लत कोई भी हो खराब होती है और अगर लत पोर्न की है, तो फिर यह बेहद खतरनाक है। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 19 साल के बच्चों में पोर्न एडिक्शन बढ़ गया है। दुनिया के कई देश अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं। पाकिस्तान में इसके खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है और टीनएजर्स को जागरूक किया जा रहा है।
भारत में पोर्न 2015 से ही बैन है। लेकिन, जो चीज इंटरनेट पर सहज उपलब्ध हो, उस पर बैन जैसे कदम महज औपचारिकता ही होते हैं। आज के समय में टीनएजर्स दूसरे देशों के VPN का इस्तेमाल कर इसे एक्सेस कर रहे हैं। आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इस बात पर हम क्यों फोकस कर रहे हैं?
शारीरिक-मानसिक कमजोरी लाता है पोर्न
इंदौर के साइकैट्रिस्ट डॉ. श्रीकांत रेड्डी कहते हैं कि बच्चों के ऊपर पोर्न का बेहद गंभीर असर पड़ता है। वे न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं। हालांकि, बच्चों में पोर्न एडिक्शन जैसा कोई ऑफिशियल टर्म नहीं है। यह दो शब्दों को मिलाकर बना एक जनरल टर्म है। 10 से 11 साल के बच्चों में इस तरह की समस्या ज्यादा देखने में आती है। भारत में लॉकडाउन के बाद से बच्चों के हाथ में लगातार फोन आने की वजह से यह समस्या और तेजी से बढ़ी है।
अप्रैल 2020 को बिजनेस इनसाइडर में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ( ICPF) ने दावा किया था कि भारत में लोगों ने चाइल्ड पोर्न को सबसे ज्यादा सर्च किया। इसके अलावा एक पोर्न बेवसाइट ने बताया था कि 24 से 26 मार्च 2020 के बीच भारत में उसका ट्रैफिक 95% तक बढ़ा है। इनमें से ज्यादातर बच्चे थे।
पोर्न एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये तरीके
1. ऐसा क्या है जो पोर्न देखने पर ट्रिगर करता है
2. पोर्न देखने के सोर्स किल करें पैरेंट्स
3. एडिक्शन का पता चलने पर बच्चों को डिस्ट्रेक्ट करें
4. पैरेंट्स अपने स्तर पर क्या कर सकते हैं?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बच्चों को पोर्न की लत से बचाना है, तो पेरेंट्स को सबसे पहले बच्चे की परेशानी को समझना होगा। कहीं बच्चा अकेलापन तो महसूस तो नहीं कर रहा है। या फिर किसी तरह का डिसऑर्डर तो नहीं हो गया है। पेरेंट्स या तो बच्चे से खुद बात कर सकते हैं या फिर काउंसलर के पास भी जा सकते हैं। बच्चों को समझाना होगा कि यह एक तरह की बीमारी है। इससे बचना चाहिए। यह बैड हैबिट्स में आता है।
5. टीचर अपने स्तर क्या कर सकते हैं?
6. थैरेपी और काउंसलिंग से मिलेगी मदद
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