उत्तराखंड के बागेश्वर के एक स्कूल में 8 बच्चे बिना किसी वजह के एक साथ रोने, चीखने, जमीन पर लोटने और सिर पटकने लगते हैं। इनमें 6 लड़कियां और 2 लड़के हैं। ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर इसे मास हिस्टीरिया का मामला बताया जा रहा है।
बागेश्वर के डिप्टी CMO के अनुसार, उनकी टीम ने बच्चों की काउंसलिंग की, जिसके बाद उन्हें पता लगा कि वे पहले से घबराए हुए थे और खाली पेट स्कूल आए थे।
आगे बढ़ने से पहले वीडियो देख लीजिए...
जो हालात स्कूल के बच्चों की थे, वैसे हालात किसी के भी साथ हो, तो लोग इसे भूत-प्रेत का नाम देते हैं या फिर कहते हैं कि फलां व्यक्ति को माता आ गई हैं।
सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे मास हिस्टीरिया है? जरूरत की खबर में इसे समझते हैं मेरठ की डॉ. कशिका जैन,साइकोलॉजिस्ट एंड हिप्नोथेरेपिस्ट और BLK अस्पताल, नई दिल्ली के डॉ. मनीष जैन से।
सवाल- सबसे पहले जानते हैं कि हिस्टीरिया क्या होता है?
जवाब- ये एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर या साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है। साइकेट्रिस्ट के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति मेंटली या इमोशनली परेशान होता है, तो अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता है और असामान्य हरकतें करता है। इसमें एक व्यक्ति को ऐसा करते देख दूसरा, तीसरा और कई लोग असामान्य हरकतें कर सकते हैं। इसमें व्यक्ति अंदर ही अंदर घुट रहा होता है और अपना दर्द किसी को नहीं बता पाता है। वह चाहता है कि लोग उससे बात करें, उसकी समस्याएं पूछें।
सवाल- हिस्टीरिया कब मास हिस्टीरिया बन जाता है?
जवाब- ज्यादातर लोग ऐसे पेशेंट को झड़वाने किसी मंदिर या तांत्रिक के पास ले जाते हैं, जहां पहले से कोई न कोई हिस्टीरिया का पेशेंट झूमता रहता है। दूसरा पेशेंट जब किसी ऐसे को देखता है तो, वो भी झूमना शुरू कर देता है। क्योंकि ऐसे पेशेंट एक-दूसरे को कॉपी करते हैं। तब हिस्टीरिया, मास हिस्टीरिया बन जाता है।
सवाल- किन जगहों पर मास हिस्टीरिया की समस्या ज्यादा होती है?
जवाब- BLK अस्पताल, नई दिल्ली के डॉ. मनीष जैन की मानें तो मास हिस्टीरिया ज्यादातर कल्चर बिलीव वाली जगहों पर होने वाली बीमारी है। ये समस्या गांव और कम पढ़े-लिखे लोगों में ज्यादा पाई जाती है।
इसका मतलब ये नहीं है कि कल्चर बिलीव के कारण ये बीमारी होती है। जब कल्चर बिलीव अनमैनेजबल या जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है तो मास हिस्टीरिया की समस्या हो सकती है। इसलिए कई लोग कहते हैं कि फलां व्यक्ति को माता आ गई है या फलां व्यक्ति को भूत-प्रेत चढ़ गया है।
सवाल- किन लोगों में मास हिस्टीरिया की समस्या ज्यादा होती है?
जवाब- ये समस्या ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है, जो कम पढ़ी-लिखी हैं या फिर जो अपनी इच्छा और मन की बात को अंदर ही दबा देती हैं। किसी से कुछ कह नहीं पाती हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि ये महिलाओं को ही हो। वक्त के साथ-साथ कई पुरुषों में भी हिस्टीरिया की समस्या देखी गई है।
हिस्टीरिया के दौरे को लोग अक्सर मिर्गी का दौरा समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग होते हैं। कैसे, ये जानने के लिए नीचे दिए ग्राफिक्स को पढ़ें-
सवाल- मास हिस्टीरिया को कन्वर्जन डिसऑर्डर भी कहते हैं, ऐसा क्यों?
जवाब- इसमें जो साइकोलॉजिकल सिम्टम यानी लक्षण हैं वो बदलकर फिजिकल में कन्वर्ट हो जाते हैं। जिससे परिवार को लगता है कि ये कोई शारीरिक बीमारी है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। इसलिए इसे कन्वर्जन डिसऑर्डर कहते हैं।
सवाल- मास हिस्टीरिया को कई लोग भूत-प्रेत, आत्मा या चुड़ैल चढ़ने का नाम देते हैं, क्यों?
जवाब- हिस्टीरिया का पेशेंट अक्सर ये शिकायत करता है कि उसे कुछ दिख नहीं रहा है। लग रहा है कि कोई उसका गला दबा रहा है, सांस नहीं आ रही है या कोई दिख रहा है। ये सारी तकलीफ पेशेंट को मेंटल कंडीशन की वजह से होती है। ऐसा सच में होता नहीं है। इस मेंटल कंडीशन को लोग अंधविश्वास से जोड़कर भूत-प्रेत, आत्मा, चुड़ेल या माता जी चढ़ने का नाम दे देते हैं।
सवाल- मास हिस्टीरिया का इलाज क्या है?
जवाब- हिस्टीरिया का दौरा कुछ पेशेंट में इतनी बार रिपीट हो जाता है कि लोग इसे माता, चुड़ेल या भूत-प्रेत ही समझ बैठते हैं। टाइम खराब किए बगैर लोगों को ये बात समझनी चाहिए कि ये बीमारी है सेप्रेशन की है और इसका इलाज है एक्सप्रेशन।
सवाल- हिस्टीरिया के पेशेंट को ठीक करने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब- पेशेंट का इलाज कराना जरूरी है-
चलते-चलते जान लीजिए...
जब हिस्टीरिया के पेशेंट को चीजें बुरी लगने लगती हैं, तो वो अवेयर हो जाते हैं कि अब पानी सिर से ऊपर चला गया है और दौरा आने वाला है। इसलिए ये लोग अपने आप को सेफ रख पाते हैं। उन्हें चोट नहीं लगती है। वहीं जब आप यानी परिवार या आस-पास के लोग पेशेंट को अटेंशन देने लगते हैं, उसे एक्सेप्ट करने लगते हैं, तब वो इंसान धीरे-धीरे नॉर्मल होने लगता है, लेकिन वो समझ जाता है कि अटेंशन पाने का ये रास्ता है। वो इस तरीके को बार-बार अपनाने लगता है। इसलिए टाइम वेस्ट किए बगैर आपको साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी चाहिए।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.