श्रद्धा मर्डर केस में एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं। इस कड़ी में एक सच और सामने आया है। दरअसल, पहले श्रद्धा और आफताब मुंबई के वसई के रीगल अपार्टमेंट में किराये से रहते थे। फ्लैट को किराये पर लेते वक्त श्रद्धा और आफताब ने खुद को पति-पत्नी बताकर रेंट एग्रीमेंट बनवाया था। फ्लैट की मालकिन जयश्री पाटकर की मानें तो दोनों ने उनके एजेंट से कहा था कि परिवार के बाकी मेंबर्स भी साथ रहने आएंगे और वो दोनों पति-पत्नी हैं। वो कभी आफताब और श्रद्धा से नहीं मिली थीं, उनके किराये के एग्रीमेंट का सारा काम उनके रियल एस्टेट एजेंट ने ही किया था।
इस तरह पति-पत्नी बताकर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने का कल्चर शहरों में आम हो गया है। सवाल ये उठता है कि क्या रेंट एग्रीमेंट भी बनवाते वक्त सच्चाई सामने नहीं आती है? अगर आ सकती है, तो गलती किसकी और कहां पर होती है? ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब आज जरूरत की खबर में जानेंगे।
आज की स्टोरी के एक्सपर्ट हैं- सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक।
सवाल- रेंट एग्रीमेंट क्या होता है, जो श्रद्धा और आफताब ने फ्लैट लेते वक्त बनवाया था?
जवाब- जब किराये पर कोई मकान दिया जाता है, तो मकान मालिक और किरायेदार के बीच कुछ बातों पर समझौता होता है। पहले ये जुबानी तौर पर होता था, लेकिन अब ये लिखित तौर पर होता है। इसे ही रेंट एग्रीमेंट या किरायानामा कहते हैं।
सवाल- अगर मकान मालिक या किरायेदार रेंट एग्रीमेंट बनवाना चाहता है, तो इसका प्रोसीजर क्या है?
जवाब- इसके लिए इन स्टेप्स को फॉलो करना होगा-
ध्यान रखें- बिना नोटरी के बना रेंट एग्रीमेंट कानून के किसी काम का नहीं होता है।
सवाल- रेंट एग्रीमेंट क्या सिर्फ पति-पत्नी के नाम पर बनता है या इंडिविजुअल यानी किसी एक व्यक्ति के नाम से भी बनवा सकते हैं?
जवाब- पति-पत्नी के नाम के अलावा इसे इंडिविजुअल व्यक्ति के नाम पर बनवाया जा सकता है। इसके अलावा मान लीजिए आपका बच्चा पढ़ाई के लिए दिल्ली जाता है और 4 लोग एक साथ एक फ्लैट या कमरे में रहते हैं, तो उन चारों के नाम से भी रेंट एग्रीमेंट बनवाया जा सकता है।
सवाल- अगर मकान मालिक लिव-इन पार्टनर को घर नहीं देना चाहता है और कोई धोखे से घर में शिफ्ट हो जाए, तब मकान मालिक के पास क्या रास्ता बचता है?
जवाब- ऐसे में ब्रीच ऑफ एग्रीमेंट यानी रेंट एग्रीमेंट अपने आप कैंसिल हो जाएगा। जो मकान मालिक लिव-इन पार्टनर को घर किराये पर नहीं देना चाहता होगा, उसने देने से पहले किरायेदार से जरूर पूछा होगा कि वो पति-पत्नी हैं या नहीं। तब लिव-इन पार्टनर ने खुद को पति-पत्नी बताया होगा और इसी रिश्ते का रेंट एग्रीमेंट बना होगा।
जब ये झूठ सामने आएगा, तो अपने आप ही रेंट एग्रीमेंट कैंसिल हो जाएगा। इसके बाद मकान मालिक सीधे तौर पर उन्हें घर खाली करने को कह देगा। जिसके बाद लिव-इन पार्टनर को किराये का घर खाली करना पड़ेगा।
सवाल- आफताब और श्रद्धा की तरह अगर कोई लड़का-लड़की ये कहें कि वो पति-पत्नी हैं और रेंट एग्रीमेंट भी बनवाने के लिए तैयार हैं, तब मकान मालिक को कैसे पता चलेगा कि वो वाकई शादीशुदा हैं या नहीं?
जवाब- ऐसी सिचुएशन में मकान मालिक को किराये पर मकान देने से पहले लड़का-लड़की से उनकी शादी का प्रूफ मांगना चाहिए। जैसे- मैरिज सर्टिफिकेट या कोई एफिडेफिड यानी शपथ पत्र।
अगर कोई कपल कोर्ट मैरिज करता है, तो बाई डिफॉल्ट उसकी उसकी शादी रजिस्टर हो जाती है। अगर वो कोर्ट मैरिज की जगह घरवालों और दोस्तों की मौजूदगी में शादी करता है, तो उसे लोकल नगरपालिका में जाकर अपनी शादी रजिस्टर करवानी होगी।
सवाल- जमाना इतना आगे बढ़ गया है कि कोई भी फर्जी सर्टिफिकेट बनवाना बड़ी बात नहीं है। अगर कोई व्यक्ति मैरिज सर्टिफिकेट या एफिडेफिड फर्जी बनवाकर दिखा दे, तो क्या होगा?
जवाब- ऐसे में उस व्यक्ति पर फोर्जरी (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज होगा और 7 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
सवाल- रेंट एग्रीमेंट बनवाते वक्त मकान मालिक या किरायेदार को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
जवाब- इन 2-3 बातों का ख्याल जरूर रखें-
सवाल- रेंट एग्रीमेंट बनवाने के क्या फायदे हैं?
जवाब- आपको ये दो बड़े फायदे मिल सकते हैं-
सवाल- अक्सर मकान मालिक 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं, ऐसा क्यों?
जवाब- रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार, अगर किसी प्रॉपर्टी को 12 महीने या उससे ज्यादा समय के लिए किराये या लीज पर देते हैं, तो उस रेंट या लीज एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना पड़ता है। इसका प्रोसेस और उसमें होने वाले खर्चे से बचने के लिए रेंट एग्रीमेंट सिर्फ 11 महीने का बनवाया जाता है। रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस में फीस के साथ-साथ स्टॉम्प ड्यूटी भी लगाई जाती है। रेंट एग्रीमेंट में इस तरह की कोई बाध्यता नहीं होती है।
सवाल- किरायेदारों को रेंट एग्रीमेंट में किन चीजों को जरूर चेक करना चाहिए?
जवाब- इन 3 बातों को रेंट एग्रीमेंट में साइन करने से पहले किरायेदार जरूर चेक कर लें-
सवाल- किराये पर घर देते वक्त मकान मालिक को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए। ताकि आफताब जैसे क्रिमिनल के आने की संभावना कम हो जाए?
जवाब– नीचे लिखी बातों का मकान मालिक को ध्यान रखना चाहिए
11 महीने का रेंट एग्रीमेंट
किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन
पिछले मकान मालिक से पूछताछ
कुछ मकान मालिक किरायेदार को किराया देने पर रसीद भी देते हैं। जिसे किराये की रसीद कहते हैं। ये वो सबूत होता है, जिससे पता चलता है कि किरायेदार ने मकान मालिक को किराया दे दिया है। ज्यादातर मकान मालिक ऐसा नहीं करते हैं। कई बार ऑफिस में किराये की रसीद टैक्स के मकसद से देनी पड़ती है। ऐसे में कर्मचारी पर्सनल बेनिफिट के लिए किराये की रसीद का फर्जीवाड़ा करता था। फर्जी किराये की रसीद बनाना अवैध है। इसके लिए कड़ी सजा मिल सकती है।
ऑफिस में HRA पपर्स से अगर नकली रसीद बनवाते हैं तो पढ़ें
सवाल- रेंट एग्रीमेंट की नकली रसीद बनवाना आजकल आसान है, इसके लिए क्या सजा मिल सकती है?
जवाब- नकली रसीद बनाने के लिए सजा का स्तर किराये की राशि और जालसाजी के प्रकार के आधार पर तय की जाती है। नकली किराये की रसीद बनाने के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
चलते-चलते
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मकान मालिक के पास ही कानूनी अधिकार हैं। किरायेदार के पास भी ये अधिकार मौजूद है…
लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर भारत का कानून भी जान लीजिए
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 के एक केस में फैसला देते हुए कहा था कि, एडल्ट होने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी के भी साथ रहने या शादी करने के लिए आजाद है। इसके बाद से ही लिव-इन-रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिल गई।
लिव-इन में दो ऐसे ही लोग रह सकते हैं, जिनकी पहले से कोई शादी न हुई हो, दो तलाकशुदा लोग या फिर जिनके पार्टनर की मौत हो गई हो।
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2(f) के तहत लिव-इन-रिलेशनशिप को परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार…
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