कल वर्ल्ड थायराइड डे है। तितली के आकार की ये ग्रंथि हमारी गर्दन के सामने वाले हिस्से में होती है। यह ट्राईआयोडोथायरोनिन यानी T3 और थायरॉक्सिन यानी T4 हार्मोन बनाती है।
ये हार्मोन्स हमारे शरीर के पूरे मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करते हैं। साफ है कि T3 या T4 में गड़बड़ होते ही तमाम बीमारियां घेर लेती हैं।
आम धारणा है कि थायराइड महिलाओं की बीमारी है, लेकिन यह सच नहीं। बांझपन का इलाज कराने वाले तीन में एक पुरुष की इस बीमारी के पीछे थायराइड हार्मोन्स का कम या ज्यादा होना है।
बेहद जोखिम भरी इस बीमारी के लक्षण, प्रिकॉशन और इलाज क्या हैं? आइए जानते हैं…
एक्सपर्ट:
डॉ. शुचिन बजाज, फाउंडर डायरेक्टर, उजाला सिग्नस अस्पताल, दिल्ली
डॉ. पी वेंकट कृष्णन, इंटरनल मेडिसिन, आर्टिमिस हॉस्पिटल, गुड़गांव
सवाल: थायराइड हार्मोन का काम क्या है?
जवाब: इसका मुख्य काम मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करना है। मेटाबॉलिज्म शारीर में होने वाली एक रासायनिक प्रक्रिया है। इससे ही शरीर को ऊर्जा मिलती है।
सरल भाषा में कहें तो हम जो खाना खाते हैं, उसके पोषक तत्वों को ऊर्जा यानी एनर्जी में बदलने का काम मेटाबॉलिज्म ही करता है। शरीर में होने वाली सारे फंक्शन मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करते हैं। जैसे- सांस लेना, खाना पचाना, ब्लड सर्कुलेशन, टिश्यूज की मरम्मत। यही वजह है कि मेटाबॉलिज्म को सेहत का राजा कहा जाता है।
मेटाबॉलिज्म के अलावा थायराइड हार्मोन ये 7 काम भी करता है
सवाल: थायराइड क्या किसी खास उम्र में होता है या कभी भी हो सकता है?
जवाब: यह किसी भी उम्र में हो सकता है। एसआरएल डाएग्नोस्टिक्स की सर्वे कहती हैं कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायराइड होने की आशंका 10 गुना ज्यादा होती है। खासकर बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज के ठीक बाद उन्हें इसका रिस्क बढ़ जाता है। पिछले कुछ दिनों में पुरुषों में भी इसके केस बढ़ते जा रहे हैं।
पबमेड की सर्वे के मुताबिक महिलाओं के शरीर में हार्मोन चेंज कई वजहों से होता है इसलिए उनमें थायराइड की समस्या पुरुषों से ज्यादा होती है।
सवाल: कुछ लोग ये कहते हैं कि मुझे पतले होने वाला थायराइड है, आखिर ये कितने तरह के होते हैं?
जवाब: थायराइड प्राॅब्लम 2 तरह से हो सकती है। पहली हाइपोथायरायडिज्म और दूसरी हाइपरथायरायडिज्म। जब कम होता है तो उसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं और जब थायराइड हार्मोन्स का स्त्राव ज्यादा होता है तो हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं।
हाइपरथायरायडिज्म की वजह से लोगों का वजन लगातार कम होने लगता है। इसे ही आमभाषा में पतले होने वाला थायराइड कहते हैं। वहीं इसके उलट हाइपोथायरायडिज्म को मोटा होने वाला थायराइड कहा जाता है।
सवाल: हाइपोथायरायडिज्म और दूसरी हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण क्या हैं?
जवाब: दोनों ही तरह के थायराइड में कुछ लक्षण कॉमन हैं और कुछ अलग।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण
सवाल: क्या यह सच है कि इससे पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ रही है और इसके पीछे थायराइड भी एक बड़ी वजह है?
जवाब: हाइपोथायरायडिज्म यानी वजन बढ़ने वाले थायराइड से पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ी है। इसकी वजह से समय पर बीमारी का पता नहीं चलता। पुरुष अक्सर थायराइड के लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं।
रिप्रोडक्शन डेटाबेस से पता चलता है कि IVF सेंटर पर आने वाले हर 3 में से 1 पुरुष थायराइड की वजह से बांझपन के शिकार हैं।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुए रिप्रोडक्टिव सर्वे का भी डेटा यही कहता है कि वहां भी पुरुष थायराइड की वजह से इन्फर्टिलिटी का इलाज करवाने IVF सेंटर जा रहे हैं।
अब समझते हैं कि कैसे थायराइड बांझपन का कारण बनता है…
जैसे कि आपको पता है कि थायराइड हार्माेन मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है। इससे स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी पर असर पड़ता है। द नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फाॅर्मेंशन में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट में कहा गया कि जैसे ही थायराइड हार्मोन बढ़ेगा, पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर असर डालेगा। इससे उनमें सीरम गोनेडोट्रोपिन कम हो जाता है। सीरम गोनेडोट्रोपिन आपके शरीर में स्पर्म प्रोडक्शन का काम करता है।
थायराइड में गड़बड़ी की वजह से आपके शरीर में लिपिड, कोलेस्ट्रॉल और फॉस्फोलिपिड का स्तर भी कम हो जाता है। इन सबका सीधा असर आपकी फर्टिलिटी पर भी देखने को मिलता है।
सवाल: मुझमें थायराइड के लक्षण दिख रहे हैं, इसे कन्फर्म करने के लिए क्या करना होगा?
जवाब: कोई भी लक्षण दिखें तो आप सीधे डॉक्टर के पास जाएं। खुद से कोई इलाज न करें। डॉक्टर आपको इस बीमारी का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देंगे। इस टेस्ट को TSH कहते हैं। इससे थायराइड ग्लैंड के फंक्शन को समझने में आसानी होती है।
सवाल: थायराइड जानने के लिए होने वाले ब्लड टेस्ट की कीमत क्या है?
जवाब: इसकी कीमत 300 से 775 रुपए के बीच है।
सवाल: पुरुषों और महिलाओं में TSH की नॉर्मल रेंज क्या है?
जवाब: TSH की नॉर्मल रेंज पुरुष और महिला दोनों में 0.4 mU/L से 4.0 mU/L के बीच होती है।
18 से 50 साल में TSH का लेवल करीब 0.5 – 4.1 mU/L के बीच होना चाहिए।51-70 साल में THS 0.5 से 4.5 mU/L के करीब होती है।
70 से ज्यादा उम्र है, तो TSH 0.4-5.2 mU/L के बीच होगी।
सवाल: थायराइड ठीक होने में कितना समय लगता है?
जवाब: इसका सटीक जवाब देना मुश्किल है। यह बात पर निर्भर है कि आपको किस तरह का थायराइड है। वो कितना सीरियस है, आपकी उम्र कितनी है आदि।
डॉक्टर ने जो आपको दवाइयां दी है, प्रिकॉशन बताया है, उसे फॉलो करना है। इसके साथ खानपान पर ध्यान देना होगा। शराब-सिगरेट पीने की आदत छोड़नी होगी।
थायराइड को योग से भी कंट्रोल कर सकते हैं।
थायराइड कंट्रोल करना है तो ये 5 चीज न खाएं-पिएं
सोयाबीन और उससे बने प्रोडक्ट: इसमें फाइटोएस्ट्रोजन होता है। इससे थायराइड हार्मोन को बनाने वाली एंजाइम सही तरह से काम नहीं करती।
हरी सब्जियां: पालक, गोभी, ब्रोकली, पत्ता गोभी इन्हें खाने से बचें। यह सभी क्रुसिफेरस सब्जियां हैं। पोषक तत्व तो होता है, लेकिन थायराइड ग्लैंड को डिस्टर्ब करते हैं।
कैफीन: कैफीन थायराइड हार्मोन ग्लैंड को बढ़ा देता है। इससे दवा का असर कम होता है।
मिठाई: मीठा खाने से मेटाबॉलिक रेट स्लो हो जाता है। यह ग्लैंड पर असर डालेगा, पाचन क्रिया को भी डिस्टर्ब करेगा।
थायराइड पेशेंट इन चीजों को डाइट में करें शामिल
धनिया: हरा धनिया खाने में डालकर खाएं, धनिए का पानी भी फायदेमंद है।
आयोडाइज्ड नमक: थायराइड के मरीज को सेंधा नमक नहीं खाना चााहिए। शरीर में आयोडीन की कमी होने पर थायराइड के मरीज की परेशानी बढ़ सकती है इसलिए अच्छी क्वालिटी का आयोडाइज्ड नमक ही खाएं।
पानी खूब पिएं: पानी हर मर्ज की दवा माना गया है। पानी शरीर से टॉक्सिन को साफ करता है।
प्रोटीन: प्रोटीन थायराइड के मरीजों के लिए जरूरी है। इसलिए स्प्राउट, अंडे, पनीर और मछली खाना चाहिए।
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