आज जरूरत की खबर में नई-नई मां बनी महिलाओं की बात करते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें लिखा है कि फॉर्मूला मिल्क यानी मिल्क पाउडर बनाने वाली बड़ी कंपनियां नवजात बच्चों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। दरअसल ये कंपनियां सोशल मीडिया के जरिए फॉर्मूला मिल्क को ऐडवर्टाइज कर रही हैं।
इससे ब्रेस्ट फीडिंग यानी मां के दूध की बजाय ज्यादातर नई मां फॉर्मूला मिल्क अपने बच्चे को पिलाने के लिए प्रेरित हो रही हैं। कंपनियां इतनी चालाकी से अपने प्रोडक्ट का प्रमोशन करती हैं, जिससे उनके प्रमोशन को एडवर्टाइजमेंट का नाम भी नहीं दिया जा सकता।
यह बिजनेस भारत में भी बड़े पैमाने पर चल रहा है। यही वजह है कि भारत में फॉर्मूला मिल्क का बिजनेस 4.2 लाख करोड़ सालाना तक पहुंच गया है।
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद अब सवाल यह कि क्या फॉर्मूला मिल्क नवजात के लिए अच्छा है? अगर नहीं, तो इसके नुकसान क्या हैं? ऐसे कई सवालाें का जवाब दे रही हैं LLRM मेडिकल कॉलेज, मेरठ की सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर, डॉ. प्रीति त्रिवेदी।
सवाल: फॉर्मूला मिल्क क्या है?
जवाब: फॉर्मूला मिल्क एक तरह का आर्टिफिशियल मिल्क पाउडर होता है। इसे आप पाउडर बेस्ड मिल्क भी कह सकते हैं। इसे शुगर, फैट, विटामिन और प्रोटीन को मिलाकर बनाया जाता है।
सवाल: क्या डॉक्टर फॉर्मूला मिल्क नवजात को देने की सलाह देते हैं?
जवाब: हां, कई बार डॉक्टर मां को फॉर्मूला मिल्क पिलाने की सलाह देते हैं, लेकिन ऐसा तब होता है, जब एक मां ब्रेस्ट फीडिंग कराने की स्थिति में नहीं होती। याद रखें कि फॉर्मूला मिल्क एक आर्टिफिशियल मिल्क है, जिसे आप सिर्फ एक विकल्प मान सकते हैं। इसका मतलब बिलकुल नहीं कि ये स्तनपान की तरह काम करता है।
सवाल: एक दिन में बच्चे को कितनी बार फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए?
जवाब: एक दिन में छह से आठ बार फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है। हालांकि, इसकी मात्रा बच्चे की सेहत पर भी निर्भर करती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
सवाल: मां के दूध और फॉर्मूला मिल्क में अंतर क्या है?
जवाब: मां के दूध में ग्लिसरॉल मोनोलॉरेट (GML) नामक एक ऐसा कंपोनेंट पाया जाता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। ये हेल्दी बैक्टीरिया को ग्रो करने में मदद भी करता है। मां के दूध में GML गायों के दूध की तुलना में करीब 200 गुना अधिक होता है, जबकि फॉर्मूला मिल्क में इसकी मात्रा न के बराबर होती है। इसमें मां के दूध जैसी कोई भी खासियत नहीं होती है।
मां के दूध से बच्चों को होते हैं ये फायदे
सवाल: क्यों नई मां अपना दूध बच्चे को पिलाने से कतराती हैं?
जवाब: इसका सबसे बड़ा कारण न्यूक्लियर फैमिली और डिब्बे वाले दूध का ऐडवर्टाइजमेंट है। पहले जॉइंट फैमिली होती थी, तब मां के अलावा बच्चे की देखरेख करने के लिए और भी फैमिली मेंबर हुआ करते थे। अब न्यूक्लियर फैमिली में सिर्फ माता-पिता ही होते हैं। ऐसे में कई लोगों को फॉर्मूला मिल्क आसान विकल्प लगता है।
दूसरा कारण महिलाओं का वर्किंग होना और उनकी कंपनी के पास किसी तरह का बेबी जोन न होना भी है। ज्यादातर महिलाएं डिलीवरी के कुछ ही महीने बाद ऑफिस जाना शुरू कर देती हैं। इस वजह से मां अपना दूध बच्चे को भरपूर नहीं पिला पाती हैं। उन्हें फॉर्मूला मिल्क देकर निश्चिंत हो जाती हैं।
चलते-चलते जानते हैं फॉर्मूला मिल्क के बारे में UNICEF की राय
झूठे दावे पर न करें भरोसा
UNICEF के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर कैथरीन रसेल के मुताबिक, फॉर्मूला फीडिंग को लेकर किए जा रहे झूठे और भ्रामक दावे की वजह से एक मां ब्रेस्ट फीडिंग से बच रही है। उन्हें याद रखना चाहिए कि मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए स्तनपान ही सबसे अच्छा विकल्प है।
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