मेरी मां की एक आदत है। वह सुबह उठकर, हमारे और पापा के लिए टिफिन बनाकर, घर का झाड़ू-पोछा, बर्तन और कपड़े धोने के बाद आराम से नहाकर ही कुछ खाती हैं। यह सारा काम करते-करते दोपहर हो जाती है। लाख समझाने के बाद भी वह अपनी इस आदत को बदल नहीं रही हैं।
नवंबर का महीना गैस्ट्रिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर जाना जाता है। इस पर एक स्टोरी करने के मकसद से मैंने कुछ एक्सपर्ट से बातचीत की तो पता चला एसिडिटी इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह है। डिटेल में डॉक्टर से सब समझने के बाद मैंने अपनी मां को अलर्ट किया।
आप भी इस खबर को ध्यान से पढ़ें और समझें, क्योंकि देर से खाना खाना, घर का सारा काम खत्म करने के बाद खाना, यह आदत सिर्फ मेरी मां की अकेली की नहीं है। ऐसा करने वाली महिलाएं हर दूसरे घर में मौजूद है।
तो फिर परिवार के सभी सदस्य ध्यान दें…
घर की महिलाओं को समझाएं कि कामकाज थोड़ी देर से हो सकता है। लेकिन एक बार एसिडिटी की प्रॉब्लम हो गई तो गैस्ट्रिक कैंसर होने की आशंका बढ़ जाएगी। ये हम नहीं डॉक्टर कह रहे हैं। यकीन नहीं आता तो खुद पढ़ लीजिए-
होमी भाभा कैंसर अस्पताल के कैंसर एक्सपर्ट डॉ. शांतनु पवार कहते हैं कि गैस्ट्रिक कैंसर की वजह खराब लाइफस्टाइल और खानपान है। अक्सर महिलाएं घर में काम करने के कारण ज्यादा देर तक खाली पेट रहती हैं, इसलिए उनके पेट में एसिडिटी की समस्या होती है। इस वजह से महिलाएं ज्यादा गैस्ट्रिक कैंसर की शिकार हो रही हैं।
जनवरी से अक्टूबर तक पेट के कैंसर के 10 ऑपरेशन हम लोग कर चुके हैं। एसिडिटी से कैंसर होने वाले हर महीने करीब 8 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर 30 से 40 साल के लोग हैं। जुलाई 2022 से सितंबर 2022 तक अस्पताल में 226 गैस्ट्रिक कैंसर के मरीज पहुंच चुके हैं, जिनमें 116 महिलाएं हैं।
डॉ. मृणाल परब, कंस्लटेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, मसीना हॉस्पिटल, मुंबई के अनुसार जेनेटिक यानी पारिवारिक हिस्ट्री, एच पाइलोरी, हायपर एसिडिटी या लंबे समय से एसिडिटी की समस्या और खराब लाइफस्टाइल की वजह से गैस्ट्रिक कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।
गैस्ट्रिक कैंसर पर डिटेल में चर्चा डॉ. शांतनु पवार, कैंसर एक्सपर्ट, होमी भाभा कैंसर अस्पताल और डॉ. मृणाल परब, कंस्लटेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, मसीना हॉस्पिटल, मुंबई के साथ डॉ. संदीप बत्रा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत से करेंगे।
सवाल- गैस्ट्रिक कैंसर क्या है?
जवाब- पेट के कैंसर को ही गैस्ट्रिक कैंसर कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो, जब पेट में कोशिकाओं का ग्रोथ होने लगता है, तब गैस्ट्रिक कैंसर का जन्म होता है। यानी कुछ असामान्य (कैंसर-युक्त) कोशिकाओं के ग्रोथ से जो पेट के एक हिस्से में ट्यूमर बनता है, जो कैंसर का रूप ले लेता है।
सवाल- गैस्ट्रिक कैंसर बॉडी के किस हिस्से में होता है?
जवाब- ये पेट के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
डॉ. संदीप बत्रा- गैस्ट्रिक कैंसर का एक कॉमन लक्षण है एसिडिटी, जो भारतीयों में आम समस्या है। इसे हल्के में लिया जाता है।
लोगों में अवेयरनेस नहीं है कि ये गैस्ट्रिक कैंसर का भी लक्षण हो सकता है। एसिडिटी होने पर अक्सर लोग केमिस्ट से दवा लेकर खा लेते हैं, जो इस बीमारी को रोकता तो नहीं है, बस लक्षण को थोड़ी देर के लिए कंट्रोल कर लेता है।
इन बातों को भी याद रखें
एसिडिटी की प्रॉब्लम महीनों से है, इस तरह वह गैस्ट्रिक कैंसर में बदल सकती है
सवाल- जिन लोगों को एसिडिटी है, उन्हें किस सिचुएशन में डॉक्टर के पास जांच जरूर कराना चाहिए, केमिस्ट की दवा के चक्कर में नहीं रहना चाहिए?
जवाब- एसिडिटी क्या, किसी भी बीमारी में डॉक्टर की सलाह से ही दवाई खानी चाहिए। अगर आपको एसिडिटी के साथ-साथ भूख नहीं लगना, अचानक वजन कम होना, टॉयलेट या मल ठीक से न होना, मल से खून आना जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। आजकल बाजार में एसिडिटी की बहुत तरह की दवाइयां मिलती हैं, बिना डॉक्टरी सलाह इन्हें खाने से बचें।
सवाल- एसिडिटी होने का सबसे बड़ा कारण क्या हो सकता है?
जवाब- कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो एसिडिटी होने और उसे कैंसर में बदलने का कारण केमिकल वाला खाना है। बाजार में आजकल कई केमिकल वाले अचार भी मिलते हैं, जिसे खाने से एसिडिटी की समस्या होती है। प्रिजर्वेटिव मिला डिब्बा बंद खाना भी पेट के कैंसर की वजह बन सकता है।
डॉ. मृणाल परब- जो लोग कभी भी ग्रीन वेजिटेबल नहीं खाते हैं, उन्हें गैस्ट्रिक कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है।
सवाल- एसिडिटी के अलावा गैस्ट्रिक कैंसर के और क्या कारण हैं?
जवाब- इसका सटीक कारण अभी तक वैज्ञानिकों और हेल्थ एक्सपर्ट्स को पता नहीं चला है। हालांकि गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले कुछ फैक्टर्स की जानकारी जरूर इक्ट्ठा कर ली गई है। जैसे-
एच पाइलोरी बैक्टीरिया के बारे में डिटेल में पढ़ें - क्लिक करें
सवाल- गैस्ट्रिक कैंसर होने का खतरा कम रहे, इसके लिए हमें क्या करना चाहिए?
डॉ. मृणाल परब के अनुसार…
चलते-चलते
आंकड़ों पर नजर डाल लीजिए-
ये भी जान लीजिए- नवंबर का महीना गैस्ट्रिक कैंसर अवेयरनेस के लिए भी होता है। साल 2010 में पहली बार ऑफिशियल गैस्ट्रिक कैंसर अवेयरनेस महीना सेलिब्रेट किया गया था।
गैस्ट्रिक कैंसर अवेयरनेस का लक्ष्य क्या है?
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