डिओड्रेंट से निकलने वाली खतरनाक गैस से एक बच्ची की मौत हो गई। मामला ब्रिटेन का था। एरोसोल डिओड्रेंट सूंघने के बाद 14 साल की बच्ची जॉर्जिया को कार्डियक अरेस्ट आ गया, जो उसकी मौत की वजह बना। जॉर्जिया के पेरेंट्स के मुताबिक वो ऑटिस्टिक थी। उसे कमरे में डियो स्प्रे करने से सुकून मिलता था।
क्या डिओड्रेंट वाकई जानलेवा है, इसकी वजह से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती है यह सब जानेंगे आज जरूरत की खबर में…
सवाल: डिओड्रेंट और परफ्यूम में क्या अंतर है?
जवाब: परफ्यूम में एसेंस यानी इत्र या सार की मात्रा डिओड्रेंट से ज्यादा होती है। एक नॉर्मल परफ्यूम में 25 पर्सेंट तक एसेंस हो सकता है। यह इस बात पर डिपेंड करता है कि आप किस कैटेगरी का परफ्यूम खरीद रहे हैं। अगर आप तेज एसेंस वाला परफ्यूम यूज कर रहे हैं तो इसकी खुशबू देर तक टिकेगी। एक बार स्प्रे करने भर से भी आप पूरे दिन महक सकते हैं। वहीं डिओड्रेंट में एसेंस की मात्रा कम होती है। कई बार तो इसकी मात्रा 2 से 3 पर्सेंट ही रहती है। इसलिए ये टिकाऊ नहीं होता, लेकिन यह पसीने को आने से रोक सकता है।
सवाल: डिओड्रेंट किस तरह से काम करता है? इसमें एंटीपर्सपिरेंट का रोल है?
जवाब: डिओड्रेंट बदबू या दुर्गंध को रोकता है और इसमें मौजूद एंटीपर्सपिरेंट पसीने को रोकने का काम करता है। दुर्गंध का सबसे बड़ा कारण पसीना है और एंटीपर्सपिरेंट की वजह से पीसना कम निकलता है।
अगर आपको अधिक पसीना आता है तो एंटीपर्सपिरेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल: डिओड्रेंट मौत की वजह किस तरह बन सकता है?
जवाब: डिओड्रेंट में मौजूद एरोसोल में जहरीले केमिकल्स और गैस मौजूद होती है। यही मौत का कारण बनती है। इस तरह की घटना सिर्फ बच्चों के साथ नहीं होती, बड़े भी इसके शिकार हो सकते हैं।
सवाल: एरोसोल के बारे में किसी उदाहरण से समझाएं?
जवाब: एरोसोल गैस के रूप में ठोस कण और तरल कण का मिश्रण होता है। यह नेचुरल और आर्टिफिशियल दोनों हो सकता है। कोहरा एक नेचुरल एरोसोल है, वहीं समुद्र के ऊपर की हवा आर्टिफिशियल एरोसोल है।
सवाल: डिओड्रेंट के ज्यादा इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों के बारे में डिटेल में बताएं?
जवाब: कंज्यूमर एजुकेशन ऐंड रिसर्च सोसाइटी (सीईआरएस) की मैगजीन इनसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कुछ डिओड्रेंट या ऐंटिपर्सपिरेंट स्किन, आंखों और लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसमें डाले गए कुछ केमिकल अल्जाइमर और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं। एंटी-बैक्टीरियल फेफड़े और लिवर डैमेज की वजह बन सकता है। यूएस एफडीए के मुताबिक गुर्दे की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए डिओ का नियमित इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। इसमें इस्तेमाल होने वाला एल्युमिनियम उनके लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।
सवाल: डिओड्रेंट से हार्ट अटैक आने का रिस्क क्यों रहता है?
जवाब: यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक एयरोसोल स्प्रे या सॉल्वेंट में मौजूद केमिकल को देर तक सूंघने पर हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। जब आप ज्यादा मात्रा में केमिकल को अपने अंदर सांस से ले लेते हें तो इससे सफोकेशन भी हो सकता है और इंसान की जान चली जाती है।
सवाल: क्या डिओड्रेंट कैंसर का कारण बन सकता है?
जवाब: सबसे पहले साल 1990 में एक ईमेल लेटर में ये बात सामने आई कि बाजार में बिकने वाले आम डिओ (एंटीपर्सपिरेंट भी मौजूद) का इस्तेमाल करने से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने इस बात का गलत बताया। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मेडिसिन प्रोफेसर डॉक्टर हेरोल्ड बर्स्टीन भी इसे गलत मानते हैं। वे कहते हैं कि आज तक इस बात का कोई सबूत सामने नहीं आया कि आम डिओ (एंटीपर्सपिरेंट) का इस्तेमाल करने से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।
सवाल: क्या खानपान में सुधार लाकर पसीने की बदबू को रोका जा सकता है?
जवाब: बिल्कुल ऐसा करना संभव है। शरीर से आने वाली बदबू का रिश्ता सिर्फ साफ-सफाई से नहीं है, इसका संबंध खानपान से भी है। इसलिए जिन लोगों को बहुत पसीना आता है वे खानपान में ये बदलाव कर सकते हैं…
पसीने की बदबू को रोकने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय
एलोवेरा
बेकिंड सोडा
फिटकरी
इसे पानी में डालकर नहाने से पसीने की बदबू दूर होती है। इसे आप अंडरऑर्म्स पर रगड़ कर लगा भी सकते हैं।
गुलाब जल
अगर किसी दिन नहा नहीं पाएं तो बदबू से बचने के लिए अपनाएं ये ट्रिक
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