है।

सवाल: क्या RTE के तहत मिडिल क्लास वाले अपने बच्चों को नहीं पढ़ा सकते है?
जवाब:
मिडिल क्लास अगर RTE के नियमों के अंतर्गत आता है तो ही वो अपने बच्चे को पढ़ा सकता है।

सवाल: अच्छा तो RTE योजना का फायदा कौन-कौन ले सकता है?
जवाब:
नीचे लिखे पॉइन्ट्स से समझते हैं-

  • बच्चे का परिवार भारत का मूल निवासी होना चाहिए।
  • पेरेंट की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपए से कम हों।
  • SC, ST, OBC, BPL परिवार, विधवा परिवार और अनाथ बच्चे।
  • HIV संक्रमित बच्चे।
  • कैंसर से पीड़ित परिवार की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपए से कम हो।
  • परिवार में कमाने वाला दिव्यांग हो।

सवाल: RTE के तहत बच्चे को पढ़ाना चाहते हैं तो ये डॉक्टूमेंट्स लगेंगे?
जवाब:

  1. बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट: आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र।
  2. निवास प्रमाण पत्र: मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, बिजली का बिल, पानी का बिल या फिर ड्राइविंग लाइसेंस।
  3. आय प्रमाण पत्र: परिवार के मुखिया की इनकम कितनी है इसका सबूत देना होगा।
  4. जाति प्रमाण पत्र: SC, ST परिवार वालों देना होगा।
  5. फोटो: बच्चे की पासपोर्ट साइज फोटो लगेगी।
  6. आधार कार्ड: माता-पिता और बच्चा दोनों का लगेगा।

नोट: अगर किसी बच्चे के पिता नहीं हैं यानी मां विधवा है तो महिला का उससे संबंधित डॉक्यूमेंट लगाना जरूरी है। इसी तरह अगर कोई गंभीर रूप से बीमार है या दिव्यांग है तब भी मेडिकल रिलेटेड डॉक्यूमेंट लगाना जरूरी है।

सवाल: RTE के अंतर्गत एडमिशन के लिए अप्लाय कैसे कर सकते हैं? क्या प्रोसेस है?
जवाब:
एडमिशन के लिए अप्लाय करना बहुत आसान है। इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरा जाता है। बस आपको जिस राज्य में एडमिशन लेना है उसके ऑफिशियल RTE पोर्टल पर जाना होगा।

ऑनलाइन फॉर्म भरने के प्रोसेस को मध्य प्रदेश के उदाहरण से समझते है, नीचे लिखे स्टेप्स को पढ़ें…

  • सबसे पहले आवेदक को RTE मध्य प्रदेश ऑनलाइन की ऑफिशियल वेबसाइट RTE Portal MP पर जाना होगा।
  • वेबसाइट के होम पेज पर RTE Admission ऑप्‍शन पर क्लिक करना होगा।
  • अब नया पेज खुलेगा। इसमें एप्लीकेशन प्रोसेस का कॉलम दिखाई देगा।
  • इसमें आवेदन पंजीयन यानी रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें।
  • इसमें 2023-2024 के लिए आवेदन पंजीयन हेतु दिशा निर्देश दिए आएंगे।
  • दिशा-निर्देश पढ़ लें और समझ लें। फिर आगे बढ़े बटन पर क्लिक करें।
  • अब मोबाइल नंबर वैरिफाइड करना होगा।
  • इसमें मोबाइल नंबर और कैप्‍चा (CAPTCHA) कोड डालें।
  • मोबाइल पर आई ओटीपी से वैरिफाई करें।
  • वैरिफिकेशन के बाद बच्‍चे का आधार वैरिफाइड करना होगा।
  • चेक बॉक्‍स को क्लिक करें। फिर बच्‍चे का 12 अंको का आधार नंबर भरें।
  • अगर आप ओटीपी से KYC भरना चाहते है तो OTP से KYC करें बटन पर क्लिक करेंगे।
  • अगर बॉयोमीट्रिक से KYC भरना चाहते है तो KYC through Biometric बटन पर क्लिक करें।
  • अब आधार वैरिफाइड हाेने के बाद एप्लिकेशन फॉर्म खुलेगा।
  • अब एप्लिकेशन फॉर्म मे सारी जानकारी भरें और सबमिट करें।
  • इसके बाद एप्लिकेशन की कॉपी और वैरिफिकेशन फॉर्म डाउनलोड कर अपने ग्राम/वार्ड के पास के शासकीय हाई स्कूल/हायर सेकेंडरी स्कूल जो जन शिक्षा केन्द्र है वहां जाकर एप्लिकेशन में भरी की गई जानकारी के अनुसार ओरिजनल डॉक्यूमेंट को वैरिफाई कराना जरूरी होगा।
  • फॉर्म का एक प्रिंट अपने पास रख लें। ये बाद में आपके काम आएगा।

सवाल: इन डॉक्यूमेंट्स के बाद भी अगर RTE से एडमिशन नहीं मिल पा रही है तो क्या ऑप्शन है?
जवाब:
मान लीजिए कि जिस प्राइवेट स्कूल में बच्चे को एडमिशन दिलवाना है उसमें 100 सीटें हैं, जिसमें से 25% सीटों पर RTE के तहत बच्चों को एडमिशन मिलेगा।

ऐसे में ये पॉसिबल नहीं है कि जितने बच्चों ने एडमिशन के लिए अप्लाय किया है, उन सभी को हो जाए। क्योंकि एडमिशन प्रोसेस लॉटरी के हिसाब से होता है।

अगर कोई स्कूल एडमिशन करने से या बिना कोई प्रोसेस करे ही मना कर दे तब आपके पास शिकायत करने का ऑप्शन है।

सवाल: RTE एक्ट का उल्लंघन करने पर क्या सजा मिलती है?
जवाब:
अगर प्राइवेट स्कूल 6-14 वर्ष की उम्र वाले गरीब बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित नहीं करता, या फिर इस कोटे के अंतर्गत स्कूल में एडमिट हुए बच्चे से फीस लेता है तो बच्चे से वसूली गई फीस से 10 गुना ज्यादा जुर्माना स्कूल पर लगाया जाएगा।

स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है।

अगर किसी स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है और उसके बाद भी स्कूल संचालित किया जा रहा है तो उस पर एक लाख रुपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।

इसके बाद के हर दिन का 10 हजार रुपए का एक्स्ट्रा जुर्माना लगाए जाने का भी नियम है।

RTE एक्ट के तहत अगर कोई भी स्कूल बच्चों की स्क्रीनिंग करता है या माता-पिता का इंटरव्यू लेता है तो उस पर भी 25,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

जुर्माना लगने के बाद स्कूल बार-बार ये गलती दोहराता है तो जुर्माने की रकम को दोगुना कर दिया जाएगा।

स्कूल पर 50,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

ऐसा एक बार हो भी चुका है-

नोएडा के सेक्टर 51 में स्थित मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल का मामला है। यहां RTE यानी राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों को एडमिशन तो मिल गया, लेकिन स्कूल की तरफ से एडमिशन नहीं दिया जा रहा था।

अभिवावकों ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि मामलों को संज्ञान में लेकर दाखिला कराएं। शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई की। जिसके तहत स्कूल से 30 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया, अब आप ये समझिए की अपना हक लेने के लिए आम जनता को कितना संघर्ष करना पड़ता है।

सवाल: अगर इनकम कम है और बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन देने की चाहत है तो RTE के अलावा क्या ऑप्शन है? जवाब: अगर आपकी इनकम कम है और आप अपने बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन देना चाहते हैं तब भी आपके पास नीचे लिखे गए कुछ अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाने का ऑप्शन है...

स्कूल के नाम

  • मिशनरी स्कूल
  • आर्मी स्कूल
  • केंद्रीय विद्यालय
  • नवोदय

नोट: ये स्कूल देश के अच्छे स्कूलों में आते हैं। ये अच्छी पढ़ाई और कम फीस के लिए जाने जाते हैं। जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ कई तरह की एक्टिविटीज भी कराई जाती है और रहने की अच्छी सुविधाएं भी कुछ जगहों पर दी जाती हैं।

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