क्या मछली के बाद दूध पीने से सफेद दाग होगा:चंद्रबाबू नायडू को भी विटिलिगो, जानें इससे जुड़े मिथ और सच्चाई

2 महीने पहले
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मलयालम एक्ट्रेस ममता मोहनदास ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि उन्हें विटिलिगो हो गया है। इससे शरीर में मेलनिन की कमी हो जाती है और सफेद दाग पड़ जाते हैं।
मेलनिन वह पिगमेंट है जो शरीर के रंग के लिए जिम्मेदार होता है। इससे पहले ममता को कैंसर हुआ था। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी विटिलिगो से पीड़ित हैं।
आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि आखिर क्या है यह बीमारी, इसका इलाज क्या है और इससे जुड़े मिथ के बारे में।
आज के हमारे एक्सपर्ट हैं डॉ. उत्कर्ष शुक्ला, MBBS, MD (डीवीएल), डर्मेटोलॉजिस्ट, भोपाल, मध्य प्रदेश।
सबसे पहले जान लेते हैं कि किन-किन कंडीशन में शरीर पर सफेद दाग हो सकते हैं।

सवाल: क्या विटिलिगो और ल्यूकोडर्मा एक नहीं है?
जवाब:
नहीं, विटिलिगो और ल्यूकोडर्मा एक नहीं है। ये दोनों अलग बीमारियां हैं। विटिलिगो एक ऑटोइम्यून बीमारी होती है। इसमें शरीर के मेलनिन सेल्स के विरोध में एंटीबॉडीज बन जाती हैं। यानी हमारी इम्यूनिटी शरीर के रंग बनाने वाले सेल्स को रोकने का काम करने लगती है। इससे शरीर के कुछ हिस्सों का नॉर्मल रंग चला जाता है।

वहीं, शरीर में कही भी सफेद निशान पड़ जाएं तो उसे ल्यूकोडर्मा कहते हैं। यह बाहरी कारणों की वजह से होता है। कई लोगों को रबर की चप्पल पहनने से, मेटल की ज्वेलरी पहनने से, स्प्रे वगैरह का इस्तेमाल करने से शरीर पर केमिकल रिएक्शन हो जाता है। इससे सफेद निशान पड़ जाते हैं।

सवाल: आखिर सफेद दाग होने के पीछे वजह क्या है?
जवाब:
सफेद दाग या विटिलिगो जेनेटिकल म्यूटेशन से होने वाली बीमारी है। इसके ऊपर अभी रिसर्च जारी है और इसी वजह से इसके होने का कारण क्लियर नहीं है।
मगर फिलहाल माना जाता है कि इन कारणों से होती है विटिलिगो की समस्या…

  • इम्यूनिटी का डिसरेगुलेशन
  • फ्री रैडिकल्स
  • स्ट्रेस
  • जेनेटिक फैक्टर

सवाल: क्या सफेद दाग का इलाज हो सकता है?
जवाब:
हां, बिल्कुल। विटिलिगो का इलाज किया जा सकता है। पेशेंट की बॉडी में जब विटिलिगो की समस्या शुरू होती है तो इसे डर्मेटोलॉजिस्ट की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही अगर यह पूरे शरीर में फैल गया है तो ट्रीटमेंट के जरिए इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। ट्रीटमेंट में नॉर्मल स्किन की सेल्स निकालकर अफेक्टेड एरिया पर लगाते हैं। हिस्सा छोटा है तो सर्जरी का रिजल्ट भी अच्छा आता है। विटिलिगो में ये तीन चीजें हैं कारगर…

  • दवाइयां
  • लेजर ट्रीटमेंट
  • विटिलिगो सर्जरी

अब जानते है सफेद दाग से जुड़े कुछ मिथ और उनकी सच्चाई के बारे में…

मिथ: मछली या चिकन के बाद दूध पीने से सफेद दाग की समस्या हो जाती है।
सच:
ये एक मिथ है। इसका कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है।

मिथ: नीम और गौमूत्र लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
सच:
सफेद दाग एक ऑटो-इम्यून बीमारी है। यह शरीर के अंदर शरीर को रंग देने वाली सेल्स की दिक्कत है। ऐसे में शरीर के ऊपर कुछ लगाने से इसको ठीक नहीं किया जा सकता।

मिथ: झाड़-फूंक और घरेलू उपचार से सफेद दाग की बीमारी ठीक हो जाती है।
सच:
घरेलू इलाज और झाड़-फूंक से इसे ठीक नहीं किया जा सकता। इससे परेशानी बढ़ जाती है क्योंकि आप सही समय पर डॉक्टर के पास नहीं जा पाते। इसलिए सफेद दाग के पहले निशान पर ही डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।

मिथ: सफेद दाग और लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग एक ही बीमारी है।
सच:
सफेद दाग यानी विटिलिगो और लेप्रोसी दो अलग बीमारियां हैं। लेप्रोसी एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जबकि विटिलिगो एक ऑटो-इम्यून बीमारी है। हां, लेप्रोसी के कुछ मामलों में पेशेंट के शरीर पर सफेद दाग देखे गए हैं, मगर वो विटिलिगो से अलग होते हैं।

मिथ: सफेद दाग छूने से फैलता है।
सच:
विटिलिगो या ल्यूकोडर्मा से होने वाला सफेद दाग छूने से नहीं फैलता, मगर लेप्रोसी (कुष्ठ रोग) या फंगल इन्फेक्शन से होने वाला सफेद दाग छूने से फैल सकता है।

मिथ: जिन लोगों को सफेद दाग हो जाता है वो मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं।
सच:
ऐसा बिल्कुल नहीं है। विटिलिगो का मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं होता। माइकल जैकसन के साथ कई बड़ी पर्सनैलिटीज को यह बीमारी थी, मगर सभी मानसिक और शारीरिक रूप से बिल्कुल नॉर्मल थे।

मिथ: एक बार सफेद दाग हो गया तो यह ठीक नहीं हो सकता।
सच:
यह एक गलत धारणा है। आज ट्रीटमेंट के जरिए सफेद दाग को ठीक किया जा सकता है।

मिथ: खट्टे फल के साथ दूध पीने से सफेद दाग हो जाते हैं।
सच:
खान-पान का विटिलिगो से कोई संबंध नहीं है।

मिथ: गर्भवती महिला को सफेद दाग है तो उसके बच्चे को भी सफेद दाग की समस्या हो जाएगी।
सच:
ऐसा जरूरी नहीं है। विटिलिगो का एक अनुवांशिक या हेरेडिटरी फैक्टर है। अगर किसी माता-पिता को यह बीमारी हुई है तो बच्चों को यह बीमारी होने के चांसेस ज्यादा होते हैं। मगर यह जरूरी नहीं है। ऐसा भी हो सकता है कि परिवार में किसी को विटिलिगो न हो और बच्चे को हो जाए।

मिथ: माता-पिता की अलग-अलग स्किन टोन की वजह से बच्चों को सफेद दाग की समस्या होती है।
सच:
यह एक मिथ है जिसके पीछे कोई साइंटिफिक लॉजिक नहीं है।

मिथ: विटिलिगो बच्चों में ही होता है।
सच:
ऐसा जरूरी नहीं है। कुछ बच्चों में सफेद दाग या विटिलिगो की परेशानी होती है। मगर टीनएजर्स और एडल्ट्स में यह ज्यादा देखी गई है। इसकी मुख्य वजह है स्ट्रेस। बूढ़े लोगों को यह बीमारी कम होती है।

मिथ: डार्क स्किन टोन वाले लोगों को सफेद दाग की समस्या होती है।
सच:
नहीं, ऐसा नहीं है।

मिथ: विटामिन डी की कमी से सफेद दाग होते हैं।
सच:
ऐसा नहीं है। यह एक ऑटो-इम्यून बीमारी है। विटामिन डी धूप में बैठने से मिलता है। विटिलिगो के लिए कई ऐसी थेरेपी भी हैं जिनमें पेशेंट को धूप में बैठने के लिए कहा जाता है। इससे मेलनिन यानी वो पिगमेंट जिससे स्किन को कलर मिलता है एक्टिवेट हो जाता है। धूप में जो लोग कम बैठते हैं, अगर उन्हें सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वो ज्यादा दिखते हैं। विटामिन डी लेवल का विटिलिगो से कोई लेना-देना नहीं है।

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