श्रद्धा मर्डर केस में यह जानकारी आई कि श्रद्धा ने आफताब के बिहेवियर को लेकर 2 साल पहले यानी 23 नवंबर 2020 को मुंबई की पालघर पुलिस को एक शिकायती पत्र लिखा था। जिसमें पुलिस को बताया था कि उसका लिव-इन-पार्टनर आफताब उसे मारता-पीटता है।
अगर समय रहते एक्शन नहीं लिया गया तो आफताब उसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा। यह सारी बात श्रद्धा ने आफताब की फैमिली को भी बताई थी। उन्होंने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।
श्रद्धा ने बाद में कह दिया कि हमारे बीच सुलह हो गई
इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने बताया कि श्रद्धा की शिकायत पर हमने उस वक्त एक्शन लिया था। हालांकि, बाद में उसने ही लिखकर दे दिया कि हमारे बीच सुलह हो गई है। DCP सुहास बावाचे ने कहा कि इसके बाद केस बंद कर दिया गया।
सुशांत के पिता ने भी पुलिस को किया था अलर्ट
ऐसा ही एक्टर सुशांत के केस में भी हुआ था। साल 2020 में ही न्यूज एजेंसी ANI ने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें सुशांत के पिता कह रहे थे कि मैंने 25 फरवरी को बांद्रा पुलिस को अलर्ट किया था कि मेरे बेटे सुशांत की जान को खतरा है, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया और 14 जून को मेरे बेटे की जान चली गई।
वीडियो आपने देख लिया, तो आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि पुलिस को शिकायती पत्र क्यों, कब और कैसे लिखा जा सकता है। इसकी लीगल वैल्यू कितनी और क्या है?
आज की स्टोरी के एक्सपर्ट हैं- दिल्ली में पटियाला हाउस कोर्ट के एडवोकेट ललित वी।
सवाल- हमें पुलिस को शिकायती पत्र यानी कम्प्लेंट लेटर लिखने की जरूरत क्यों पड़ती है?
जवाब- जब भी हमें किसी बात की शिकायत पुलिस अधिकारी या स्थानीय नगर के थाना प्रभारी को देनी होती है, तब हमें शिकायती पत्र लिखने की जरूरत पड़ती है। लिखित में दी गई जानकारी या शिकायती पत्र की वैल्यू और इफेक्ट ज्यादा होती है।
सवाल - कई बार पुलिस आम इंसान की FIR दर्ज नहीं करती है, ऐसे में कोई भी व्यक्ति क्या कर सकता है?
जवाब- ऐसे में आप सीधे पुलिस सुपरिटेंडेंट (SP) या इससे ऊपर डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DIG) और इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IG) से शिकायत कर सकते हैं।
सवाल- श्रद्धा ने तो जान को खतरा महसूस होने पर पुलिस को शिकायती पत्र लिखा था, क्या कोई भी व्यक्ति किसी भी सिचुएशन में ऐसा कर सकता है?
एडवोकेट ललित- महिला हो या पुरुष, किसी को भी अगर
सवाल- पुलिस को लिखे गए शिकायती पत्र का महत्व क्या होता है?
जवाब- शिकायती पत्र…
सवाल- शिकायती पत्र की लीगल वैल्यू कब मानी जाती है?
जवाब- जब तक डीडी एंट्री नहीं होती है, तब तक आपके शिकायती पत्र की कोई लीगल वैल्यू नहीं होती है।
सवाल- अब ये डीडी एंट्री क्या है, जिसका शिकायती पत्र में होना जरूरी है?
जवाब- इसका मतलब होता है डेली डायरी एंट्री। पुलिस के पास एक डायरी होती है, जिसमें हर FIR और शिकायत की एंट्री की जाती है। जब आप पुलिस को शिकायती पत्र देते हैं, तो बदले में आपको रिसीविंग दी जाती है। जिसमें डायरी का एंट्री नंबर लिखा होता है। ये नंबर ही इसकी लीगल वैल्यू है।
सवाल- क्या शिकायती पत्र FIR में भी कन्वर्ट हो सकती है?
एडवोकेट ललित- जी हां, अगर कोई ऐसा Offense हो, जो नॉन बेलेबल हो, तो शिकायती पत्र FIR में कन्वर्ट हो सकती है। ध्यान रहे, ऐसा वुमेन रिलेटेड केस में होता है।
सवाल- हमने पुलिस को शिकायती पत्र दिया है, इस बात को कैसे साबित किया जा सकता है?
एडवोकेट ललित- इसके लिए पुलिस को शिकायती पत्र देते वक्त आपको उसका रिसीविंग लेना चाहिए, जिसमें डीडी एंट्री नंबर लिखा हो। यही सबसे बड़ा प्रूफ होता है कि आपने पुलिस को शिकायती पत्र दिया था।
सवाल- पुलिस को दिए गए शिकायती पत्र का फॉलो आप और हम कैसे ले सकते हैं?
जवाब- जब आपको अपने शिकायती पत्र की रिसीविंग मिलेगी, उसी वक्त आपके केस के लिए एक इंक्वायरी ऑफिसर नियुक्त कर दिया जाता है, जो इंक्वायरी करता है। उसका कॉन्टैक्ट नंबर और नाम आपसे शेयर किया जाता है।
आप चाहें, तो उनसे बात करके फॉलो अप ले सकते हैं या फिर RTI लगाकर इस जानकारी को हासिल कर सकते हैं।
सवाल- अगर शिकायती पत्र देने के बाद भी पुलिस एक्शन नहीं लेती है, तो हम क्या कर सकते हैं?
एडवोकेट ललित- अगर थाने में आपने शिकायती पत्र दे दिया है और थाना प्रभारी ने कोई एक्शन नहीं लिया, तो आप डायरेक्ट DCP को पत्र की रिसीविंग दिखाकर दोबारा शिकायत कर सकते हैं।
इसके बाद भी कोई एक्शन न लिया जाए, तब आप CrPC की धारा 156 (3) के तहत सीधे अपने लोकल मजिस्ट्रेट को लिखित शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद आपका केस पुलिस स्टेशन से कोर्ट में चला जाएगा।
सवाल- जिस तरह श्रद्धा के शिकायती पत्र देने के बाद केस बंद हो गया, इसी तरह हमारे शिकायती पत्र के बाद अगर पुलिस एक्शन ले ले, तो केस कब बंद हो सकता है?
जवाब- अगर पुलिस के एक्शन लेने के बाद आरोपी पकड़ा जाए, आपकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाए या आपके और आरोपी दोनों के बीच सुलह हो जाए। इन सारी बातों को अगर आपने लिखित में श्रद्धा की तरह दे दिया, तो आपका केस बंद हो जाएगा। इसके अलावा अगर आपने अपनी शिकायत वापस ले ली, तब भी ऐसा हो सकता है। यानी अगर आपने केस खत्म करने के लिए लिखित में पुलिस को जानकारी नहीं दी तो केस चलता रहेगा, इंक्वारी होती रहेगी।
चलते-चलते
अगर आप शिकायती पत्र की जगह सीधे FIR लिखवाते हैं, तो इन 8 बातों का ध्यान रखें-
FIR दर्ज करने के लिए हमेशा पुलिस स्टेशन जाना जरूरी नहीं है-
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